NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
CAA हिंसा के 2 साल: मायूसियों के बीच इंसाफ़ की जद्दोजहद करते मृतकों के परिजन!
20 दिसंबर 2019 को पूरे देश मे CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए, उसी प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में 23 लोगों की जान गई। आज 2 साल बाद मृतकों के परिवारों का क्या हाल है, कैसे जी रहे हैं वो, उनकी न्याय की लड़ाई कहां पहुंची। एक रिपोर्ट
ज़ाकिर अली त्यागी
20 Dec 2021
CAA
20 दिसंबर 2019 को पूरे देश मे CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए, उसी प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में 23 लोगों की मौत हुई।

20 दिसंबर 2019 को पूरे देश मे CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए, उसी प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में 23 लोगों की मौत हुई। आज 2 साल बाद भी मृतकों के परिवार किस तरह जीवन यापन कर रहे है, किस उम्मीद में जी रहे है, न्याय कहां तक मिला, उनको किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इन तमाम सवालों का जवाब तलाशने के लिए न्यूज़क्लिक के लिए मृतकों के परिजनों और इन मामलों को क़ानूनी रूप से अदालतों में देख रहे अधिवक्ता से बात की गई है!

सीएए आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से मारे गये बिजनौर ज़िले के कस्बा नहटौर के 20 वर्षीय सुलेमान के भाई शोएब मलिक ने न्यूज़क्लिक से बताया कि "मेरा भाई ग्रेजुएशन के साथ साथ नोएडा में रहकर UPSC की तैयारी कर रहा था, उसकी तबीयत खराब होने के कारण आंदोलन से एक हफ़्ता पहले ही वह घर आया था, 20 दिसंबर 2019 को जब CAA के विरुद्ध प्रदर्शन हो रहा था तो वह घर से मुहल्ले की मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए निकला था।

शोएब का आरोप है कि बिजनौर के तत्कालीन एसपी संजीव कुमार नहटौर में दौरे पर थे, उनकी ही टीम ने मेरे भाई को मस्जिद के बाहर से उठाया। स्थानीय मदरसा कासिमुल उलूम के गेट के बाहर ले जाकर मेरे भाई के पेट मे गोली मार दी।

मृतक सुलेमान, नहटौर, ज़िला बिजनौर

शोएब ने आगे बताया कि "हमे सुलेमान की लाश 20 दिसंबर की रात अस्पताल में मिली, हमने 7 पुलिसकर्मियों व अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने के लिए जिला अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नही हुई है, हमें अदालत पर पूरा भरोसा है कि हमें जल्द न्याय मिलेगा और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी, अभी तक भले किसी पुलिसकर्मी या अधिकारी पर कोई कार्रवाई ना हुई हो लेकिन इतना ज़रूर कह सकता हूँ उनका प्रमोशन ज़रूर किया गया है क्योंकि उन्होंने मेरे भाई समेत 2 लड़कों की हत्या की थी जिसके बदले में सरकार ने उन्हें इनाम के रूप में प्रमोशन दिया"!

सुलेमान के पिता ज़ाहिद हुसैन का कहना है कि "पुलिस के लोग हम पर समझौते का लगातार दबाव बना रहे हैं, हम इनकार कर देते है तो हमे फ़र्ज़ी केस में फ़साने की धमकियां तक मिलती है, मेरे बेटे की अच्छी सोच थी, वह UPSC कर रहा था। पूरे कस्बे में उसकी जैसी सोच का कोई लड़का नही मिलेगा। अभी तक पुलिस वालों के ख़िलाफ़ अदालत ने न कार्रवाई का आदेश दिया है न हमारी याचिका खारिज की है। हमें अदालत की तरफ़ से तारीख़ उस दिन की दी जाती है जिस दिन हड़ताल होनी होती है, सर आपको तो पता ही है कि सरकार कैसी है, हम फ़िर भी मांग करते है कि हमें न्याय मिलना चाहिए"!

मृतक अनस, नहटौर, ज़िला बिजनौर

नहटौर के कस्बा मौहल्ले में रहने वाले 23 वर्षीय अनस के भी परिजनों के मुताबिक़ CAA आंदोलन के दिन पुलिस की गोली से अनस की मौत हो गई थी। अनस के पिता मोहम्मद अरशद ने हमसे कहा कि "अनस शादी में कॉफी बनाने का काम करता था, वो शादीशुदा था और उसका कुछ ही महीने का बेटा गोद मे था, मैं अपने बेटे के साथ घर के बाहर ही खड़ा था, अनस मेरे पास से कहीं चला गया था तभी किसी ने मुझे बताया कि आपके बेटे को पुलिस ने गोली मार दी है, जैसे ही मैं भागकर पहुंचा तो पुलिस वाले उसकी आंख में गोलीमार भाग रहे थे, मैं अपने बेटे को अस्पताल ले ही जा रहा था कि रास्ते मे उसकी मौत हो गई।

अनस के पिता, अनस के बेटे को गोद में लिए हुए

आज 2 साल के बाद भी सरकार और अदालत ने पुलिस वालों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज नही किया है,अब मैं कुछ नही चाहता हूँ क्योंकि मैंने न्याय की उम्मीद छोड़ दी है। मैं तो ग़रीब आदमी हूँ, इसलिए अब मैं न न्याय की मांग करता हूँ न ही चाहता हूँ कि कोई न्याय दे, मैं बीमार रहता हूँ बस मेरी सलामती की दुआ करना ताकि मैं अनस के छोटे से बच्चे को पालता रहूं!"

20 दिसंबर 2019 को CAA के विरुद्ध हर जिले में प्रदर्शन हो रहा था, उसी प्रदर्शन के दौरान मेरठ में 5 युवकों की मौत हुई, परिजनों के मुताबिक़ सभी की मौत पुलिस की गोली से हुई थी!

मेरठ के अहमद नगर में रहने वाले अलीम पुत्र हबीब की मौत भी CAA आंदोलन के दौरान हुई थी। 20 वर्षीय अलीम के बड़े भाई सलाहुद्दीन से हमारी बात हुई तो सलाहुद्दीन ने बताया कि "मेरा भाई रोजाना की तरह उस रोज भी अपने काम से लौट रहा था। हापुड़ रोड पर पुलिस आंदोलनकारियों पर फायरिंग कर रही थी, एक गोली मेरे भाई के शरीर मे धंस गई, लोग मेरे भाई को अस्पताल ले गये तो अस्पताल ने भर्ती नही किया। तब तक उसकी मौत हो गई।

मृतक अलीम, मेरठ

हमें ख़बर मिली तो हम पहुंचे तो देखा कि अस्पताल ने मेरे भाई की लाश को रोड पर फेंक दिया था जिसको पुलिस उठाकर पोस्टमार्टम के लिए जा रही थी। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद हमें लाश नहीं दी। काफ़ी मिन्नतों के बाद हमें लाश मिली। 2 वर्ष के बाद भी मैं आज विकलांग होते हुए न्याय के लिए अधिकारियों और अदालत के चक्कर काट रहा हूँ लेकिन कोई इंसाफ़ नही मिला। ज़्यादातर राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और देश की नामी संस्थाओं ने हिंसा के तुरंत बाद हमारे घरों में आकर ढांढस बंधाया, हमारा साथ देने का वायदा किया था, लेकिन उन्होंने भी उसके बाद हमारी कोई सुध नही ली है!

अलीम की मौत के बाद रोते-बिलखते भाई व पिता

हाइकोर्ट भी इस मामले में सुनवाई नहीं कर रहा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में कुछ नही किया। अलीम की मौत के बाद अब्बा का भी इन्तिकाल हो गया अब मैं जैसे तैसे कर अपने घर का खर्च चलाता हूँ। इतना कहते हुए सलाहुद्दीन फूट फूटकर रोने लगे"!

45 वर्षीय ज़हीर अहमद मेरठ के भूमिया के पुल इलाके में रहते थे, वे उस वक़्त की परचून की दुकान पर सामान लेने के लिए घर से निकले थे। ज़हीर की पत्नी शाहजहां का दावा है कि "पुलिस घर की गली में ही मेरे पति के सिर में गोली मारकर फ़रार हो गई। हम उन्हें अस्पताल लेकर तो गये लेकिन उनकी मौत मौके पर ही हो चुकी थी।

मृतक ज़हीर, मेरठ

शाहजहां ने बताया कि पति की मौत के बाद में अपनी इकलौती बेटी के साथ चूड़ियों के गुच्छे बनाने का काम करती हूँ। 30 रुपये रोज़ाना कमा लेती हूँ उसी में घर का खर्च चलाती हूँ क्योंकि अब घर मे कोई कमाने वाला नही है। जब तक मेरा पति ज़िंदा था जौं के गोदाम में मज़दूरी करता था, किसी ने अब तक हमारी कोई मदद नहीं की। अदालत में लगातार चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई इंसाफ़ नहीं, मैं चाहती हूँ कि जिन पुलिसवालों ने मुझे विधवा और मेरी बेटी को यतीम कर दिया उन्हें भी ये सब देखने को मिले, अपने दुःख की दास्तां सुनाते हुए शाहजहाँ फफक फफक कर रो पड़ी"

इन तमाम केसों को कानूनी तौर पर अदालतों में देख रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अली ज़ैदी ने बताया कि "क़ानूनी लड़ाई जारी हैं, कोविड के बाद से इलाहाबाद हाइकोर्ट में सुनवाई के लिए अर्ज़ियाँ दी जा चुकी हैं मग़र अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। पुलिस के ख़िलाफ़ एफआईआर के लिए 156(3) में डाले गए  कुछ केसेस हमारे अभी भी जिला अदालतो में चल रहे हैं जिनसे हमें उम्मीद है, हिंसा को लेकर ज़िला अदालत में पुलिस की दाखिल की गई चार्जशीट मनगढंत और फ़िल्मी हैं, जिस पर ज़िरह होगी तो सच्चाई निकल कर आ ही जाएगी। हमारी लड़ाई काफी लंबी है, वक़्त ज़रूर लगेगा मगर हमे पूरा भरोसा है कि मारे गए लोगो के परिवारजनों को इंसाफ मिलेगा और उसके लिए हम आख़िर तक कानूनी लड़ाई लड़ते रहेंगे"!

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

CAA
NRC CAA protest
Deaths in CAA protest
Uttar pradesh
CAA violence
Anti-CAA Votes
communal violence
Yogi Adityanath
UP police

Related Stories

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश


बाकी खबरें

  • Nisha Yadav
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    चंदौली: निशा यादव हत्या मामले में सड़क पर उतरे किसान-मज़दूर, आरोपियों की गिरफ़्तारी की माँग उठी
    14 May 2022
    प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा- निशा यादव का कत्ल करने के आरोपियों के खिलाफ दफ़ा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
  • Delimitation
    रश्मि सहगल
    कैसे जम्मू-कश्मीर का परिसीमन जम्मू क्षेत्र के लिए फ़ायदे का सौदा है
    14 May 2022
    दोबारा तैयार किये गये राजनीतिक निर्वाचन क्षेत्रों ने विवाद के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि विधानसभा चुनाव इस पूर्ववर्ती राज्य में अपेक्षित समय से देर में हो सकते हैं।
  • mnrega workers
    सरोजिनी बिष्ट
    मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?
    14 May 2022
    "किसी मज़दूर ने 40 दिन, तो किसी ने 35, तो किसी ने 45 दिन काम किया। इसमें से बस सब के खाते में 6 दिन का पैसा आया और बाकी भुगतान का फ़र्ज़ीवाड़ा कर दिया गया। स्थानीय प्रशासन द्वारा जो सूची उन्हें दी गई है…
  • 5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    एम.ओबैद
    5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
    14 May 2022
    सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में किए गए सर्वेक्षण में 5 वर्ष से कम उम्र (6-59 महीने) के 58.6 प्रतिशत बच्चे इससे ग्रसित थे जबकि एनएफएचएस-5 के 2019-21 के सर्वे में इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की…
  • masjid
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद: कड़ी सुरक्षा के बीच चार तहखानों की वीडियोग्राफी, 50 फीसदी सर्वे पूरा
    14 May 2022
    शनिवार को सर्वे का काम दोपहर 12 बजे तक चला। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के करीब आधे हिस्से का सर्वे हुआ। सबसे पहले उन तहखानों की वीडियोग्राफी कराई गई, जहां हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License