NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन के 300 दिन, सरकार किसानों की मांग पर चर्चा को भी तैयार नहीं
किसान आंदोलन रोज नए आयाम गढ़ रहा है और अपने भविष्य के योजनाओ को और मज़बूती से रख रहा है। अब देश के अलग अलग राज्यों में किसानों के समर्थन में पंचायत/सभाएं और बैठकें हो रही हैं। और 27 सितंबर को भारत बंद किया जा रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Sep 2021
किसान आंदोलन के 300 दिन, सरकार किसानों की मांग पर चर्चा को भी तैयार नहीं

किसान आंदोलन अपने 300वें दिन में प्रवेश कर गया है। ये आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर भीषण ठंड में शुरू हुआ था जो भीषण गर्मी और बरसात के मौसम को बिता चुका है लेकिन किसानों के हौसले आज भी बुलंद हैं। दूसरी तरफ सरकार आज भी अपने कृषि कानूनों के वापस न लेने पर अड़ी हुई है। लेकिन किसान आंदोलन रोज नए आयाम गढ़ रहा है और अपने भविष्य के योजनाओ को और मज़बूती से रख रहा है। अब देश के अलग अलग राज्यों में किसानों  के समर्थन में पंचायत/सभाएं और बैठकें हो रही हैं।

  
किसान आंदोलन के दौरान सरकार के दावों की भी पोल खुल रही है, जिसमें वो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने और मंडी व्यवस्था को मज़बूत करने की बात कर रही है।  परन्तु किसानों के दावे के मुताबिक़ हक़ीक़त कुछ और ही है।


पूरे भारत में विभिन्न वस्तुओं के लिए प्रचलित मंडी कीमत, जब खरीफ 2021 के लिए फसल का मौसम तेजी से आ रहा है, सरकार द्वारा घोषित एमएसपी से भी नीचे है। यह भी सर्वविदित है कि अधिकांश व्यापार मंडियों के बाहर हो रहा है, और किसानों को मिलने वाली कीमतें औसत मंडी कीमतों से भी कम हैं।

संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा है कि यह भी सर्वविदित है कि भारत सरकार एमएसपी के घोषणा मूल्य पर पहुंचने के लिए गलत लागत अवधारणा का उपयोग कर रही है, और व्यापक लागत सी2 का उपयोग एमएसपी फॉर्मूले, जो सी2 से कम से कम 50% और अधिक मार्जिन हो, के लिए नहीं किया जा रहा है। यह और भी अच्छी तरह से स्थापित है कि लागत अनुमान चाहे ए2 हो या सी2, स्वयं गलत तरीके से निकाले गए हैं, जैसा कि रमेश चंद समिति की रिपोर्ट द्वारा बताया गया।

मोर्चे का कहना है कि वर्तमान स्थिति भारत के किसानों की दुर्दशा के साथ-साथ मोदी सरकार की घोर उदासीनता को भी दर्शाती है, जो इस स्थिति से आंखें मूंद रखी है। एसकेएम एक बार फिर दोहराता है कि यह उचित समय है कि भारत सरकार एक ऐसा कानून बनाए जो कम से कम सभी कृषि वस्तुओं और सभी किसानों के लिए सी2+50% पर लाभकारी एमएसपी की गारंटी दे।

मोर्चे ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई की किसान आंदोलन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की भी निंदा की है। बोम्मई ने विरोध करने वाले किसानों को "प्रायोजित" कहा है। मोर्चे के मुताबिक राज्य विधानसभा के पटल पर यह कहना और भी निंदनीय है। संयुक्त किसान मोर्चा इसकी निंदा करता है और उनसे इन अपमानजनक बयानों को वापस लेने की मांग करता है।

मोर्चे ने उत्तर प्रदेश में दमन का विरोध किया है। मोर्चे के मुताबिक जैसे ही किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री के संभल क्षेत्र के दौरे के दौरान उनके खिलाफ काले झंडे के विरोध की योजना बनाना शुरू किया, पुलिस का दमन शुरू हो गया। कई किसानों को हिरासत में लिया गया। एसकेएम उत्तर प्रदेश सरकार को किसानों के शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की याद दिलाना चाहता है।

मोर्चे के बयान के मुताबिक अब 27 सितंबर 2021 को भारत में भारत बंद के अलावा अन्य देशों में भी एकजुटता के विरोध की योजना बनाई जा रही है। ब्रिटेन में 25 सितंबर को लंदन में इंडिया हाउस के बाहर एकजुटता का प्रदर्शन होगा। इस बीच कनाडा में भारतीय किसानों के विरोध का समर्थन वहां चुनावी मुद्दा बन गया है।

तमिलनाडु में इरोड में एक राज्य स्तरीय योजना बैठक आयोजित की गई जिसमें राज्य में 27 सितंबर के बंद को सफल बनाने के लिए 65 से अधिक किसान संगठनों ने भाग लिया। अभी महाराष्ट्र के लिए ऐसी ही एक योजना बैठक मुंबई में हुई। इस बैठक में किसानों, खेतिहर मजदूरों, संगठित और असंगठित श्रमिकों, कर्मचारियों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों, शिक्षकों और अन्य वर्गों के लगभग 100 संगठनों के 200 से अधिक नेताओं के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नागरिकों ने भाग लिया।

मोहाली में  दूध विक्रेताओं और सब्जी विक्रेताओं से भारत बंद का समर्थन करने की अपील करने के लिए एक बैठक की है। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र और तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों में योजना बैठकें हो रही हैं। बंद के प्रस्ताव पर व्यापारियों, कर्मचारी संघों, वकील संघों, ट्रांसपोर्टर्स यूनियनों, ट्रेड और मजदूर यूनियनों और अन्य लोगों से अब तक जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा समर्थन का वादा किया गया है। कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन का वादा किया है।

इसी तरह देश भर में कई स्थानों पर 27 सितंबर के बंद की तैयारी का काम चल रहा है – हरियाणा के रेवाड़ी और पानीपत, कर्नाटक के तुमकुर, उत्तराखंड के रुड़की, आंध्र प्रदेश के ओंगोल, बिहार के सीतामढ़ी और कई जगहों पर इस तरह की लामबंदी की खबरें आई हैं। छत्तीसगढ़ में 28 सितंबर को राजिम में आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय किसान महापंचायत को लेकर लामबंदी बैठकें हो रही हैं।

हालांकि इन सबके बाद भी ऐसा लग रहा है कि सरकार अभी भी किसान आंदोलन को समझने में नाकाम है। वो लगातार इसे एक छोटे दायरे में देख रही है जबकि किसान लगातार अपने आंदोलन को तेज़ कर रहे हैं और कभी चक्का जाम, कभी रेल रोको के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं।


गौरतलब है कि यह भारत की आजादी के बाद के इतिहास में एक नायाब मिसाल है, जब केंद्र सरकार से विवादास्पद तीन कृषि-कानूनों को निरस्त करने एवं कृषि-पैदावारों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी सुनिश्चित करने के एकमात्र एजेंडे को लेकर किसान इतने बड़े पैमाने पर और इतने लंबे समय तक के लिए लामबंद हुए हैं।

केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) जो किसान संगठनों का एक संयुक्त मंच है, इनके बीच बातचीत 22 जनवरी को कड़वाहट में टूट गई थी। किसान नेता मानते हैं कि जबकि उनके आंदोलन ने लोगों को, खासकर किसानों को जागरूक तो किया है,  इसके साथ ही देश के आम नागरिक भी उनकी जायज मांगों से परिचित हो गए हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर आंदोलन का आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। 

kisan andolan
farmers protest
Kisan Mahapanchayat
Muzaffarnagar Mahapanchayat
Samyukt Kisan Morcha
किसान आंदोलन

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

1982 की गौरवशाली संयुक्त हड़ताल के 40 वर्ष: वर्तमान में मेहनतकश वर्ग की एकता का महत्व

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका में सत्ता बदल के बिना जनता नहीं रुकेगीः डॉ. सिवा प्रज्ञासम
    12 May 2022
    स्पेशल इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बात की, श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता-ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता डॉ. सिवा प्रज्ञासम से और जानने की कोशिश की कि किस दिशा में बढ़ रहा है आंदोलन।
  •  delimitation report
    न्यूज़क्लिक टीम
    जम्मू कश्मीर की Delimitation की रिपोर्ट क्या कहती है?
    12 May 2022
    जम्मू कश्मीर से जुड़ा परिसीमन की रिपोर्ट क्या कहती है? भाजपा इस रिपोर्ट पर खुश क्यों हैं और भाजपा के अलावा दूसरी पार्टियां खफा क्यों है? क्या निष्पक्ष ढंग से परिसीमन किया गया? जम्मू कश्मीर के परिसीमन…
  • दमयन्ती धर
    खंभात दंगों की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए मुस्लिमों ने गुजरात उच्च न्यायालय का किया रुख
    12 May 2022
    याचिका के मुताबिक पुलिस कथित तौर पर हिंदुओं और मुस्लिमों के द्वारा दायर की गई प्राथमिकियों पर जानबूझकर अलग-अलग तरीके से और दुर्भावनापूर्ण तरीके से जांच कर रही है।
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !
    12 May 2022
    बोल के लब के आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं खरगोन में मुस्लिम महिलाओं के रैली की जिसमे निर्दोष लोगो को रिहा करने की मांग की गई हैं।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 
    12 May 2022
    पीएमजीकेएवाई ने भाजपा को विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की थी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License