NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
11वॉ राष्ट्रीय महाधिवेशन मेजबानी के लिए तैयार हुआ भोपाल
अ.भा.जनवादी महिला समिति के 11वें राष्ट्रीय महाधिवेशन की शुरूआत 10 दिसम्बर को एक रैली एवं आमसभा से होनी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Dec 2016
11वॉ राष्ट्रीय महाधिवेशन मेजबानी के लिए तैयार हुआ भोपाल

अ.भा.जनवादी महिला समिति के 11वें राष्ट्रीय महाधिवेशन की शुरूआत 10 दिसम्बर को एक रैली एवं आमसभा से होनी है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक म.प्र. की भाजपा सरकार का प्रशासन इस रैली-सभा की अनुमति देने को तैयार नहीं है। स्वागत समिति के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए भोपाल के कलेक्टर ने न सिर्फ शहर के प्रतिष्ठित इकबाल मैदान में सभा की अनुमति देने से साफ इंकार कर दिया। बल्कि यहां तक कहा कि अब उस यादगार-ए- शाहजहानी पार्क में भी रैली सभा नहीं करने दी जायेगी, जो भोपाल के राजधानी बनने के बाद से ही दिल्ली के जंतर-मंतर की तरह सभाओं, प्रदर्शनों, रैलियों का मुख्य केन्द्र रहा है। 

मध्यप्रदेश  में यह अनोखी बात नहीं है। यहां शहरों से गांवों तक, हॉल और सभागृहों से खलिहानों तक हर जगह अनंतकाल के लिए स्थायी रूप से धारा 144 लगी हुई है। यह शायद दुनिया का इकलौता इलाका है जहां साइबर स्पेस-फेसबुक-ट्विटर-व्हाट्सएप्प पर भी धारा 144 लगी है। यह बात अलग है कि उन्मादियों, हुडदंगियों, संघियों, बजरंगियों को चाहे जहां, चाहे जो करने की खुली छूट है। 
पिछले महीने हुए फर्जी एनकाउण्टर के बाद से पूरे प्रदेश को सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत करने की कमान तो खुद मुख्यमंत्री संभाले हुए हैं।      

बहरहाल इन सब व्यवधानो के बाबजूद म.प्र.की जनवादी महिला समिति प्रदेश के जनवादी आंदोलन के साथ हाथ में हाथ 
मिलाकर इस राष्ट्रीय महाधिवेशन की मेजबानी में लगी है। 

जून में ही सम्मेलन के लिये स्वागत समिति का गठन किया जा चुका है, जिसके अध्यक्ष देश के प्रमुख रचनाकार राजेश जोशी है। जोशी हाल के दौर में असहिष्णुता की और बर्बरता की संस्कृति को पनपाने वाली केंद्र सरकार के रचनात्मक विरोध के रूप में अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वालों में से एक है। स्वागत समिति की सचिव बीजीवीएस की पूर्व राष्ट्रीय सचिव आशा मिश्रा हैं । स्वागत समिति के अन्य सदस्य विभिन्न संगठनों और भोपाल के प्रतिष्ठित सम्मानित नागरिकों में से हैं। 

संरक्षक मंडल में मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार श्री लज्जाशंकर हरदेनिया,  इमर्जेंसी के बाद बनी जनतापार्टी की सरकार की महिला बाल विकास मंत्री रहीं और बाद में महिला आंदोलन की वरिष्ठ नेत्रियो में से एक श्रीमती सविता बाजपेयी और जनवादी महिला समिति की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उर्मिला सिंह हैं। इस संरक्षक मंडल की एक सदस्य मध्यप्रदेश की महिला आंदोलन की वरिष्ठतम नेत्री और एन एफ आई डब्ल्यू की नेता डॉ नुसरत बानो रूही भी थीं लेकिन अचानक हुई बीमारी और उससे उबर न पाने के चलते उनका इस बीच इंतकाल हो गया। एक अन्य सदस्य भोपाल गैस पीडि़तों के बीच सक्रिय अब्दुल जब्बार है। 

मध्यप्रदेश का हर जनवादी व प्रगतिशील संगठन जनवादी महिला समिति के सम्मेलन को सफल करने के लिये अपनी हर संभव कोशिश में लगा हुआ है। सुदूर कोने के सिंगरौली में स्थित कोयला खदानों के मजदूर, शहडोल से रतलाम तक के बेहद गरीब आदिवासी इलाके के आदिवासी, मुरैना के इलाकों के किसान और महाकौशल, मालवा और मध्य क्षेत्र की महिला कामगार तथा असंगठित क्षेत्र के मजदूर इस सम्मेलन के लिये फं ड एकत्रित कर रहे हैं। भारत ज्ञान विज्ञान समिति, मध्य प्रदेश विज्ञान सभा से होते हुये जनवादी लेखक संघ सहित सीटू से जुड़े कोयला, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, एल आईसी, बैंक, इन्कमटैक्स, पोस्टल, केंद्रीय कर्मचारी से  लेकर निर्माण मजदूर, आंगनबाड़ी, आषा-उषा, घरेलू कामगार तक इस सम्मेलन के लिये अपने अपने क्षेत्रों के बीच फं ड एकत्र करने के साथ साथ 10 दिसंबर की रैली की तैयारी भी कर रहे हैं।

जनवादी महिला समिति की हर इकाई ने अपने सदस्यों को भी फंड का लक्ष्य दिया था जो पूरा किया जा रहा है।

सम्मेलन मध्य प्रदेश के सबसे युवा शहर और इसकी खूबसूरत राजधानी भोपाल में हो रहा है। यद्यपि शहर युवा है लेकिन इसकी दो दिशाआें में मानव सभ्यता की विरासत के दो ऐतिहासिक स्मारक हैं। एक दिशा में है भीम बैठका की गुफायें जिसमें प्रागैतिहासिक मानव की पेंटिंग्स हैं और दूसरी दिशा में है सांची जहां पर स्थित बौद्ध स्तूप किसी भी परिचय का मोहताज़ नहीं है।  सम्मेलन के लिये शहर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज ओरियेंटल कॉलेज के ऑडिटोरियम को चुना गया है। रूकने की व्यवस्थायें कुछ हॉस्टलों में की गयी हैं। 

10 से 14 दिसंबर तक होने वाले इस सम्मेलन के लिये 9 दिसंबर से आने वाले भोपाल आने वाले साथियों की अगवानी करने के लिये भोपाल तैयार हो रहा है। हर मुश्किल और व्यवधान इसके आयोजको की जिद को और बढ़ा ही रहा है। 

 

ऐडवा
भोपाल
जनवादी महिला समिति

Related Stories

सिमी एनकाउंटर पर बने जुडिशियल कमिशन की रिपोर्ट तैयार, एमपी पुलिस को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License