NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गुजरात में एक ही परिवार के नाम पर जारी कर दिए गए 1700 आयुष्मान भारत कार्ड : रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के नाम पर 109 आयुष्मान भारत कार्ड जारी किए गए, इनमें से 57 कार्ड तो मोतियाबिंद के इलाज के लिए थे। इन बातों का खुलासा नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के हवाले से एक हिंदी अख़बार की रिपोर्ट में हुआ है। बता दें एनएचए ने दो लाख फ़र्ज़ी कार्ड बनाए जाने की बात कही है।
दित्सा भट्टाचार्य
04 Jan 2020
Ayushman

हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयुष्मान भारत योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पाई गई हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक़, इस योजना में दो लाख फ़र्ज़ी गोल्डन कार्ड जारी किए गए हैं। इनका खुलासा नेशनल हेल्थ अथॉ़रिटी (एनएचए) ने ख़ुद किया है। प्राथमिक जांच में हुए खुलासे में ज़रूरतमंदों की संख्या और सेवा गुणवत्ता में अनियमित्ताएं पाई गई हैं। आगे होने वाली जांच में पूरी तस्वीर सामने आएगी, जो और बदतर हो सकती है।

योजना में सबसे ज़्यादा अनियमित्ताएं उत्तरप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड और झारखंड में पाई गईं। यहां जो लोग इस योजना के लिए योग्य नहीं हैं, उन्हें भी कार्ड जारी कर दिए गए। एनएचए को यह भी शक है कि बहुत सारे निजी अस्पताल भी इस योजना में ''ग़लत दावे'' जारी कर फ़ायदा उठा रहे हैं। प्राथमिक जांच में पाया गया कि क़रीब 67 अस्पतालों ने गलत दावे पेश किए हैं। इन अस्पतालों को सरकार पैसा भी दे चुकी है। ग़लत दावों की खोज के बाद इन अस्पतालों पर भारी जुर्माना लगाया गया। फ़र्ज़ी बिल लगाकर पैसा निकलवाने के इस खेल के चलते 171 अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया कि एनएचए ने गुजरात के एक अस्पताल ''आरोग्य मित्र'' ने एक ही परिवार के नाम पर 1,700 कार्ड जारी कर दिए। इसी तरह छत्तीसगढ़ में एक परिवार के नाम पर 109 कॉर्ड जारी किए गए। इनमें से 57 कॉर्ड तो सिर्फ़ मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए बनाए गए हैं।

पंजाब में दो परिवारों के नाम पर 200 कार्ड बनाए गए। इनमें से कुछ कार्ड ऐसे लोगों के नाम पर जारी हुए, जो राज्य में रहते भी नहीं हैं। मध्यप्रदेश में भी एक परिवार के नाम पर 322 कार्ड जारी किए गए।

रिपोर्ट में एक और किस्म की अनियमित्ता का खुलासा हुआ। झारखंड में एक मरीज़ को दो अस्पतालों में भर्ती बताया गया। जब इन दोनों अस्पतालों ने भुगतान के लिए आवेदन दिया, तो सरकार ने इन दोनों को पैसे भी दे दिए। छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया। उत्तरप्रदेश में तो एक अस्पताल ने ''इलाज की एक प्रक्रिया'' का नाम बदलकर फ़र्ज़ी दावा लगा दिया। जबकि यह प्रक्रिया एक दूसरी सरकारी योजना में बिलकुल मुफ़्त थी। 

यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री की झंडाबरदार योजना ''आयुष्मान- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (ABPM-JAY)'' में विसंगतियां पाई गई हैं। 2019 के नवंबर माह में प्रकाशित हुई एनएचए की रिपोर्ट में भी निजी अस्पतालों की संख्या और दावों पर सरकार द्वारा किए भुगतान में बड़ा झोलझाल पाया गया था। कुछ इलाज प्रक्रियाओं की क़ीमत में भी गड़बड़ियां थीं। यह पाया गया कि निजी अस्पताल इलाज-भुगतान के लिए लगाए जाने वाले अपने दावों में पैसे बढ़ाकर बता रहे थे। मतलब सरकारी अस्पतालों में यही इलाज काफ़ी कम क़ीमत में उपलब्ध है।

रिपोर्ट के मुताबिक़, इस योजना का लाभ उठाने वाले 49 लाख लोगों में से क़रीब 63 फ़ीसदी, मतलब 33 लाख लोगों ने निजी अस्पतालों का लाभ उठाया। 3,767 करोड़ रुपयों (क़रीब 75 फ़ीसदी) का भुगतान निजी अस्पतालों को किया गया। वहीं सरकारी अस्पतालों में 1,237 करोड़ रुपये इलाज में ख़र्च किए गए।

सरकार द्वारा प्रकाशित एक पेपर में आयुष्मान योजना में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए मिलने वाले फ़ायदे में भी सरकारी और निजी अस्पतालों में बहुत गड़बड़ियां पाई गई हैं। इस पेपर में ग्रीनफ़ील्ड स्टेट में PMJAY द्वारा नवजात शिशुओं के लिए दिए जाने वाली सुविधाओं का विश्लेषण किया गया। ग्रीनफ़ील्ड स्टेट, वे राज्य हैं जिनमें PMJAY के पहले कोई बीमा योजना की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। विश्लेषण में पाया गया कि इन राज्यों में ज़्यादातर दावे निजी अस्पतालों द्वारा किए जा रहे हैं। ग्रीनफ़ील्ड राज्यों में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, मेघालय, मिज़ोरम, बिहार, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और केंद्रशासित प्रदेश दादरा व नगर हवेली आते हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए  लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Ayushaman Bharat
Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana
AB-PMJAY
National Health Authority
Dainik Bhaskar
Corruption in PMJAY
Corruption
BJP
Narendra modi
Greenfield states

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • कैथरीन स्काएर, तारक गुईज़ानी, सौम्या मारजाउक
    अब ट्यूनीशिया के लोकतंत्र को कौन बचाएगा?
    30 Apr 2022
    ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति धीरे-धीरे एक तख़्तापलट को अंजाम दे रहे हैं। कड़े संघर्ष के बाद हासिल किए गए लोकतांत्रिक अधिकारों को वे धीरे-धीरे ध्वस्त कर रहे हैं। अब जब ट्यूनीशिया की अर्थव्यवस्था खस्ता…
  • international news
    न्यूज़क्लिक टीम
    रूस-यूक्रैन संघर्षः जंग ही चाहते हैं जंगखोर और श्रीलंका में विरोध हुआ धारदार
    29 Apr 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार ने पड़ोसी देश श्रीलंका को डुबोने वाली ताकतों-नीतियों के साथ-साथ दोषी सत्ता के खिलाफ छिड़े आंदोलन पर न्यूज़ क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ से चर्चा की।…
  • NEP
    न्यूज़क्लिक टीम
    नई शिक्षा नीति बनाने वालों को शिक्षा की समझ नहीं - अनिता रामपाल
    29 Apr 2022
    नई शिक्षा नीति के अंतर्गत उच्च शिक्षा में कार्यक्रमों का स्वरूप अब स्पष्ट हो चला है. ये साफ़ पता चल रहा है कि शिक्षा में ये बदलाव गरीब छात्रों के लिए हानिकारक है चाहे वो एक समान प्रवेश परीक्षा हो या…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    अगर सरकार की नीयत हो तो दंगे रोके जा सकते हैं !
    29 Apr 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस अंक में अभिसार बात कर रहे हैं कि अगर सरकार चाहे तो सांप्रदायिक तनाव को दूर कर एक बेहतर देश का निर्माण किया जा सकता है।
  • दीपक प्रकाश
    कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से जितने लाभ नहीं, उतनी उसमें ख़ामियाँ हैं  
    29 Apr 2022
    यूजीसी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पर लगातार जोर दे रहा है, हालाँकि किसी भी हितधारक ने इसकी मांग नहीं की है। इस परीक्षा का मुख्य ज़ोर एनईपी 2020 की महत्ता को कमजोर करता है, रटंत-विद्या को बढ़ावा देता है और…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License