NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
4 सालों में वाराणसी के लिए मोदी ने की 42,000 करोड़ रूपये से अधिक की परियोजनाओं की घोषणा
क्या प्रधानमंत्री के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र में इतना सार्वजनिक धन खर्च करना उचित है? और क्या इससे वास्तव में कोई बदलाव आ रहा है?
सुबोध वर्मा
21 Sep 2018
PM Modi's promises to Varanasi

नरेंद्र मोदी ने 2014 के आम चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश से अपनी वाराणसी लोकसभा सीट बरकरार रखने का  फैसला किया थाI तब से अब तक वे 14 बार यहाँ का दौरा कर चुके हैं, उनका पिछला दौरा इसी महीने की 17-18 सितम्बर को थाI पिछले चार वर्षों में उनकी यात्राओं पर मीडिया रिपोर्टों की  पड़ताल से पता चलता है कि उन्होंने इन यात्राओं के दौरान 42,514 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की। ये केवल घोषणाएं हैं, वास्तविक व्यय आंकड़े नहीं।

चुनाव अभियान के दौरान और उनकी जीत के बाद, उन्होंने कुछ ‘आकर्षक’  वादे किए, जिनमें शामिल थी एक मेट्रो, मोनोरेल, छः लेन राजमार्ग, फ्लाईओवर, घुमावदार सड़कें, कस्बों का निर्माण, 24 घंटे पानी, बिजली और ब्रॉडबैंड, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, एक भोजपुरी फिल्म सिटी, एक अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिकता-व-दर्शन केंद्र, बैटरी संचालित कारें, हैंडलूम और हस्तशिल्प के लिए एक वैश्विक ई-कॉमर्स संचालित मार्ट, सार्वजनिक स्थानों में सौर प्रकाश व्यवस्था और  एक नयी गंगा नदी जिसमें पानी में लक्ज़री क्रूज़ चलेंगे। कभी उन्होंने वादा किया कि इस शहर को जापान के क्योटो के प्राचीन पवित्र शहर की तरह  बनायेंगे और  कभी वादा किया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लंदन को जिस तरह फिर से बसाया गया उसी तरह वाराणसी का पुनर्वास किया जायेगाI

शायद वाराणसी के लोग इस भड़कीले खवाब से प्रभावित हुई हो या फिर उन्हें लगा हो कि अगर प्रधानमंत्री खुद उनके संसद हों तो उन्हें तमाम तरह के फ़ायदे होंगे, जो भी कारण रहे हों लेकिन मोदी आसानी से वहाँ से जीत गयेI तब से यहाँ एक के बाद दूसरी करोड़ों की लागत वाली परियोजनाओं की घोषणा हो रही हैI

PM's promises to Varanasi.png

अपने सबसे हालिया दौरे में, जो उनके अपने 68 वें जन्मदिन का भी अवसर था, मोदी ने वाराणसी में हुए "विकास" की समीक्षा की। उन्होंने जिस एक चीज़ का विशेष रूप से उल्लेख  किया वो था शहर की संकीर्ण गलियों में हवा में फैला बिजली की तारों का बेतरतीब जाल, जिसे उन्होंने अपने शुरूआती दौरों में देखा थाI उन्होंने मासूमियत से दावा किया कि "शहर का एक बड़ा हिस्सा ऐसे तारों से छुटकारा पा  चुका है और बाकि जगहों पर भूमिगत तारें डालने का काम तेजी से चल रहा है"। चार साल में केवल एक हिस्सा? यही सब यहाँ के निवासी सोच रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि स्थानीय हवाईअड्डे पर यात्रियों की संख्या 2014 में आठ लाख  के मुकाबले अब बढ़कर 21 लाख हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह विकास के लक्षण हैं, स्मार्ट सिटी का एक संकेत है।

इन चार वर्षों में, मोदी ने इतने कार्यक्रमों की नींव रखी/ उद्घाटन किया / शुरुआत/ हरी झंडी दिखाई जिन्हें देखकर चक्कर आ सकते हैंI   इसमें  देसी गाय की ऊँची नस्ल के संरक्षण के लिए गंगातीरी नाम का एक केंद्र शुरू करना भी शामिल हैI यह बीएचयू में उद्यमियों के लिए बनाये गये अटल इन्क्यूबेशन सेंटर के तहत स्थापित किया गया हैI । वाराणसी और पटना के बीच गंगा पर एक लक्जरी क्रूज शुरू किया गया है। जिसका खर्च है नौ दिन की यात्रा के लिए ट्विन-शेयरिंग आधार पर 90,000 रूपये प्रति व्यक्ति।

ये दूसरी बात है कि मोदी बार-बार अपने भाषणों में जिस ‘माँ’ गंगा का सम्मान करते सुनाई पड़ते हैं वो पहले की ही तरह गन्दी और प्रदूषित हैI मोदी ने हिमालय में इसके स्रोत से लेकर कोलकाता तक इसकी सफाई के लिए 21,000 करोड़ रूपये की घोषणा की, जिसमें से 600 करोड़ उनके निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के लिए अलग से रखे गयेI सीवेज और प्रदूषण उपचार संयंत्र सहित बहुत से उपायों की सूचि तैयार की गयीI लेकिन गंगा की स्थिति उतनी ही दयनीय बनी रहीI

मोदी ने शहर के परेशान निवासियों को हजारों एलईडी बल्ब वितरित किए हैं और  उन्होंने पिछली यात्रा में 500 शहद मधुमक्खी के छत्ते बाँटे। उनके सलाहकारों को भी शायद अब समझ नहीं आ रहा है कि वे और क्या बँटवाएँ मोदी जी से!

वाराणसी या फिर जिसे मोदी बार-बार काशी पुकारते हैं, उसके लिए घोषित योजनाओं में भागीदारी के लिए तमाम मंत्रालयों को भी शामिल कर लिए गया हैI मीडिया ख़बरों से पता चालित है कि विभिन्न मंत्रालयों ने 8000 करोड़ रूपये से ज़्यादा की लागत वाली योजनाओं की घोषणा की है जो अप्रत्यक्ष तौर पर इस शहर को फ़ायदा पहुँचाएँगीI मसलन सड़क मंत्रालय के राजमार्ग और विभिन्न जगहों को जोड़ने वाली सड़कों सम्बंधित परियोजनाI यहाँ तक कि पोत परिवहन मंत्रालय ने भी वाराणसी के रामनगर में एक बहुआयामी टर्मिनल बनाने की घोषणा की है!

वाराणसी की यह विचित्र कहानी सुनाने के पीछे का कारण यह तीन प्रश्न उठाना था:

 

  • भारत के प्रधानमंत्री का अपने निर्वाचन क्षेत्र में यूँ पानी की तरह पैसा बहाना नैतिक और कानूनी तौर पर कितना सही है?

 

  • देश के सबसे घनी आबादी के और सबसे ग़रीब इलाके के बीचोंबीच बसे एक टापू जैसे इस शहर को इस तर्ज़ पर ‘विकसित’ करना कितना न्यायसंगत है, जबकि यहाँ आस-पास न कोई उद्योग है, यहाँ सैंकड़ों की तादाद में बच्चे इन्सेफेलाइटिस से मर जाते हैं और ज़मींदारों की ज़मीनों पर भूमिहीन मज़दूर अपने श्रम को कोडियों के दाम बेचने को मजबूर हैं!

 

  • क्या यह रुपया सच में वाराणसी के 15 लाख निवासियों तक पहुँच रहा है और उनके हालात सुधार रहा है? तमाम मीडिया ख़बरों से पता चलता है कि यह शहर अब सड़क कार्यों, बड़े-बड़े होर्डिंग और बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले ठेकेदारों की बेतरतीब दुनिया बन गया हैI इस साल की शुरुआत में यहाँ जो फ्लाईओवर गिरा उसी से पता चलता है कि इस ‘विकास’ कार्य की असलियत क्या है? क्या शहर से बुनकर, किसान और पर्यटन उद्योग के कर्मचारी ‘अच्छे दिनों’ का लुत्फ़ उठा रहे हैं या इसके लिए उन्हें मोदी को एक बार फिर चुनना पड़ेगा?
Narendra modi
Modi's promises
varanasi

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License