NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नीतीश, तेजस्वी, समेत बिहार के 10 दलों ने जातिगत जनगणना के समर्थन मे की मोदी से मुलाकात
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के प्रतिनिधिमंडल की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि जाति आधारित जनगणना से विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से तैयार करने में मदद मिलेगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Aug 2021
नीतीश, तेजस्वी, समेत बिहार के 10 दलों ने जातिगत जनगणना के समर्थन मे की मोदी से मुलाकात
Image courtesy : NDTV

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य के 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने देश भर में जाति आधारित जनगणना कराए जाने के समर्थन में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के प्रतिनिधिमंडल की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि जाति आधारित जनगणना से विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से तैयार करने में मदद मिलेगी।

प्रतिनिधिमंडल में नीतीश कुमार के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत कई अन्य दलों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। नीतीश और तेजस्वी ने जाति आधारित जनगणना का मजबूती से समर्थन किया।

कुमार ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी बात धैर्य से सुनी। इस मामले पर प्रधानमंत्री के रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मोदी ने इसे (जाति आधारित जनगणना को) ‘‘खारिज नहीं’’ किया और हरेक की बात सुनी।

उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना से विभिन्न विकास योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने जाति आधारित जनगणना के समर्थन में कहा कि यह गरीबों के लिए मददगार साबित होने वाला ‘‘ऐतिहासिक’’ कदम होगा। उन्होंने कहा कि यदि पशुओं और पेड़ों की गणना की जा सकती है तो लोगों की भी गणना की जा सकती है।


आलोचकों का दावा है कि जाति आधारित जनगणना जातिवाद और दुश्मनी को बढ़ावा दे सकती है। इस बारे में, यादव ने कहा कि लोगों की धार्मिक संबद्धता पर आधारित जनगणना के कारण कभी हिंसा नहीं भड़की।

राजद नेता ने कहा कि जाति आधारित जनगणना से सरकार को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि सबसे गरीब लोग कौन हैं और फिर उनकी मदद के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मांग केवल बिहार के संबंध में नहीं, बल्कि पूरे देश में विभिन्न जातियों के लोगों की गणना के संबंध में है। कुमार और यादव ने इस बैठक के लिए मोदी को धन्यवाद दिया।

यह पूछे जाने पर कि कुमार की जनता दल (यूनाइडेट) पार्टी और राजद ने इस मामले पर हाथ मिलाया है, तो क्या दोनों दल निकट आ रहे हैं, यादव ने कहा कि बिहार में विपक्ष ने जन समर्थक और राष्ट्रीय हित के कदमों के लिए सरकार का हमेशा समर्थन किया है।

इस बैठक में वाम दल भाकपा-माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने जाति गणना के संबंध में अपने तर्कों से प्रधानमंत्री को अवगत करवाया।  

उन्होंने कहा कि 1931 के बाद कोई जाति गणना हुई ही नहीं. जबकि इस बीच आबादी की संरचना में बड़ा बदलाव आया है. सामाजिक तौर पर दलित-पिछड़ी जातियों के उत्थान संबंधी योजनाओं और आरक्षण को तर्कसम्मत बनाने के लिए जाति गणना बेहद आवश्यक है. अभी तक इस समुदाय के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण है. लेकिन सामाजिक विज्ञानियों का मत है कि यह आबादी लगभग 70 प्रतिशत है. कुछेक लोग तो इससे भी ज्यादा मानते हैं. अतः दलित-पिछड़े समुदाय की जनसंख्या का सही निर्धारण और उसी के अनुसार आरक्षण व सरकारी योजनायें तभी बनाई जा सकती हैं, जब जाति आधारित गणना होगी.

उन्होंने यह भी कहा कि यह जाति गणना सभी धर्मावलंबी समुदायों में होनी चाहिए. ऐसा नहीं है कि मुस्लिम समुदाय में जाति व्यवस्था नहीं है. बिहार के सीमांचल में रहने वाली तकरीबन 1 करोड़ सूरजापूरी आबादी को बिहार सरकार  ओबीसी के दायरे में मानती है, लेकिन केंद्र सरकार की सूची में यह बड़ी आबादी कहीं भी चिन्हित नहीं की गई है. जिसके कारण इस समुदाय को सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाना पड़ता है. इसलिए हम चाहते हैं कि बिना किसी भेदभाव के सभी धर्म मानने वालों की जाति आधारित गणना की जाए.

माले विधायक दल नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित सभी दलों के नेताओं की बातों को गंभीरता से सुना. हमें विश्वास है कि प्रधानमंत्री से हुई इस मुलाकात के बाद जाति गणना की दिशा में सकारात्मक कदम उठाये जाएंगे.
प्रतिनिधिमंडल में शामिल भाजपा नेता जनक राम ने कहा कि मोदी ने ‘‘एक परिवार के संरक्षक’’ की तरह सभी की राय सुनी। उन्होंने कहा कि हर कोई ‘‘संतुष्ट’’ है और प्रधानमंत्री का फैसला सभी को स्वीकार्य होगा।

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री राम ने इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या वह जातीय जनगणना का समर्थन करते हैं, लेकिन यह जरूर कहा कि मोदी पूरी तरह समझते हैं कि कैसे देश का सर्वांगीण विकास हो सकता है और वह उस हिसाब से काम कर रहे हैं।

वैसे तो भाजपा ने इस मांग में बिहार विधानसभा से पारित किये गये दो प्रस्तावों का समर्थन किया था लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इस मुद्दे पर अबतक कोई स्पष्ट रूख नहीं अपनाया है। उधर, कई क्षेत्रीय दलों ने इस मुद्दे को लपक लिया है, उनमें से कई दल विभिन्न राज्यों में एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं।

राम ने कहा कि अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों की जनसंख्या की नियमित गणना की जाती है और मोदी स्वयं अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं । उन्होंने कहा कि पहली बार देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जिसने विकास को जाति जैसे मुद्दों से आगे रखा है।

दलित नेता ने कहा, ‘‘ सभी ने अपने-अपने विचार रखे और मोदी ने परिवार के अभिभावक की भांति उनकी बातें धैर्य से सुनीं.... जो भी वह फैसला करेंगे, वह सभी को स्वीकार्य होगा।’’

जाति के आधार पर जनगणना के बड़े राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं और भाजपा के सहयोगियों सहित कई क्षेत्रीय दलों ने इसका समर्थन किया है, क्योंकि उनका मानना है कि यह ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग को मजबूत करेगा। उनके अनुमान के अनुसार, जनसंख्या का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ओबीसी है और उसे 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। हालांकि, भाजपा के कई ओबीसी नेता इस मांग का समर्थन करते हैं, लेकिन पार्टी ने अभी तक इस गंभीर मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

Bihar
Tejashwi Yadav
Nitish Kumar
caste census
Bihar caste census

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

रालोद के सम्मेलन में जाति जनगणना कराने, सामाजिक न्याय आयोग के गठन की मांग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License