NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
गुजरात दंगा: 15 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत,मृतकों के परिजन निराश
2002 में ओडे कस्बे में 23 मुसलमानों को ज़िंदा जला दिया गया था। इस मामले में 15 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सज़ा दी गई थी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Jan 2020
gujrat
फाइल फोटो : साभार, हिन्दुस्तान

अहमदाबाद: गुजरात में 2002 के गोधरा कांड के बाद आणंद जिले के ओडे कस्बे में हुए एक दंगे में मारे गए लोगों के परिजन मामले के 15 दोषियों को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने से निराश हैं। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे 15 दोषियों को मंगलवार को जमानत दे दी।

न्यायालय ने इन सभी को गुजरात से बाहर मध्य प्रदेश के दो शहरों में रहने और वहां सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया है। इस घटना में अपने परिवार के सात सदस्यों को खोने वाले अनवर अकबर मियां मलिक ने कहा कि वह शीर्ष न्यायालय में जमानत के खिलाफ अपील करना चाहते हैं क्योंकि दोषी ‘‘प्रभावशाली लोग हैं जो जमानत पर बाहर रहने के दौरान उनकी अपील के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।’’

ये 15 व्यक्ति आणंद जिले के ओडे कस्बे में हुए नरसंहार के सिलसिले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। इस दंगे में 23 मुसलमानों को जिंदा जला दिया गया था। मलिक ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का आदेश पूरी तरह से गलत है क्योंकि जो लोग जमानत पर बाहर आए हैं वे अमीर हैं और उनके लिए यह मायने नहीं रखता कि वे यहां रहें या गुजरात के बाहर रहें। वे तब भी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। मैं जमानत के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहता हूं।’’

दंगों के दौरान अपने 22 सगे-संबंधियों को खोने वाले मलिक कासिम मियां ने कहा कि शीर्ष न्यायालय द्वारा दी गई जमानत इस तरह के जघन्य अपराध के दोषियों के बीच एक गलत उदाहरण स्थापित करेगी। यह अन्य लागों को इस तरह के अपराध के लिए प्रेरित कर सकता है। मृतकों के एक अन्य रिश्तेदार--राशिद खान पठान ने हैरानगी जताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय दोषियों को जमानत कैसे दे सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘उन लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाने का निचली अदालत का आदेश उनके अपराध के लिए उपयुक्त था लेकिन उन्हें जमानत देना एक गलत उदाहरण स्थापित करेगा।’’

ओडे की इस घटना के सिलसिले में 2012 में दोषी ठहराये जाने के बाद से ये 15 दंगाई जेल में थे और उन्हें जमानत दी गयी है क्योंकि गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी अपील शीर्ष अदालत में लंबित है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे 15 दोषियों की ओर से दायर चार याचिकाओं पर विचार के बाद कई शर्तों के साथ मंगलवार को उन्हें जमानत दी। पीठ ने इन दोषियों को दो समूहों में बांट दिया है।

जमानत की शर्तों के तहत ये दोषी गुजरात से बाहर रहेंगे और ये मध्य प्रदेश के दो शहरों-इन्दौर और जबलपुर- में रहेंगे। इन सभी दोषियों को नियमित रूप से वहां के थानों में हाजिरी देनी होगी। पीठ ने कहा, ‘‘वे दोषी वहां (इन्दौर और जबलपुर में) एक साथ नहीं रहेंगे। उन्हें जमानत की शर्त के अनुसार सप्ताह में छह घंटे सामुदायिक सेवा करनी होगी।’’ पीठ ने कहा कि इन सभी को अपनी सामुदायिक सेवाओं के बारे में संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रमाण पत्र भी सौंपना होगा। पीठ ने मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को तीन महीने बाद अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया जिसमें उसे बताना होगा कि दोषियों ने जमानत की शर्तों का पालन किया है या नहीं? शीर्ष अदालत के आदेश की रोशनी में इंदौर का जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इस नये प्रयोग को अमली जामा पहनाने का खाका तैयार करने के लिये सोच-विचार में जुट गया है।

अदालत के आदेश के मुताबिक छह दोषियों का एक समूह इंदौर में रहकर सामुदायिक सेवा करेगा। उच्चतम न्यायालय ने दोनों जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरणों से यह भी कहा है कि वे इन दोषियों को उचित रोजगार दिलाने में मदद करें। इंदौर के जिला विधिक सहायता अधिकारी सुभाष चौधरी ने बुधवार को "पीटीआई-भाषा" से कहा, "मुझे समाचार पत्रों के जरिये जानकारी मिली है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक गुजरात दंगों के कुछ दोषी जमानत की शर्तों के तहत जेल से छूटकर इंदौर आने वाले हैं। हम इस आदेश की रोशनी में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के आगामी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे।"

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

2002 Gujrat riots
Communalism
Supreme Court
ode kasba
hindu muslim in gujrat

Related Stories

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन


बाकी खबरें

  • अनिल जैन
    भाजपा-विरोध की राजनीति पर राहुल गांधी ने गहरी चोट पहुंचाई है
    19 May 2022
    भाजपा के ख़िलाफ़ एक व्यापक और मज़बूत विपक्षी मोर्चा बने, इसके लिए विपक्ष में सबसे बड़ी और अखिल भारतीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस ही नेतृत्वकारी पहल कर सकती है। लेकिन राहुल के बयान से लगता है कि वे ऐसे…
  • भाषा
    भाजपा में शामिल हुए पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़
    19 May 2022
    भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में जाखड़ ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु : विकलांग मज़दूरों ने मनरेगा कार्ड वितरण में 'भेदभाव' के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया
    19 May 2022
    विकलांग मज़दूरों को तय 4 घंटों की जगह 8 घंटे तक काम करने पर मजबूर किया जाता है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया
    19 May 2022
    कोलकाता में हुई डीवाईएफ़आई की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में 26 राज्यों के 450 डेलीगेट शामिल हुए।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेट : ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी अदालत को सौंपी गयी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे कल तक कार्यवाही रोकने को कहा
    19 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थानीय अदालत को इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से बचना चाहिए। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले पर शुक्रवार की दोपहर तीन बजे सुनवाई होगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License