आज ही के दिन साल 2016 में मोदी सरकार ने 85% नोटों को एक झटके में बेकार बना दिया था। आज पाँच साल बाद साफ है कि नोटबन्दी से न नकदी के इस्तेमाल में कमी आयी, न सरकार को मिलने वाले टैक्स में इज़ाफ़ा हुआ, और न ही काला धन कम हुआ। बल्कि इस नोटबन्दी की वजह से देश की GDP नीचे गिरी और बेरोज़गारी बढ़ी है।