NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
फैक्ट चेक : क्या जेएनयू वाकई सबसे सस्ता है ?
सोशल मीडिया पर भी खूब चल रहा है कि जेएनयू सबसे सस्ता है, क्या ये सही है? इसको जानने के लिए आइये देखते है देश के 10 टॉप के विश्वविद्यालयों के हॉस्टल और मेस फीस क्या है? उनकी तुलना के बाद जो परिणाम आये हैं वो आपको हैरत में डाल देंगे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Nov 2019
JNU

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसने मीडिया के साथ ही आम लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा है। लोग इसे लेकर चर्चा कर रहे हैं। कई लोग इसकी वृद्धि को गलत बता रहे हैं तो कई लोग इस तर्क के आधार पर इसे सही बता रहे हैं कि केवल 10 रुपये में कोई कैसे हॉस्टल में रह सकता है। इस तर्क को रखने में हमारे कई मेनस्ट्रीम मीडिया हाउस भी हैं, उनके तर्क के अनुसार अगर हॉस्टल फीस को 10 से बढ़ाकर 300 रुपये किया गया है तो इसमें इतनी हाय-तौबा मचाने की क्या ज़रूरत है। यह कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि कई सालों से हॉस्टल फीस में कोई वृद्धि नहीं हुई थी। दूसरा कि जेएनयू में इतना सस्ता हॉस्टल क्यों जबकि देश के अन्य संस्थानों में कही ज्यादा फीस है।

सोशल मीडिया पर भी खूब चल रहा है कि जेएनयू सबसे सस्ता है, क्या ये सही है? इसको जानने के लिए इंडियन एक्सप्रेस ने देश के टॉप-10 विश्वविद्यालयों के हॉस्टल और मेस फीस की तुलना की। उसके बाद जो परिणाम आये वो सोशल मीडिया के चर्चाओं से अलग दिख रहे हैं।

आइए देखते हैं कि जेएनयू और बाकी विश्विद्यालयों के हॉस्टल खर्चों में कितना अंतर है।

वर्तमान में जो फीस वृद्धि की गई थी जिसे अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू करने का ऐलान किया गया उसमें जेएनयू के छात्रावासों में रहने वाले छात्रों के लिए फीस लगभग 27,600-32,000 रुपये वार्षिक से लगभग 55,000-61,000 रुपये वार्षिक तक होने का अनुमान है। हालांकि अब इसमें कुछ कटौती का ऐलान किया गया है। लेकिन फिलहाल पहले घोषित फीस वृद्धि के आधार पर गणना करते हैं।

नई फीस में कमरे के किराये में कई गुना बढ़ोतरी की गई। हॉस्टल फीस में  प्रति माह 10/20 रुपये से 300/600 रुपये प्रति माह बढ़ोतरी घोषित की गई। इसके आलावा 1,700 रुपये प्रति माह का नया सर्विस चार्ज भी जोड़ा गया। जिसके बाद  मासिक हॉस्टल फीस 2,000-2,300 रुपये तक हो जाती है। अन्य फीस, जैसे Establishment फीस 2,200 रुपये प्रति वर्ष, मेस की फीस 3,000 रुपये प्रति माह  और वार्षिक फीस 300 रुपये समान हैं।

अगर यह फीस लागू होती है तो जेएनयू सबसे महंगा केंद्रीय विश्वविद्यालय बन जाएगा।

बुधवार को, जेएनयू प्रशासन ने छात्रों के बढ़ते प्रदर्शन के बाद फीस में कुछ कटौती की घोषणा की है और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के छात्रों की फीस में कमी करने की घोषणा की। लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं दिखे और उनका प्रदर्शन जारी हैं। लेकिन अभी इस कटौती में कुछ फीस ऐसी हैं जिनके बारे में स्पष्टता नहीं है। जैसे सर्विस चार्ज जिसे जीरो से बढ़ाकर 1700 कर दिया गया था लेकिन इस कटौती के बाद वो कितना होगा इसके बारे में कुछ साफ नहीं है।  

राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में अपने प्रदर्शन के आधार पर शीर्ष 10 केंद्रीय विश्विद्यालय  जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU),  बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU), तेजपुर विश्वविद्यालय, विश्वभारती विश्वविद्यालय, पूर्वोत्तर पहाड़ी विश्वविद्यालय (NEHU) और पांडेचेरी विश्वविद्यालय शामिल हैं।
 
आजकल यह आम धारणा बनी हुई है कि जेएनयू सबसे सस्ता विश्वविद्यालय हैं लेकिन इस अध्ययन में इसके विपरीत पूरी हॉस्टल फीस भी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कम नहीं थी। विश्वभारती विश्वविद्यालय, HCU, AMU, NEHU और पांडेचेरी विश्वविद्यालय ने जेएनयू से कम या उसके सामान ही फीस ली है।  
 
संशोधित फीस जेएनयू को दिल्ली विश्वविद्यालय से भी अधिक महंगा बना देगा। इसके अनुसार भोजन और आवास सहित वार्षिक फीस 40,000- 55,000 रुपये सबसे अधिक होगी।  

 डीयू में 20 अलग-अलग हॉस्टल हैं, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग फीस 5,500 रुपये से लेकर 55,500 रुपये तक है।  

इस अध्ययन के मुताबिक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों को भोजन और आवास दोनों के लिए सालाना औसतन 28,500 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सस्ता है, जिसमें छात्रों को सालाना औसतन 27,400 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय एएमयू 14,400 रुपये में काफी सस्ता है।

वहीं दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में, वार्षिक फीस 35,000 रुपये है। पश्चिम बंगाल में विश्व भारती विश्वविद्यालय सालाना 21,600 रुपये से 30,400 रुपये के बीच फीस लेता है। दक्षिण भारत में विश्वविद्यालय बहुत सस्ते हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय हॉस्टल फीस (1,000 रुपये वार्षिक) के लिए प्रति सेमेस्टर के आधार पर 500 रुपये और मेस के लिए लगभग 13,000 रुपये लेता है, जो वार्षिक कुल 14,000 रुपये है। पांडेचेरी विश्वविद्यालय 12,000 रुपये से 15,200 रुपये के बीच ही फीस हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय हॉस्टल और मेस  फीस की तुलना की तालिका नीचे देखे last.jpg

एक अनुमान के मुताबिक भारत में 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों हैं। उपरोक्त नामों के अलावा, बाकी 15,000 से 35,000 रुपये की सीमा में वार्षिक फीस लेते हैं।

जेएनयू में छात्रों ने बढ़ोतरी का विरोध किया है। हालांकि, प्रशासन का कहना हैं कि यह बदलाव छात्रों से मिले सुझावों के आधार पर किया गया हैं। प्रशासन ने बढ़ोतरी को सही ठहराया है कि पिछले 19 वर्षों में फीस में कोई संशोधन नहीं हुआ है। मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, छात्रों की वंचित श्रेणी की देखभाल के लिए वित्तीय सहायता योजना भी लाई जाएगी।

उधर जेएनयू के छात्रों का कहना है कि यह वृद्धि बहुमत छात्रों को शिक्षा से बाहर कर देगा। छात्रों के अनुसार, जेएनयू में लगभग 40 प्रतिशत छात्र वंचित श्रेणी से आते हैं, जिनके परिवार की मासिक आमदनी 12,000 रुपये से भी कम है।

Central Universities
Fee Hike
JNU
BHU
Aligarh Muslim university
Central University of Hyderabad
Delhi University
Student Protests
Education System In India

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

बीएचयू : सेंट्रल हिंदू स्कूल के दाख़िले में लॉटरी सिस्टम के ख़िलाफ़ छात्र, बड़े आंदोलन की दी चेतावनी

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

SFI ने किया चक्का जाम, अब होगी "सड़क पर कक्षा": एसएफआई

रेलवे भर्ती मामला: बर्बर पुलिसया हमलों के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलनकारी छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने कोचिंग संचालकों पर कसा शिकंजा


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी
    25 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,124 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर कोरोना के मामले में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • weat
    नंटू बनर्जी
    भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?
    25 May 2022
    अनुभव को देखते हुए, केंद्र का निर्यात प्रतिबंध अस्थायी हो सकता है। हाल के महीनों में भारत से निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
  • bulldozer
    ब्रह्म प्रकाश
    हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है
    25 May 2022
    लेखक एक बुलडोज़र के प्रतीक में अर्थों की तलाश इसलिए करते हैं, क्योंकि ये बुलडोज़र अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी चीज़ों को ध्वस्त करने के लिए भारत की सड़कों पर उतारे जा रहे हैं।
  • rp
    अजय कुमार
    कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की
    25 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे…
  • प्रभात पटनायक
    एक ‘अंतर्राष्ट्रीय’ मध्यवर्ग के उदय की प्रवृत्ति
    25 May 2022
    एक खास क्षेत्र जिसमें ‘मध्य वर्ग’ और मेहनतकशों के बीच की खाई को अभिव्यक्ति मिली है, वह है तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया का रुख। बेशक, बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में तथा उनके द्वारा नियंत्रित…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License