NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
2018 : आश्रय गृह के शोषण गृह बनने का साल
साल 2018 बेसहारा बच्चियों के लिए एक सदमे की तरह रहा। बिहार, यूपी से लेकर दिल्ली तक एक के बाद एक आश्रय गृह के शोषण गृह बनने की कहानी सामने आती रही।
मुकुंद झा
29 Dec 2018
शेल्टर होम में शोषण के खिलाफ प्रदर्शन (फाइल फोटो)
Image Courtesy: livehindustan.com

दिल्ली के एक और शेल्टर होम में बच्चियों के शोषण की कहानी सामने आई है। द्वारका के सेक्टर 8 स्थित इस आश्रय गृह में करीब 22 लड़कियाँ थीं, जिनको वहां ठीक से खाना तक नहीं दिया जाता था और काम अलग से कराया जाता था। उनके साथ मारपीट भी एक आम बात थी, लेकिन बच्चियों ने जो बताया वो दिल दहलाने वाली बात थी कि कभी कोई गलती होती थी तो उनके  प्राइवेट पार्ट में मिर्च डाल दी जाती  थी।

इससे पहले दिल्ली के ही एक अन्य आश्रय गृह की भी खबर आई थी कि वहाँ से कई लड़कियाँ गायब हो गई थी। इसके साथ ही साल 2018 में पूरे देश के कई राज्यों चाहे वो बिहार हो या उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश या फिर दिल्ली सभी जगह के आश्रय गृहों में इसी तरह की प्रताड़ना और बच्चियों के के यौन शोषण के खुलासे होते रहे।  

द्वारका के आश्रय गृह का पूरा मामला

दिलशाद गार्डन के आश्रय गृह से लड़कियों के गायब होने के बाद दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग से एक टीम गठित करने के लिए कहा था। जिसके बाद दिल्ली महिला आयोग (DCW) द्वारा एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई। इसके द्वारा राजधानी में नाबालिग लड़कियों के लिए बने एक निजी आश्रय गृह का दौरा किया गया। जिसके बाद खुलासा हुआ कि कैसे बच्चियों को प्रताड़ित किया जाता है।

इस समिति के अनुसार यहां बच्चियों को यौन हमले झेलने पड़ते थे। इसके अलावा शारीरिक दंड, घरेलू काम करना और खराब और अनियमित भोजन दिया जाता था।

इसे भी पढ़े :- कितने सुरक्षित हैं दिल्ली के आश्रय गृह

इस समिति की सदस्य रितु मेहरा जो खुद एक  समाज सेविका हैं, ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि “जब हमने आश्रय गृह में छोटी लड़कियों के साथ बातचीत की  तो वे बहुत डरी हुईं थीं। जब हमने उनकी काउंसलिंग की तब  बच्चियों ने हमें बताया कि उनके निजी भागों में मिर्च पाउडर को सबके सामने आश्रय गृह के कर्मचारियों द्वारा डाला जाता था|”

लड़कियों से घरेलू काम जैसे साफ-सफाई और शौचालय और कपड़े और बर्तन धोने जैसे काम कराए जाते थे। इस शेल्टर होम में 6 से 15 वर्ष की उम्र के बीच की 22 लड़कियां रहती थीं।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के नेतृत्व में गठित इस टीम ने गुरुवार रात आश्रय गृह का दौरा किया और फिर दिल्ली पुलिस से संपर्क किया। जिसके बाद सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों होम में 24 × 7 पर तैनात हैं।

समिति कि सदस्य रीतू ने कहा- “कर्मचारियों की कमी के कारण, बड़ी लड़कियों को छोटे लड़कियों की देखभाल करने के लिए मजबूर किया जाता था। घर में केवल एक रसोइया है और बच्चों ने भोजन की गुणवत्ता के बारे में शिकायत की है। इसे अक्सर अनियमित अंतराल पर भी परोसा जाता था। ”

अभी इस मामले में पुलिस ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत घर के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कर ली है और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत मामला एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।”

कई लोगों ने लड़कियों को शिफ्ट करने की बात कही परन्तु लड़कियों ने इसको लेकर असहमति जाहिर कि और कहा कि वो इस होम के पास के स्कूल में पढ़ाई करती हैं, ऐसे में अगर उन्हें कहीं और शिफ्ट किया जाता है तो उनकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा।

इस स्थिति को देखते हुए समिति ने कहा है बच्चियों को शिफ्ट करनी की बजाय इस आश्रय गृह के कर्मचारियों को बदल दिया जाए और अधिक संखया में कर्मचारी रखे जाएं जिससे उन्हें यहीं उचित वातावरण मिल सके।

देश के आश्रय गृह के हालात

शायद देश के तमाम आश्रय गृह में ऐसा ही सब चलता रहता, अगर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की टीम ने बिहार के शेल्टर होम का निरीक्षण कर रिपोर्ट न बनाई होती।  रिपोर्ट आने के तक़रीबन तीन महीने बाद सरकार ने इस मामले पर कार्रवाई करने की सोची और वह भी स्थानीय मीडिया में ख़बर आने के बाद।

दरअसल, मुज़फ्फरपुर आश्रय गृह के खुलासे के बाद से देश के कई आश्रय गृहों के घिनौने कृत्य सबके सामने आ रहे हैं। जितने भी आश्रय गृहों के घिनौने कृत्य का पर्दाफाश हुआ है अधिकतर को चलाने वाले कोई-न-कोई रसूखदार ही थे और उन सबका राजनीतिक ताल्लुक था।

इसे भी पढ़े :- मध्यप्रदेश: एक और आश्रयगृह बना बलात्कार गृह!

आश्रय गृह में होने वाले कृत्यों को सुनकर ही लोगों की रूह काँप उठती है, तो ज़रा सोचकर देखिये कि जिनके साथ यह घिनौना काम होता होगा उनके उपर क्या बीतती होगी। अभी तक जितने भी आश्रय गृह के मामला सामने आया है, तमाम रिपोर्टों से यही जाहिर होता है कि इन सारे आश्रय गृह में महिलाओं व बच्चियों को जानवर से भी ज़्यादा बुरी स्थिति में रखा जाता था, उन्हें मारा पीटा जाता था, बात नहीं मानने पर तरह तरह की यातनाएँ दी जाती थी, यहाँ तक कि उन्हें मौत के घाट भी उतार दिया जाता था।

इसे भी पढ़े : बिहार: बालिका सुधारगृह में मासूम बच्चियों से सालों से हो रहा था बलात्कार!

चाहे वह मुज़फ्फरपुर का आश्रय गृह कांड हो, पटना का शेल्टर होम कांड हो, उत्तर प्रदेश के देवरिया का मामला, मध्य प्रदेश में विकलांग लड़कियाँ के लिए बना शेल्टर होम या दिल्ली के द्वारका में स्थित शेल्टर होम सभी के हालत बहुत ही भयावह हैं|

इसे भी पढ़े :- बिहार: एक और आश्रयगृह पर उठे गंभीर सवाल

देवरिया आश्रय गृह को देखा जाए तो वह और भी भयावह लगता है, क्योंकि जिस आश्रय गृह को एक साल पहले बंद कर दिया गया थाI वहाँ किसके कहने पर लड़कियों को रखने की इजाज़त मिली। कहा जा रहा है कि इस आश्रय गृह के मालिक का भी सत्ता में आसीन लोगों यानी कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से नज़दीकी सम्बंध है।

बिहार में बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा का अंदाज़ा मुज़फ़्फ़रनपुर कांड से लगाया जा सकता है, जहाँ सालों तक लड़कियों का शोषण होता रहा वो भी सत्ता के संरक्षण में और मामला सार्वजनिक होने के बाद भी आरोपियों को पकड़ने के बजाये उन्हें बचाने का प्रयास होता रहा।

इसे भी पढ़े :- यूपी : कस्तूरबा आवासीय विद्यालय से 7 बच्चियां गायब!

आपको बता दें कि देश में आश्रय गृह में इस तरह की घटनाएं कोई पहली बार नहीं हैं। इससे पहले भी 2012 में हरियाणा के रोहतक व करनाल में युवतियों के साथ इसी तरह की घटना सामने आई थी। इसी प्रकार से महाराष्ट्र के आश्रय गृह में भी बच्चियों को नहीं छोड़ा, यह घटना 2013 में प्रकाश में आई थी। इसके बाद 2015 में देहरादून के नारी निकेतन में भी कुछ इस तरह की घटना सामने आई थी, जहाँ दरिंदो ने मूक बधिर बच्चियों तक को नहीं बख्शा था। लेकिन वर्ष 2018 का अंत होने को है इस वर्ष में जितने आश्रयगृह से शोषण के खुलासे हुए हैं उसने सभी को चौंका दिया है।

shelter home
Delhi shelter home
sexual harassment
Sexual Exploitation
sexual crimes
deoria shelter home
muzzafarpur shelter home
crime against women
DCW
swati maliwal

Related Stories

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

DCW का SBI को नोटिस, गर्भवती महिलाओं से संबंधित रोजगार दिशा-निर्देश वापस लेने की मांग

जेएनयू में छात्रा से छेड़छाड़, छात्र संगठनों ने निकाला विरोध मार्च

यौन शोषण के आरोप में गोवा के मंत्री मिलिंद नाइक का इस्तीफ़ा

निर्भया कांड के नौ साल : कितनी बदली देश में महिला सुरक्षा की तस्वीर?

यूपी: मुज़फ़्फ़रनगर में स्कूली छात्राओं के यौन शोषण के लिए कौन ज़िम्मेदार है?

यूपी: ललितपुर बलात्कार मामले में कई गिरफ्तार, लेकिन कानून व्यवस्था पर सवाल अब भी बरकरार!

यूपी: आज़मगढ़ में पीड़ित महिला ने आत्महत्या नहीं की, सिस्टम की लापरवाही ने उसकी जान ले ली!


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License