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24 घंटे लेट हो गई ट्रेन, छूट गई परीक्षा, रेल मंत्री बिज़ी हैं अपने प्रचार में
रेल मंत्री के ट्वीटर हैंडल पर जाइये। पता चलेगा कि वे अपनी छवि बनाने में कितना व्यस्त हैं। रेलवे में बदलाव की ख़बरें ट्वीट कर रहे हैं। मगर जनता उनसे मदद मांगती है कि ट्रेन टाइम पर चलवा दें, परीक्षा छूट जाएगी तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
रवीश कुमार
21 Jan 2019
railway minister piyush goyal
Image Courtesy: India.com

18 जनवरी की आधी रात से पहले राजस्थान के अलग अलग हिस्सों से नौजवान आनंद विहार स्टेशन पर जमा हो गए थे। इसलिए कि 19 जनवरी को सुबह साढ़े छह बजे भुवनेश्वर जाने वाली नंदनकानन एक्सप्रेस छूट न जाए। यह ट्रेन चलने से पहले ही 9 घंटे लेट हो जाती है। दोपहर तीन बजे दिल्ली से रवाना होती है। निर्धारित समय के अनुसार इसे 20 जनवरी को सुबहर 10 बजकर 40 मिनट पर पहुंचना था मगर यह पहुंचती है 21 जनवरी को 8 बज कर 50 मिनट पर। नौ बजे से रेलवे की परीक्षा थी। पचास साठ छात्रों की परीक्षा छूट गई। महीनों की तैयारी और सपने बर्बाद हो गए।

इन सबने पहले चरण की परीक्षा पास कर ली थी। दूसरे चरण की परीक्षा देने के लिए जोधपुर से भुवनेश्वर के लिए निकले थे। पूरी ट्रेन छात्रों से भरी थी। मिर्ज़ापुर में छह घंटे के लिए खड़ी कर दी गई। भुवनेश्वर के लिए यही गाड़ी थी। छात्रों ने सबसे मदद की अपील की। परीक्षा की नहीं उनकी ज़िंदगी की गाड़ी छूटने जा रही थी। वे स्टेशन मास्टर से गिड़गिड़ाते गए कि हमारी गाड़ी निकलवा दो। हमारा इम्तहान छूट जाएगा। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा।

आपकी ट्रेन 24 घंटे लेट हो जाए और आपका इम्तहान छूट जाए। आप उस वक्त क्या क्या सोच रहे होंगे? रेल मंत्री के ट्वीटर हैंडल पर जाइये। पता चलेगा कि वे अपनी छवि बनाने में कितना व्यस्त हैं। रेलवे में बदलाव की ख़बरें ट्वीट कर रहे हैं। मगर जनता उनसे मदद मांगती है कि ट्रेन टाइम पर चलवा दें, परीक्षा छूट जाएगी तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। छात्रों ने कितनी अपील की कि परीक्षा के केंद्र नज़दीक दें। उनकी बात नहीं सुनी गई। इन छात्रों को किसने फेल किया है? रेल मंत्री पीयूष गोयल ने फेल किया है। अब क्या किया जा सकता है? क्या रेल मंत्री इन्हें दोबारा परीक्षा देने का मौका दे सकते हैं?

बहुतों की नज़र में यह ख़बर मामूली होगी। बड़ी-बड़ी ख़बरों के बीच पचास साठ लड़कों के लिए बड़ी ख़बर क्या होगी, ये जानने के लिए एक बार आप उनसे बात कर लें। अच्छी बात है कि भारत में किसी की ज़िंदगी बर्बाद करने वाला कभी ज़िम्मेदार नहीं होता है। पीयूष गोयल का क्या है, वे किसी और मीडिया कान्क्लेव में भाषण देते मिल जाएंगे। उन्हें ऊर्जावान मंत्री बुलाने वाले एंकरों की कमी नहीं होगी लेकिन इन छात्रों की ज़िंदगी का यह चांस दोबारा नहीं लौट पाएगा।

नोट- समाज का क्या हाल हो गया है इसे समझने के लिए एक बार कमेंट बाक्स में झांक लें। सरकार के भक्त बने बैठे लोग इस पोस्ट पर गालियां दे रहे हैं। उन्हें उन नौजवानों से कोई सहानुभूति नहीं कि 24 घंटे लेट होने से उनकी परीक्षा छूट गई है। मुमकिन है कि इनमें से ज़्यादातर बीजेपी को ही वोट देने वाले हों मगर उनकी कोई समस्या होगी तो उनके साथ भी भीड़ वही बर्ताव करेगी। मेसेज साफ है। भूखे मर जाओ मगर मोदी मोदी करते रहो।

(रवीश कुमार वरिष्ठ पत्रकार और टीवी एंकर हैं। ये टिप्पणी उनके फेसबुक पेज से साभार ली गई है।)

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