NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
26 जनवरी किसान परेड : दिल्ली में होगा ऐतिहासिक ट्रैक्टर मार्च
किसान संगठनों का दावा है कि 26 जनवरी को एक लाख से अधिक ट्रैक्टर दिल्ली में मार्च करेंगें। ये किसान दिल्ली में एक नहीं बल्कि पांच अलग-अलग दिशाओं से मार्च करेंगें।
मुकुंद झा
24 Jan 2021
26 जनवरी किसान परेड
फोटो साभार : सोशल मीडिया

किसानों के बहुचर्चित गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में प्रस्तावित किसान परेड का होना अब लगभग तय दिख रहा है। किसान नेताओं ने शुक्रवार को दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को 26 जनवरी के दिन राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दे दी है। पुलिस आखिरकार किसानों के बड़े जनसमूह के दबाव में झुकी और उसने किसानों को दिल्ली में आने की अनुमति दे दी है। पहले पूरी सरकार और पुलिस प्रशासन डंके की चोट पर कह रहे थे कि किसी भी कीमत पर किसानों को दिल्ली में घुसने नहीं देंगें लेकिन किसानों के तेवर और संख्या बल ने सरकार को पीछे हटने पर मजबूर किया है।

हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रेदश और राजस्थान से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली लगातार दिल्ली आ रहे हैं। किसान संगठनों का दावा है कि 26 जनवरी के दिन दिल्ली में एक लाख से अधिक ट्रैक्टर मार्च करेंगें। ये किसान दिल्ली में एक नहीं बल्कि पांच अलग-अलग दिशाओं से मार्च करेंगें क्योंकि इतने बड़े काफ़िले को एक रूट से निकालना लगभग असंभव था इसलिए किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दी है। लगभग सभी रूट पर सहमति बन गई है कुछ पॉइंट को लेकर कुछ संदेह हैं वो भी जल्द फाइनल होने की उम्मीद है।

कहां-कहां से किसानों के जत्थे निकलेंगें उसपर एक निग़ाह डालते हैं-

पहला जत्था सिंघु बॉर्डर से निकलेगा और दिल्ली में प्रवेश करेगा। वहां से संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से बवाना-कंझावला खरखौदा चंडी होते हुए वापस सिंघु लौट जाएगा। आपको बता दें ये किसान आंदोलन के सबसे मज़बूत केंद के रूप में उभरा है और उम्मीद है सबसे बड़ा जत्था भी यहीं से निकलेगा। यहां बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा के किसान हैं।

दूसरा जत्था टिकरी बॉर्डर से दिल्ली में आएगा और नांगलोई-नजफगढ़-बादली-डासना होते हुए वापस टिकरी पंहुचेगा। ये भी काफी बड़ा जत्था है यहां भी हरियाणा और पंजाब के किसान हैं।

तीसरा जत्था गाज़ीपुर बॉर्डर से दिल्ली में घुसेगा और आनंद विहार से अप्सरा बॉर्डर-मोहन नगर-गाज़ियाबाद-डासना से वापस गाज़ीपुर पहुंचेगा। ये जत्था दिल्ली की सीमा पर 28 नवंबर को पहुंचा था हालांकि शुरुआत में ये जत्था उतना विशाल नहीं था लेकिन अब यहां हज़ारों की संख्या में किसान हैं। यहां उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और अब तो उड़ीसा और मध्य प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान यहां पहुंचे हैं।

इन तीनों जत्थों के रास्तों पर पुलिस और किसानो में पूर्ण सहमति है। जबकि पलवल और शाहजहांपुर बॉर्डर के दो अन्य जत्थों को लेकर पुलिस और किसानों के बीच कुछ विवाद है। हालांकि उम्मीद है कि इसपर भी जल्द समाधान हो जाएगा।

किसानों की तरफ से जो कहा जा रहा है उसके मुताबिक चौथा जत्था हरियाणा-राजस्थान के शाहजहाँपुर बॉर्डर से निकलकर मसानी डैम जहाँ किसानों का एक और जत्था है उसे लेकर ये केएमपी पर जाएँगे। दिल्ली सीमा होते हुए बादली से वापस शाहजहांपुर बॉर्डर जाएंगे। आपको बता दें इस मोर्चे में राजस्थान के किसान बड़ी संख्या में हैं। इसके साथ महाराष्ट्र, केरल, गुजरात और हरियाणा के किसानों की संख्या भी काफी अच्छी है।

पांचवा और अंतिम जत्था जो हरियाणा के पलवल से निकलेगा, सबसे अधिक विवाद यहीं है। पुलिस प्रशासन चाहता है कि वो वहां से सीधा केएमपी से दिल्ली आएं और वापस लौट जाएं जबकि किसानों का कहना है कि उन्हें फरीदाबाद से सीधे दिल्ली में जाने दिया जाए। इस मोर्चे में हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों की बड़ी तादाद है।

एक और किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पत्रकारों को बताया कि चूंकि हजारों किसान इस परेड में हिस्सा लेंगे, लिहाज़ा इसका कोई एक मार्ग नहीं रहेगा।

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर लगाए गए अवरोधकों को 26 जनवरी को हटा दिया जाएगा और किसान राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करके ट्रैक्टर रैलियाँ निकालेंगे।

संयुक्त मोर्चे और भारतीय किसान यूनियन के नेता युद्धवीर सिंह ने रूट के बारे में बात करते हुए बताया कि पुलिस ने हम से रिंग रोड पर परेड ना करने की अपील की और गणतंत्र दिवस की सुरक्षा का तर्क दिया तो हम भी राष्ट्रीय पर्व और सैनिकों के गर्व को देखते हुए रिंग रोड के बजाय वैकल्पिक रास्ते के लिए तैयार हुए क्योंकि हम किसी भी तरह से राष्ट्रीय सम्मान के ख़िलाफ़ नहीं जा सकते थे। लेकिन हमने दिल्ली में मार्च करने का ऐलान किया था उसे ज़रूर करेंगे। हम पिछले 59 दिनों से बॉर्डर पर बैठे थे हमनें पहले ही कह दिया था कि 26 को बैरिकेड नहीं होंगे पुलिस हटाए या हम हटा देंगें जिसके बाद पुलिस ने कहा कि वो स्वंय उन्हें हटा देगी। यह मार्च किसान के सम्मान का भी मार्च है इस पर देश ही नहीं दुनिया की भी नज़र है।

प्रस्तावित 'ट्रैक्टर परेड' के लिए पंजाब, हरियाणा से ट्रैक्टरों के जत्थे दिल्ली रवाना हुए

प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों के कई जत्थे अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों एवं अन्य वाहनों को लेकर शनिवार को रवाना हुए।

किसानों की मांगों को मनवाने और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए रवाना हुए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में राशन, गद्दे और जरूरत के अन्य सामानों को रखा गया है।

इन ट्रैक्टरों पर किसान संगठनों के झंडे लगाए गए हैं जबकि कई पर तिरंगे झंडे लगे दिखाई दिए। ट्रैक्टरों पर पोस्टर भी लगाए गए जिन पर 'किसान एकता जिंदाबाद' और 'काले कानून रद्द करो' जैसे नारे लिखे गए हैं।

भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने शनिवार को कहा, "दिल्ली में प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने के लिए आज खनौरी (संगरुर, पंजाब) और डबवाली (सिरसा, हरियाणा) से 30,000 से भी अधिक संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां रवाना हुईं।"

किसान नेताओं ने बताया कि इसी तरह पंजाब के होशियारपुर और फगवाड़ा क्षेत्र से भी क्रमश: 150 एवं 1,000 ट्रैक्टरों का जत्था रवाना हुआ है।

बरनाला में एक किसान नेता ने कहा कि ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के आह्वान पर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

उन्होंने कहा, "युवा एवं बुज़ुर्ग बेहद शांतिपूर्ण तरीके से अपने ट्रैक्टरों पर सवार होकर दिल्ली रवाना हो रहे हैं।"

किसान नेता ने बताया कि हरियाणा के फतेहाबाद से भी ट्रैक्टर एवं अन्य वाहनों पर सवार होकर किसान इस परेड का हिस्सा बनने के लिए निकले हैं।

वहीं करनाल एवं अन्य जिलों से भी रविवार को किसान दिल्ली के लिए निकलेंगे।

इस बीच, पंजाब के फगवाड़ा में भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के उपाध्यक्ष किरपाल सिंह मूसापुर ने कहा, "रविवार को भी भारी संख्या में किसान ट्रैक्टर के साथ रवाना होंगें। हम केवल दोआब क्षेत्र (पंजाब) से ही 5,000 से अधिक ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली रवाना होने की उम्मीद कर रहे हैं।"

पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर शनिवार को ट्रैक्टर मार्च निकाला गया ताकि लोगों को अपने साथ जोड़ा जा सके।

किसान संगठनों का आरोप है कि नए कृषि कानूनों से मंडी और एमएसपी खरीद प्रणालियां समाप्त हो जाएंगी तथा किसान बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि एमएसपी व्यवस्था बनी रहेगी और नए कानून किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प प्रदान करेंगें।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm bills 2020
farmers protest update
26 January Kisan Parade
Tractor March
republic day
AIKS
AIKSCC

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

कृषि बजट में कटौती करके, ‘किसान आंदोलन’ का बदला ले रही है सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

महाराष्ट्र: किसानों की एक और जीत, किसान विरोधी बिल वापस लेने को एमवीए सरकार मजबूर

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

इतवार की कविता : 'ईश्वर को किसान होना चाहिये...


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License