NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
2जी और चारा घोटाला फैसले : एक विश्लेषण
राजनीतिक दलों को अपने दोस्त और दुश्मन के पहचान में भले ही भ्रम रहता हो, अम्बानी-अडानियों को कोई दुविधा नहीं होती।
राजीव कँवर
27 Dec 2017
2G ghotala aur chara ghotala
न्यूज़क्लिक फोटो : नितेश कुमार

पिछले सप्ताह न्यायपालिका ने दो अहम फैसले दिए - 2G और चारा घोटाले के एक मामले का। इन दोनों मामलों में जाँच एजेंसी सीबीआई थी। 2G मामले में सभी आरोपी रिहा हो गए। कोर्ट ने बहुत साफ तौर पर सीबीआई की जाँच को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। परन्तु बहस में जो बात सामने लायी गयी वह थी - कांग्रेस और उनके संगी-साथियों की निर्लिप्तता बनाम भाजपा की 2019 की रणनीति। वहीं दूसरे मामले में रिहा होने वाले लोगों की लिस्ट में जगन्नाथ मिश्र का नाम और सजा पाने वालों की लिस्ट में लालू यादव का नाम आते ही बहस सवर्ण बनाम पिछड़ा बना दिया गया। इन दोनों बहस का लाभार्थी आखिर कौन है ? आखिर इन फैसलों में सीबीआई और शासक वर्ग की भूमिका को कैसे देखा जाए ?

इसके साथ ही महाराष्ट्र में ब्राह्मण सभा में एक केंद्रीय राज्य मंत्री के द्वारा संविधान में परिवर्तन के पक्के इरादे का बयान सारे अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर छपना क्या बताता है ? किसी दल के द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अगर यह खबर बनवाई जाती तो बात और थी। क्या देश के एक कोने में किसी एक कथित ब्राह्मण सभा के जलसे में एक गैर महत्त्वपूर्ण मंत्री का दिया भाषण यूँ ही मुख्यधारा के अखबार की सुर्खियां बटोर रहा है ? फिर इनके पीछे का उद्देश्य क्या है ?

वैसे तो आज जो भी राजनैतिक हलचल हो कारण उसका 2019 ही बताया जाता है। अगर 2019 भी कारण है तो फिर इस रणनीति क्या उद्देश्य है ? क्या कांग्रेस मुक्त भारत का एजेंडा इंदिरा गांधी के रेकॉर्ड को तोड़कर पूरा हो चुका है, या कांग्रेस के विपक्ष रूपी विकल्प की जरूरत आज भाजपा को सबसे ज्यादा है ? आधुनिक राजनीति के जानकार जानते हैं कि विपक्ष मुक्त सत्ता जनतंत्र में संभव नहीं। सत्ता की प्रकृति से विपक्ष की प्रकृति भी सुनिश्चित होती है। इसे समझने के लिए GST उसका सबसे बढ़िया नमूना है। गुजरात चुनाव प्रचार के आरंभिक दौर में यह कांग्रेस के तुरूप का एक्का था। व्यापारियों ने कमल के फूल को भूल छपवाया, ऐतिहासिक रैलियाँ की। जनेऊ पहनकर और मंदिर मंदिर घूमकर राहुल भी गब्बर सिंह टैक्स पर खूब चिल्लाए। इसका विकल्प नहीं पता था उन्हें, सो क्या बताते ! मोदी ने कहा यह तो कांग्रेस की ही देन है। विकल्प में टैक्स के स्लैब का रेट कम किया। गुजराती बेटे की लाज रखने की मांग की। नारा बदल गया। कहा गया व्यापारी नाराज हैं, पर गद्दार नहीं। यहीं से मोदी और भाजपा ने वह नया सूत्र मिल गया और राहुल को मोदी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए बधाई का ट्वीट करते हैं।

राजनीतिक दलों को अपने दोस्त और दुश्मन के पहचान में भले ही भ्रम रहता हो, अम्बानी-अडानियों को कोई दुविधा नहीं होती। महाराष्ट्र सरकार बिजली वितरण कंपनी रिलायंस के बकाया को किससे वसूले यह उसके लिए भले ही दिखावटी भ्रम हो, अडानी ग्रुप को वह कंपनी खरीदते हुए बहुत साफ और स्पष्टता है। अभी की स्थिति में अम्बानी का संकट अडानी का संकट है और अडानी का संकट अम्बानी का। 2G में तीन अधिकारी रिलायंस कम्युनिकेशन के फँसे थे। कनिमोझी और राजा की रिहाई तो बाइप्रोडक्ट है, असल तो इन अधिकारियों की रिहाई है। समझने की जरूरत है कि इस मुद्दे में मुनाफा किस कंपनी का सबसे ज्यादा हुआ? यूँ ही रॉफेल युद्धक विमान का ठेका थोड़े मिल गया है ? ये जानते हैं बिल्लियों को कब तक लड़ाना है। जब अपने हाथ से ही रोटी छिन जाने का खतरा हो तो क्या कांग्रेस और क्या भाजपा ? सीबीआई की भूमिका को कोर्ट के द्वारा प्रश्नांकित करने के बाद भी चर्चा में तमिलनाडु में गठजोड़ और मनमोहन सरकार की भ्रष्टाचार में निर्लिप्तता का कारण इन अम्बानियों को सुरक्षित गलियारा देना नहीं तो और क्या है ?

जो लोग चारा घोटाले के फैसले में सवर्ण बनाम दलित-पिछड़ा विमर्श चलाना चाहते हैं वे 2G मामले में कनिमोझी और राजा मामले पर चुप्पी साध लेते हैं। वह इन सच्चाइयों पर प्रकाश नहीं डालना चाहते हैं कि जगन्नाथ मिश्रा के द्वारा भाजपा में समर्पण(बेटे और भतीजे का भाजपा और जनतादल यूनाइटेड से जुड़ना और मंत्रिपद) एक अहम मुद्दा है। दूसरा अहम मुद्दा सीबीआई की भूमिका जिसे शासक वर्ग प्रधानमंत्री कार्यालय से नियंत्रित करता हुआ दिखाई देता है। क्या यूँ ही इसे सरकार का पालतू तोता कहा गया था ? बात इतनी ही होती तो और बात थी। दलित-पिछड़ा विमर्श खड़ा कर मोदी के खिलाफ एक नायक का सृजन किया जा रहा है, वह हैं लालू प्रसाद यादव। बिहार की राजनीति में जगन्नाथ मिश्रा रूपी अर्थहीन सवर्ण और अतीत के भ्रष्ट नेता की मुक्ति के नाम पर लालू प्रसाद यादव के सजा को दलित-पिछड़ों के सामाजिक शोषण का प्रतीक घोषित किया जा रहा है। बात यहीं तक नहीं रुकती है, बल्कि इन विमर्शकारों के द्वारा वामपंथी पार्टियों की चुप्पी या किनारा काटने को उनकी सवर्ण मानसिकता कहा जा रहा है। कुलमिलाकर या तो आप लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अतीत के साथ हैं या आप सवर्ण राजनीति के हिस्सेदार हैं। ध्रुवीकरण का यह विमर्श पहचान की उसी राजनीति का हिस्सा है जो 1990 के बाद मंडल बनाम कमंडल लेकर आया। यह और बात है कि 25 साल बीतते बीतते उत्तरप्रदेश और फिर बिहार में मण्डलवादियों के अधिकांश द्वारा कमंडल धारण किया जा चुका है।

जाति के आधार पर सामाजिक शोषण एक सच्चाई है। इस सामाजिक शोषण का कारण आर्थिक शोषण है। शोषण का यह आर्थिक ढाँचा बना रहे इसके लिए शासक वर्ग राजनैतिक दलों के विमर्श की निर्मिती करता है। ऐसे विमर्श की निर्मिती जो संघर्ष की दिशा में न जाये, बल्कि सत्ता के समीकरण को तैयार करे। इसी निर्मिती में पहचान की राजनीति भी है। लालू के किस रूप को विमर्श का हिस्सा बनाया जा रहा है ? राहुल के साथ कांग्रेस एवं डी एम को किस रूप में विमर्श में लाया जा रहा है ? इस पूरे विमर्श में किसान और मेहनतकश कहाँ है ? 1% लोगों के पास 60% संपत्ति और 1% के पास राष्ट्रीय आय का 22% प्रति वर्ष आमदनी बढ़ने का मुद्दा क्या इस विमर्श का हिस्सा है ? हो भी नहीं सकता है। क्या यूँ ही पहचान की राजनीति का प्रमुख हमला वाम दलों पर होता है ? ये वही मुद्दे हैं जहाँ से वैकल्पिक राजनीति की शुरुआत होगी। भाजपा को यह बात स्पष्ट है। यही कारण है कि भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त नवउदारवादी नीति के साथ पहचानों में बँटे विपक्ष की जरूरत उसे शिद्दत से है। कमजोर वाम के द्वारा वैकल्पिक राजनीति का विकल्प और कमजोर करने के लिए संविधान में संशोधन का सगुफ़ा छोड़ते रहने और उसे विमर्श का हिस्सा बनवाने की उसकी जरूरत है। 

2जी
चारा घोटाला
अम्बानी
अदानी
मोदी सरकार
लालू प्रसाद यादव

Related Stories

किसान आंदोलन के नौ महीने: भाजपा के दुष्प्रचार पर भारी पड़े नौजवान लड़के-लड़कियां

सत्ता का मन्त्र: बाँटो और नफ़रत फैलाओ!

जी.डी.पी. बढ़ोतरी दर: एक काँटों का ताज

कोयला आयात घोटाला : अदानी समूह ने राहत पाने के लिए बॉम्बे हाइ कोर्ट का रुख किया

5 सितम्बर मज़दूर-किसान रैली: सबको काम दो!

रोज़गार में तेज़ गिरावट जारी है

लातेहार लिंचिंगः राजनीतिक संबंध, पुलिसिया लापरवाही और तथ्य छिपाने की एक दुखद दास्तां

माब लिंचिंगः पूरे समाज को अमानवीय और बर्बर बनाती है

अविश्वास प्रस्ताव: दो बड़े सवालों पर फँसी सरकार!

क्यों बिफरी मोदी सरकार राफेल सौदे के नाम पर?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License