NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कटाक्ष: राष्ट्रपिता (देश) से राष्ट्रपिता (विदेश) तक
हमें नहीं लगता कि राष्ट्रपिता-(विदेश) ही रहने में बापू को कोई आपत्ति होगी। बल्कि उन्हें जानने वाले तो कहते हैं कि वह अब और राष्ट्रपिता रहना ही नहीं चाहते हैं। फिर अब मोदी जी तो हैं ही। बुजुर्ग का देश वाला बोझ तो बांट ही सकते हैं।
राजेंद्र शर्मा
02 Oct 2021
Modi
तस्वीर केवल प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए। (फाइल फोटो)

लीजिए, विरोधियों को अब इसमें भी आब्जेक्शन है। कह रहे हैं कि महात्मा गांधी की पदवी में राष्ट्रपिता के साथ ‘विदेश’ की पूंछ क्यों लगा दी। यह तो बापू का पद घटाना है। पद घटाना भी क्या यह तो सीधे-सीधे अपमान है, वगैरह, वगैरह। लेकिन, ये सरासर झूठा प्रचार है। बल्कि देश को बदनाम करने की कोशिश है। एंटी-नेशनल कृत्य है। बाइडेन ने मोदी से मुलाकात में दो-चार बार गांधी जी का नाम क्या ले दिया, विरोधी मोदी जी के इस संकट को ही उन्हें घेरने का अवसर बनाने के चक्कर में हैं। लेकिन, इन्हें ये नहीं पता कि ये दांव मोदी जी पर नहीं लग सकता। उस्तादों पर उन्हीं के दांव नहीं लगाया करते। वैसे भी बाइडन का मोदी जी से मुलाकात में गांधी-गांधी रटना हो या कमला का डैमोक्रेसी-डैमोक्रेसी जपना, मोदी जी के लिए संकट का नहीं धर्मसंकट का मामला था। और धर्मसंकट में संकट सिर्फ कहने को होता है, वर्ना उसके दोनों तरफ धर्म होता है। मोदी जी ने झट से यूएन के एक ही भाषण में विदेशियों के लिए गांधी और डैमोक्रेसी, दोनों को निपटा दिया। विदेश में गांधी राष्ट्रपिता और घर में जनतंत्र की बूढ़ी मां! मोदी जी ने तभी सोच लिया था कि गांधी सारी दुनिया की संपत्ति हैं, उन्हें सिर्फ अपने देश तक सीमित कर के रखना ठीक नहीं है। विदेश में गांधी के सम्मान का हम भी सम्मान कर के दिखाएंगे। 152वें साल से गांधी, राष्ट्रपिता (विदेश) कहलाएंगे!

यह सवाल ही गलत है कि यह गांधी का सम्मान है या अपमान! यह तो विदेश में गांधी के सम्मान का सम्मान है। सम्मान के सम्मान में किसी का अपमान खोजना, इससे बेतुकी बात दूसरी नहीं हो सकती है। उल्टे पूछने वाला सवाल यह है कि आजादी के बाद सत्तर साल में, विदेश में गांधी के सम्मान को उचित सम्मान क्यों नहीं दिया गया। राष्ट्रपिता-राष्ट्रपिता का जाप कर के उन्हें राष्ट्र की सीमाओं में ही बांधकर क्यों रखा गया? छोटी सोच वालों ने बापू का कद घटा दिया और उन्हें विश्व मानव से, सिर्फ भारत राष्ट्र का पिता बना दिया। और जिस तरह के राष्ट्र के पिता होने तक बापू को घटा दिया गया, वह तो खैर सब जानते ही हैं। जिस राष्ट्र को विश्व गुरु के आसन पर बैठाना था, उसे गरीबी मिटाने से लेकर, हवाई जहाज चलाने तक के मामूली कामों में लगा दिया गया, जो पैसे वाले आसानी से कर सकते थे। नतीजा यह कि न माया मिली और न विश्व गुरु का आसन। पर अब वह सब बदल रहा है। मोदी जी टाटा को दोबारा एअर इंडिया थमा रहे हैं और गांधी जी को विश्व गुरु के आसन के लिए प्रमोट कर रहे हैं। अब धनकुबेरों को माया और कमेरों को राम पाने से, कोई नहीं रोक सकता है!

हमें पता है कि आप के मन में जरूर यह सवाल उठेगा कि गांधी अगर अब से  राष्ट्रपिता  (विदेश) होंगे, तो राष्ट्रपिता (देश) क्या कोई और नहीं होगा? फिर यह गांधी का प्रमोशन हुआ या डिमोशन। लेकिन, गांधी के सम्मान-अपमान वाले सवाल की तरह, यह सवाल भी गलत है।

पहली बात तो यह है कि यह सोचना ही गलत है कि गांधी जी को अगर  राष्ट्रपिता (विदेश) घोषित कर दिया जाता है, तो किसी और को राष्ट्रपिता (देश) बनाना ही पड़ेगा। यह मंत्रालयों के बंटवारे का मामला थोड़े ही है कि विदेश मंत्री होगा, तो देश या गृह मंत्री भी होना ही चाहिए। राष्ट्रपिता-विदेश है, इसलिए राष्ट्रपिता -देश भी चाहिए, ऐसा नहीं है। उल्टे हमारे देश के संविधान में तो देश न विदेश,   राष्ट्रपिता का कोई पद ही नहीं है। वैसे भी हरेक देश का कोई न कोई राष्ट्रपिता होता ही हो, ऐसा भी तो नहीं है। इतने सारे देश पूरी तरह से बिना राष्ट्रपिता के काम चला सकते हैं तो क्या हम एक राष्ट्रपिता-देश के बिना काम नहीं चला सकते हैं? और जब राष्ट्रपिता-देश होगा ही नहीं तब तो, फिर राष्ट्रपिता कहें या  राष्ट्रपिता (विदेश), बापू के सम्मान के लिए कोई फर्क नहीं पडऩा चाहिए।

उल्टे  राष्ट्रपिता -(विदेश) ही रहने में गांधी जी का ही फायदा है। वह जब तक  राष्ट्रपिता -(विदेश) बने रहते हैं, सरकार आसानी से यह कहकर उनके विरोधियों को चुप करा सकती है कि यह देश का नहीं विदेश का मामला है और कम से कम विदेश के मामलों में विरोधियों को, सरकार की आवाज में आवाज मिलाकर बोलना चाहिए। परदेश में पूरे देश की एक आवाज सुनाई देनी चाहिए। देश की इज्जत का सवाल है। वर्ना  राष्ट्रपिता  बनने में और उस पर भी देश में  राष्ट्रपिता बनने में कोई कम झंझट थोड़े ही हैं। एक झंझट तो यही कि हमें जिसके बाप का नाम पता है, वह राष्ट्र का पिता कैसे हो सकता है? ऐसे राष्ट्रपिता बनाएंगे तब तो बात राष्ट्रबाबा , राष्ट्रपड़बाबा, पड़बाबा के भी बड़बाबा, लकड़बाबा  और न जाने कहां-कहां तक जाएगी। उसके बाद भी राम ही जानें कि उन तक कनैक्शन पहुंच भी पाएगा या नहीं। वैसे बाप का नाम तो उनका भी पता है! यानी बुढ़ऊ की इज्जत बचानी है, तो राष्ट्रपिता-(देश), के चक्करों से बरी रखना ही ठीक है। कहते हैं इंसान की इज्जत अपने हाथ होती है, तब राष्ट्रपिता की क्यों नहीं! समझदार को इशारा ही काफी होता है। हमसे गारंटी ले लीजिए, विदेश में उनके राष्ट्रपिता के पद को अगले सौ साल तो कोई चुनौती मिलने से रही। लेकिन देश में? सुना है कि सावरकर और गोडसे के बाद, अब तो आप्टेजी भी लाइन में हैं। डैमोक्रेसी की अम्मा का जिंदा होना साबित करने के चक्कर में मोदी जी को देस में राष्ट्रपिता का चुनाव कराना पड़ गया, तो ऐसा न हो कि गांधी जी राष्ट्रपिता (विदेश) के पद से भी जाएं।

हमें नहीं लगता कि राष्ट्रपिता-(विदेश) ही रहने में बापू को कोई आपत्ति होगी। बल्कि उन्हें जानने वाले तो कहते हैं कि वह अब और राष्ट्रपिता रहना ही नहीं चाहते हैं। फिर अब मोदी जी तो हैं ही। बुजुर्ग का देश वाला बोझ तो बांट ही सकते हैं। गांधी जी राष्ट्रपति का विदेश विभाग ही संभालें। देश में मोदी जी देख लेंगे। वैसे भी बहुतों ने उन्हें बाप कहना तो शुरू कर ही दिया है। मोदी जी वहीं से,  राष्ट्रपिता -(देश) का काम तो संभाल ही सकते हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

sarcasm
Gandhi Jayanti
Mahatma Gandhi
Narendra modi
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License