NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
तीन साल में सीवर, सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई के दौरान 288 लोगों की मौत : सरकार
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने यह जानकारी दी। उधर, राष्ट्रीय सफ़ाई कर्मचारी आयोग ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि देश में पिछले 10 वर्षों में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई के दौरान 631 लोगों की जान गई है। हालांकि गैर सरकारी संगठन ये आंकड़े और भी ज़्यादा बताते हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Sep 2020
तीन साल में सीवर, सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 288 लोगों की मौत : सरकार
प्रतीकात्मक तस्वीर

नयी दिल्ली: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में सीवर या सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई करते समय कुल 288 लोगों की मौत हो गयी। जबकि इससे एक दिन पहले राष्ट्रीय सफ़ाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि देश में पिछले 10 वर्षों में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई के दौरान 631 लोगों की जान गई है। हालांकि गैर सरकारी संगठन ये आंकड़े और भी ज़्यादा बताते हैं। एनसीएसके का भी कहना है कि आंकड़े विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर है और वास्तविक आंकड़े अलग हो सकते हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने सोमवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में जानकारी दी कि राज्यों से मिली रिपोर्टों के अनुसार 31 अगस्त 2020 तक पिछले तीन वर्षों के दौरान सीवर या सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई करते समय 288 कर्मियों की मौत हो गयी।

आठवले ने कहा कि 18 राज्यों के 194 जिलों में 2018-19 के दौरान मैला ढोने वाले लोगों का एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण कराया गया था।

उन्होंने बताया कि आंकड़ों के अनुसार सर्वेक्षण में 51,835 मैला ढोने वाले लोगों की पहचान की गई जिनमें से 24,932 लोगों की उत्तर प्रदेश में पहचान की गई थी।

पिछले 10 वर्ष में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई के दौरान 631 लोगों की मौत

इससे पहले राष्ट्रीय सफ़ाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने सीवर और सेप्टिक टैकों की सफ़ाई के दौरान 2010 से मार्च 2020 के बीच हुई मौतों के संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में जानकारी दी कि देश में पिछले 10 वर्षों में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई के दौरान 631 लोगों की जान गई है।

आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में 631 लोगों की मौत हुई। इनमें से सबसे ज्यादा 115 लोगों की मौत 2019 में हुई।

वहीं, पिछले 10 वर्षों में इस वजह से सबसे ज्यादा 122 लोगों की मौत तमिलनाडु में हुई। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 85, दिल्ली और कर्नाटक में 63-63 तथा गुजरात में 61 लोगों की मौत हुई। हरियाणा में 50 लोगों की मौत हुई।

इस साल 31 मार्च तक सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई के दौरान दो लोगों की मौत हुई है। 2018 में इस वजह से 73 तो 2017 में 93 लोगों की मौत हुई।

आंकड़ों के अनुसार 2016 में 55 लोगों की मौत हुई जबकि 2015 में 62 और 2014 में 52 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा 2013 में 68 तथा 2012 में 47 और 2011 में 37 लोगों की मौत हुई। 2010 में 27 लोगों की मौत हुई थी।

एनसीएसके ने बताया कि आंकड़े विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर है और वास्तविक आंकड़े अलग हो सकते हैं।

आरटीआई आवेदन के तहत दी गई जानकारी में कहा गया कि अद्यतन होने पर ये आंकड़े बदलते रहते हैं।

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि सफ़ाई राज्यों का विषय है और एनसीएसके के पास राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से मिला आंकड़ा होता है।

हालांकि सफ़ाईकर्मियों के अधिकारों के लिए काम करनेवाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि मैला ढोना रोजगार निषेध व पुनर्वास अधिनियम को सही से लागू नहीं करने की वजह से इससे जुड़ी मौतें हो रही हैं।

मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने की दिशा में काम करनेवाले संगठन ‘सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन’ के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाड़ा विल्सन ने कहा कि कानून सही तरीके से लागू नहीं होने से सफ़ाई कर्मी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।

रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित कार्यकर्ता ने कहा, ' मैला ढोना रोजगार निषेध व पुनर्वास अधिनियम के तहत किसी एक भी व्यक्ति को अब तक सजा नहीं मिली है। अधिनियम चुनावी घोषणा पत्र के वादों की तरह झूठे वादे नहीं होने चाहिए।'

दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच के सचिव संजीव कुमार का कहना है कि कानून का क्रियान्वयन सबसे बड़ी चुनौती है।

उन्होंने कहा, 'सीवर या सेप्टिक टैंक के भीतर किसी व्यक्ति के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए और इस काम में मशीन को लगाया जाना चाहिए। वैसे भी मामले सामने आए हैं जब इन टैंकों के भीतर जहरीली गैस के सांस में जाने से सफ़ाई कर्मचारियों को बाद में तकलीफों का सामना करना पड़ा है और वे अपनी ऊर्जा जुटाने में बाद में सक्षम नहीं हो पाते। जो लोग जिंदा बचते हैं, उन्हें काफी दर्द में जीवन गुजारना पड़ता है।'

कुमार ने कहा कि ज्यादातर मामलों में उन्हें न तो उचित प्रशिक्षण मिला होता है और न ही उनके पास उचित उपकरण होते हैं।

छह दिसंबर, 2013 को रोजगार के रूप में मैला ढोने पर रोक एवं पुनर्वास अधिनियम, 2013 प्रभाव में आया था। यह अधिनियम स्पष्ट रूप से कहता है कि बिना रक्षात्मक उपकरणों के सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई खतरनाक सफ़ाई की श्रेणी में है और इसमें दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

SEWER DEATH
Sewer Cleaning
deaths in sewer
Sewer tank

Related Stories

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा

ग्राउंड रिपोर्ट: ‘पापा टॉफी लेकर आएंगे......’ लखनऊ के सीवर लाइन में जान गँवाने वालों के परिवार की कहानी

सीवर में मौतों (हत्याओं) का अंतहीन सिलसिला

सीवर और सेप्टिक टैंक मौत के कुएं क्यों हुए?

सीवर में उतरे सफाईकर्मी की जहरीली गैस की चपेट में आने से मौत, मामला दर्ज

बैंक यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन, तमिलनाडु में जारी है सीवर में मौत का सिलसिला और अन्य

71 साल के गणतंत्र में मैला ढोते लोग  : आख़िर कब तक?

सेप्टिक टैंक-सीवर में मौतें जारी : ये दुर्घटनाएं नहीं हत्याएं हैं!

दिल्ली: सीवर टैंकर की मरम्मत के दौरान एक मज़दूर की मौत


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License