NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
15वें वित्त आयोग: एक टाइम बम पर
नया वित्त आयोग 1971 के बजाय 2011 की जनगणना का उपयोग अपनी संदर्भ के लिए करेगा, और इस प्रकार वह दक्षिणी राज्यों को दंडित करेगा जिनकी जनसंख्या वृद्धि दर बहुत कम है।
सुबोध वर्मा
20 Feb 2018
Translated by महेश कुमार
census

मोदी सरकार ने एक नीचले स्तर की सार्वजनिक अधिसूचना जारी की है, जो कि एक जिंदा बम के अलावा कुछ भी नहीं है। नये स्थापित 15वें वित्त आयोग ने यह घोषणा की कि वह 2011 की जनगणना को केंद्रीय सिफारिशों के आधार के रूप में मानती है और केन्द्रीय पूल से राज्यों को कितनी धनराशि स्थानांतरित कि जायेगी वह उसका आधार होगा। यह नौकरशाही प्रक्रिया के एक रहस्यमय हिस्से की तरह लग सकता है लेकिन वास्तविकता में इसके व्यापक प्रभाव होंगे।

2018-19 में, केंद्रीय सरकार ने राज्यों को कुल 12.69 लाख करोड़ रुपये का कुल हस्तांतरण माना है, यह मुख्यतः 14 वें वित्त आयोग के आधार पर तैयार वितरण सूत्र का सुझाव है। पिछले रुझानों के अनुसार, यह राज्यों द्वारा किए गए सभी खर्चों में से एक तिहाई होगा। आबादी के आधार वर्ष में एक बदलाव का मतलब होगा कि कुछ राज्यों को संसाधनों के विशाल आवंटन से वंचित किया जाएगा जबकि अन्य राज्य बहुत अधिक हिस्से का तदनुसार लाभ उठाएंगे।

लेकिन पहले, इसकी पृष्ठभूमि पर नज़र डाल लें, वित्त आयोग का गठन सरकार द्वारा किया जाता है और भारत सरकार समय-समय पर सरकार के विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध संसाधनों का विश्लेषण करती है और अनुशंसा करती है कि केंद्र सरकार अपने धन का कितना हिस्सा लें और विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा करें। यह आवश्यक है क्योंकि संविधान ने राज्यों के साथ इन्हें साझा करने के लिए, उस राजस्व को जो केंद्रीय सरकार के पास अधिक बड़े स्रोतों के साथ मौजूद होता है, की आवश्यकता पर विचार किया है। संविधान के विभिन्न लेख (अनुच्छेदों) (268-271, 274, 275, 280, 281) में इस महत्वपूर्ण मुद्दे का प्रावधान मिलता है। अनुछेद 280 के अनुसार वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा और इसकी सिफारिशों को संसद के समक्ष रखा जाएगा।

वित्त आयोग (जिन्हें अब तक 14 बार नियुकत किया गया है, को हर पाँच साल में एक बार नियुकत किया जात है) प्रत्येक राज्य को कितने संसाधनों को स्थानांतरित करेगा का निर्णय लेने के लिए एक जटिल सूत्र का उपयोग करता हैं। इस साझाकरण के लिए विचार किए जाने वाले मुद्दे जो इसमे शामिल हैं वे आबादी (अधिक आबादी, अधिक संसाधन),  क्षेत्र (अधिक क्षेत्र, अधिक संसाधन),  औसत आय (आमतौर पर यह माना जाता है कि देश की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है, या देश के लिए औसत से - कम यह अधिक संसाधन है)। इन सभी कारकों को सूत्र के रुप में इसतेमाल किया जाता हैं।

पिछले कुछ वित्त आयोग की रिपोर्ट में, राज्यों की जनसंख्या पर विचार करने के लिए 1971 की जनगणना को आधार वर्ष के रूप में लिया गया था। इस पर एक आम सहमति थी हालांकि, पिछले 14 वें एफसी में, पहली बार 2011 की जनसंख्या को 10 प्रतिशत को  वेटेज दिया गया था जबकि 1 971 की आबादी के लिए 17.5 प्रतिशत को बनाए रखा गया था।

वर्तमान सरकार ने 2011 के नए आबादी के लिए आधार वर्ष के रूप लेने के लिये नए 15 वीं वित्त आयोग को निर्देश देकर  1971 के आधर साल न उपयोग करने के निर्देश देकर इस आम सहमति को तोड़ दिया है।

यह क्या मायने रखता है?  यह इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि 1971 और 2011 के बीच की अवधि में राज्यों में असमान जनसंख्या वृद्धि हुई है। कुछ राज्यों में जनसंख्या अन्य की तुलना में बहुत कम हो गई है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु की आबादी में 75% और केरल मे 56% की वृद्धि हुई है, जबकि राजस्थान में यह 166%, हरियाणा में 156% और बिहार में 146% है। इसलिए, 1971 से 2011 की आबादी का एक बदलाव का मतलब यह होगा कि जनसंख्या के आधार पर संसाधनों का हिस्सा तमिलनाडु और केरल के लिए नीचे जाएगा और राजस्थान, हरियाणा आदि में वृद्धि होगी।

दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जिन राज्यों मे प्रजनन दर में गिरावट आइ है तो इसके आधार पर कम जनसंख्या वृद्धि दर को दंडित किया जाएगा, जबकि राज्यों में तेज़ी से विस्तार करने वाली आबादी जैसे कई उत्तरी राज्यों को अधिक संसाधन मिलेगा।

तर्क है कि अधिक आबादी को अधिक संसाधन आकर्षित मिलना चाहिए एक तरह से यह ध्वनि तार्किक है लेकिन, यह तर्क भी है कि जो राज्य कम हो रही विकास दर दिखा रहे हैं उन्हें अनुचित रूप से प्रगति के लिए विसंगत रूप से दंडित किया जायेग।

यहां तक कि जब 14 वीं वित आयोग ने 2011 की आबादी के आधार पर केवल 10% का  आधार अपनाया था, तो केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इसका जोरदार विरोध किया था और दावा किया था कि उन्हें दंडित किया जा रहा है और वास्तव में उन्हें उनकि जनसंख्या वृद्धि दरों कम होने कि वजह से वंचित किया गया है।

लेकिन इस बार, मोदी सरकार ने एकतरफा निर्णय लिया है, और बिना किसी परामर्श के, जनसंख्या आधार वर्ष के रूप में घोषित 2011 को मान लिय है इससे दक्षिणी राज्यों में बहुत विवाद पैदा हो सकता है।

क्या इस गतिरोध से बाहर आने का कोई रास्ता है? योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन और 14 वें एफसी के अंशकालिक सदस्य के अनुसार, दोनों पक्षों को नए 15 वीं एफसी को संतुलित किया जाना चाहिए।

"एक तरह से आबादी में गिरावट की दर को कुछ महत्व देना होगा इसलिए, 2011 की आबादी अन्य कम्प्यूटेशंस के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, आबादी में गिरावट का महत्व कश्मीर और तमिलनाडु जैसे राज्यों की सहायता करेगा, "उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया।

सेन ने जोर देकर कहा कि 1971 की एक आम सहमति थी जिसे 15 वें वित आयोग ने अचानक से तोड़ा और इससे  समस्या पैदा होनि है।

सरकार ने लोगों से कहा है कि वे 15 वें एफसी के संदर्भ पर सुझाव दें और यह आशा व्यक्त की जा रही है कि दक्षिणी राज्यों और कई अन्य संबंधित समूहों ने नई व्यवस्था का जोरदार विरोध किया है। उम्मीद है कि सरकार इन विचारों को ध्यान में रखेगा - अन्यथा एक खतरनाक विभाजन आने वाले दिनों में पैदा होना तय है।

census
मोदी सरकार
जन संख्या
फाइनेंस कमीशन
15वां फाइनेंस कमीशन

Related Stories

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

जनगणना जैसे महत्वपूर्ण कार्य को क्यों टाल रही है सरकार?

नहीं, भारत "मुस्लिम-राष्ट्र" नहीं बनेगा! 

जाति-जनगणना : क्यों और कौन कर रहा है विरोध?

विशेष: गिनने और न गिनने के बीच जीती जागती जाति

किसान आंदोलन के नौ महीने: भाजपा के दुष्प्रचार पर भारी पड़े नौजवान लड़के-लड़कियां

पटनायक ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र,जनगणना कार्य स्थगित करने की अपील

कोरोना से ब्राजील में जनगणना रुक सकती है तो भारत में NPR क्यों नहीं?

एनपीआर के विरोध में 1000 से ज़्यादा महिलाओं का मुख्यमंत्रियों के नाम पत्र


बाकी खबरें

  • Tapi
    विवेक शर्मा
    गुजरात: पार-नर्मदा-तापी लिंक प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी!
    18 May 2022
    गुजरात के आदिवासी समाज के लोग वर्तमान सरकार से जल, जंगल और ज़मीन बचाने की लड़ाई लड़ने को सड़कों पर उतरने को मजबूर हो चुके हैं।
  • श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    18 May 2022
    उत्तर प्रदेश सीपीआई-एम का कहना है कि सभी सेकुलर ताकतों को ऐसी परिस्थिति में खुलकर आरएसएस, भाजपा, विहिप आदि के इस एजेंडे के खिलाफ तथा साथ ही योगी-मोदी सरकार की विफलताओं एवं जन समस्याओं जैसे महंगाई, …
  • buld
    काशिफ़ काकवी
    मध्य प्रदेश : खरगोन हिंसा के एक महीने बाद नीमच में दो समुदायों के बीच टकराव
    18 May 2022
    टकराव की यह घटना तब हुई, जब एक भीड़ ने एक मस्जिद को आग लगा दी, और इससे कुछ घंटे पहले ही कई शताब्दी पुरानी दरगाह की दीवार पर हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दी गई थी।
  • russia
    शारिब अहमद खान
    उथल-पुथल: राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझता विश्व  
    18 May 2022
    चाहे वह रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध हो या श्रीलंका में चल रहा संकट, पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता हो या फिर अफ्रीकी देशों में हो रहा सैन्य तख़्तापलट, वैश्विक स्तर पर हर ओर अस्थिरता बढ़ती…
  • Aisa
    असद रिज़वी
    लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन
    18 May 2022
    छात्रों ने मांग की है कि प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन पर लिखी गई एफ़आईआर को रद्द किया जाये और आरोपी छात्र संगठन एबीवीपी पर क़ानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License