NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
2021: हिंसक घटनाओं को राजसत्ता का समर्थन
दिखायी दे रहा है कि लिंचिंग और जेनोसाइड को सामाजिक-राजनीतिक वैधता दिलाने की कोशिश की जा रही है। इसमें भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत लग रही है। वर्ष 2021 को इसलिए भी याद किया जायेगा।
अजय सिंह
31 Dec 2021
otting massacre
फ़ोटो साभार: डेक्कन हेराल्ड

वर्ष 2021 जब बीत चला है, तब यह कुछ हिंसक घटनाओं के लिए याद किया जायेगा। ख़ासकर नवंबर और दिसंबर के महीनों में घटी घटनाएं, जिन्हें भारतीय राजसत्ता व राजनीतिक प्रतिष्ठान का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन हासिल था।

कश्मीर व नगालैंड में भारतीय सेना की गोलाबारी में भारतीय नागरिक मारे जाते रहे। इसे ‘मुठभेड़’ का नाम दिया जाता रहा, हालांकि वे सिर्फ़ हत्याएं थीं। नगालैंड की एक घटना (4-5 दिसंबर) में सेना का झूठ पकड़ में आ गया। लेकिन कश्मीर में सेना के झूठ को पकड़ पाना और उसका परदाफ़ाश कर पाना लोहे के चने चबाने-जैसा काम रहा है।

पंजाब के दो गुरुद्वारों में लिंचिंग (पीट-पीट कर मार डालने) की दो घटनाओं पर पंजाब सरकार, राजनीतिक पार्टियों व किसान संगठनों की शर्मनाक चुप्पी हत्या के इन अपराधों को धार्मिक-राजनीतिक वैधता प्रदान करती नज़र आयी। इन्हें लिंचिंग कहने से भी परहेज किया जाता रहा। ऐसा संदेश दिया जाता रहा, मानो गुरुद्वारे या मंदिर में की गयी हत्या एक आध्यात्मिक कर्म है!

महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का सरकारी सफ़ाया अभियान बेरोकटोक जारी रहा। इसे तथाकथित माओवाद का मुक़ाबला करने की मुहिम बताया जाता रहा। माओवादी बताकर आदिवासयों की हत्या करने की छूट सुरक्षा एजेंसियों को मिली हुई है। इन हत्याओं की जवाबदेही कभी भी तय नहीं की जाती। हम न भूलें कि अपने जल, जंगल व ज़मीन को सरकार-समर्थित कारपोरेटी लूट से बचाने की लड़ाई में लगे व मारे जा रहे आदिवासी भारतीय नागरिक हैं। मारे गये आदिवासियों में महिलाओं की संख्या अच्छी-ख़ासी है।

हरिद्वार की तथाकथित धर्म संसद में मुसलमानों का क़त्लेआम (जेनोसाइड) करने की जो अपील सार्वजनिक तौर पर जारी की गयी, उस पर केंद्र व राज्य सरकारों और राजनीतिक प्रप्तिष्ठान की अपराधपूर्ण चुप्पी कुछ ज़्यादा ही मुखर रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी तो इस पर पूरी तरह ख़ामोश रही। लेकिन विपक्षी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी भी इस मसले पर पूरी ख़ामोश रहीं। इस मुद्दे पर सड़क पर उतरना तो बहुत दूर की बात रही, उन्होंने इसके विरोध में एक बयान तक नहीं जारी किया। क्या यह मान लिया जाये कि विपक्षी पार्टियों ने भाजपा-आरएसएस के हिंदुत्ववादी आख्यान को एक प्रकार से स्वीकार कर लिया है? क्या अब मुसलमानों का क़त्लेआम करने की बात को भी सामान्य प्रक्रिया बनाया जायेगा?

दिखायी दे रहा है कि लिंचिंग और जेनोसाइड को सामाजिक-राजनीतिक वैधता दिलाने की कोशिश की जा रही है। इसमें भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत लग रही है। वर्ष 2021 को इसलिए भी याद किया जायेगा।

वर्ष 2021 को इसलिए भी याद किया जायेगा कि अत्यंत दमनकारी क़ानून सशस्त्र बल विशेष अधिकार क़ानून (आफ़्सपा) को रद्द करने की मांग का प्रस्ताव एक राज्य की विधानसभा ने सर्वसम्मति से पास किया। नगालैंड विधानसभा ने 20 दिसंबर को यह प्रस्ताव पास किया। यह क़ानून 1958 में देश की संसद ने बनाया था। तब से शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी राज्य की विधानसभा ने इसे रद्द करने का प्रस्ताव पास किया। यह एक बहुत महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। इसके लिए नगालैंड विधानसभा को सलाम!

(लेखक कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Nagaland
otting massacre
Jammu and Kashmir
punjab
Communal Hate
dharm sansad
2021 News

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License