NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
7 महीने से आंदोलनरत मज़दूरों की प्रतिरोध सभा, एकजुटता का आह्वान
उत्तराखंड के पंतनगर में भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) में 303 श्रमिकों की छँटनी और 47 श्रमिकों के ले-ऑफ के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन जारी है।
मुकुंद झा
27 Jul 2019
Worker Protest

उत्तराखंड के पंतनगर में 26 जुलाई को भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) के 303 श्रमिकों की छँटनी और 47 श्रमिकों के ले-ऑफ के ख़िलाफ़ कंपनी गेट स्थित धरना स्थल पर जबरदस्त प्रतिरोध सभा हुई। ये श्रमिक बीते 7 माह से संघर्षरत है और इनकी प्रमुख मांग है कि निकाले गए समस्त मज़दूरों की कार्य बहाली की जाए।

श्रमिकों ने आरोप लगाया की भगवती प्रोडक्ट लिमिटेड (माइक्रोमैक्स) प्रबंधन एवं उत्तराखण्ड शासन-प्रशासन के गठजोड़ के चलते विगत 5 वर्षों से कार्यरत बी-टेक एवं डिप्लोमा प्राप्त 303 स्थायी श्रमिकों की बगैर नोटिस के गैरकानूनी रूप से 27 दिसंबर 2018 को छंटनी कर दी गई। इसके बाद से ही ये श्रमिक कंपनी गेट के समक्ष दिन और रात में महिला व पुरुष सहकर्मी के साथ धरने पर बैठे हैं। 
इस बीच में कई रैली और विरोध प्रदर्शन भी किये गए। श्रमिकों ने सभी मजदूर और उनके संगठनों से एकजुट होकर प्रबंधन व प्रशासन के गठजोड़ के खिलाफ फिर से संघर्ष के लिए तैयार होने का आह्वान किया है।

64713513_449598059228867_6027950041174376448_n.jpg

उनके इस संघर्ष को तमाम यूनियनों व संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। श्रमिक संयुक्त मोर्चा, इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, एडविक श्रमिक संगठन, रानै एम्पलाई यूनियन, एम एम पी एल, मंत्री मैटलिक वर्कर यूनियन, देना श्रमिक संगठन,सीआईटीयू, इन्ट्रार्क कर्मचारी संगठन, नैस्ले कर्मचारी संगठन, ब्रिटानिया श्रमिक संगठन, रॉकेट रिद्धि-सिद्धि कर्मचारी संगठन, एल जी बी कर्मचारी यूनियन, एलिएंट कर्मचारी यूनियन, वोल्टास एम्पलाई यूनियन, पारले मजदूर संघ व अन्य संगठन इस प्रतिरोध सभा में शामिल रहे।

पूरा मामला है क्या?

आपको बता दें कि ये कर्मचारी 27 दिंसबर 2018 से यानी 200 से अधिक दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों के मुताबिक पिछले वर्ष दिसंबर में क्रिसमस के मौके पर उन्हें दो-तीन दिन की छुट्टी दी गई थी, जिसके बाद मज़दूर अपने काम पर आये तो उन्हें गेट पर एक नोटिस लगा मिला, जिसमें 300 से अधिक कर्मचरियों का नाम लिखा था। बताया गया कि इनकी सेवाएं अब समाप्त कर दी गईं। 

अचानक बिना कोई नोटिस के ऐसा फैसला कैसे लिया जा सकता था? इससे सभी कर्मचारी हैरान थे, मैनजमेंट के इस फैसले से काफी गुस्से में भी थे। उन्होंने मैनेजमेंट से इस गैर क़ानूनी छंटनी पर सवाल किया तो कहा गया की फैक्ट्री में अब इतने लोगों का काम नहीं है इसलिए इनको हटाया जा रहा है, जबकि वहाँ काम करने वाले मज़दूरों का कहना है जब वो वहाँ काम कर रहे थे तब भी मज़दूरों से उनकी क्षमता से अधिक काम लिया जाता था। अचानक यह कहना काम नहीं है समझ से परे है।
तब से ही भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) के मजदूर छँटनी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। कंपनी गेट पर रात-दिन का धरना जारी है। इस दौरान मैनेजमैंट ने तमाम तरह की दिक्कतें पैदा की और कई धाराओं में मजदूरों पर केस दर्ज कराया। 25 जून से कर्मचारी क्रमिक अनशन पर भी बैठे हैं।

 58655493_410327379822602_3364954228983332864_n.jpg
न्यायालय के आदेश का पालन नहीं हुआ!
जब सरकार और शासन-प्रशासन से कोई न्याय न मिला तो कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय का रुख किया। उच्च न्यायालय नैनीताल ने भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) में 303 मज़दूरों की ग़ैरकानूनी छँटनी के खिलाफ महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने शासन को 40 दिन के भीतर इसका निपटारा करने निर्देश दिया। श्रमिक पक्ष की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी पंत ने पैरवी की।  
न्यायाधीश आलोक सिंह की एकल पीठ ने 30 अप्रैल, 2019 के फैसले में उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया है कि श्रमिक पक्ष द्वारा दिनांक 14.01.2019 को प्रमुख सचिव श्रम को ग़ैरकानूनी छँटनी और बंदी के सम्बंध में भेजे गए पत्र को 40 दिन के भीतर उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों में निस्तारित करे। चूंकि बगैर अनुमति छँटनी हुई है, इसलिए यह अवैध घोषित होना है।
इस आदेश के बाद श्रमिक में ख़ुशी थी कि अंतत न्यायलय ने उनकी बात सुनी। इसके बाद श्रमिक पक्ष ने प्रमुख सचिव श्रम,उत्तराखंड को माननीय न्यायालय के आदेश की प्रतिलिपि के साथ पत्र भेजकर तत्काल सुनवाई की अपील की है।
लेकिन मज़दूरों को एकबार फिर निराशा मिली, जब उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत श्रम सचिव ने लिखा है कि सुनवाई के लिए कोई अर्जेंसी नहीं है, छँटनी का मामला श्रम न्यायालय निस्तारित करेगा। हाँलाकि प्रबन्धन के हवाले से यह ज़रूर लिखा है कि प्लांट बंद नहीं होगा।

64609772_440458320142841_1634336855442849792_n.jpg
श्रम सचिव के इस आदेश के बाद मजदूरों में आक्रोष और बढ़ गया और प्रदर्शन के 168वें दिन उन्होंने स्थानीय रुद्रपुर के मुख्य बाजार में काला मुखौटा पहनकर जुलूस निकाला।  
भगवती श्रमिक संगठन के अध्यक्ष सूरज सिंह ने कहा कि जहां एक तरफ तमाम कठिनाइयों रहीं, कई फर्जी मुकदमें लगे। राज्य की भाजपा सरकार, शासन-प्रशासन, श्रम विभाग और पुलिस द्वारा मालिकों को संरक्षण देने की कोशिशें लगातार जारी हैं। वहीं दूसरी तरफ इन विकट परिस्थितियों में भी मजदूरों का आंदोलन लगातार जारी है। प्रबंधन की लाख कोशिशों के बावजूद मजदूरों का धरना कंपनी गेट पर ही जारी है, जहां पर पिछले 22 दिनों से क्रमिक अनशन भी चल रहा है। दूसरी तरफ कानूनी लड़ाई भी जारी है।
सूरज ने बताया कि छँटनी की सूची में शामिल न होने के बावजूद उन्हें भी कंपनी में नहीं प्रवेश करने दिया गया। उनकी ग़ैरकानूनी गेट बंदी कर दी गई और बाद में मौखिक तौर पर निलंबित कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि आज जब पूरे देश में मज़दूरों पर हमले तेज हो गए हैं, देश का मज़दूर आंदोलन कमज़ोर है, तब मजदूरों के संघर्ष के इस हौसले और जज्बे को सलाम!

क्या सच में उत्पादन में कमी के कारण मज़दूरों की छंटनी हुई?
भगवती श्रमिक संगठन के महासचिव दीपक ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए प्रबंधन के उस दावे को सिरे से खरिज किया कि उत्पादन में कमी आई है इसलिए मज़दूरों को निकला जा रहा है। उन्होंने बताया कि अगर उत्पादन कम हुआ है तो भगवती प्रबंधन के दूसरे प्लांट चाहे वो हैदरबाद हो या हरियाणा का भिवानी प्लांट सभी जगह काम चल रहा है, यही नहीं वहां नई भर्ती भी की जा रही है। अगर लोगों की जरूरत नहीं तो नई भर्ती क्यों? यानी कम्पनी के उत्पादन में कमी नहीं आयी है। 
आगे उन्होंने कहा कि कम्पनी केवल सब्सिडी और टैक्स की रियायतों का लाभ उठाकर कंपनी बंद कर दूसरे राज्य में पलायन कर रही है। दूसरा प्रबंधन नियमित कर्मचारियों को हटाकर केंद्र सरकार द्वार लागू किये गए सस्ते श्रम की नीति अपना रही है। जिसके तहत नियमित मज़दूरों को हटाकर संविदा और नीम कानून के तहत सस्ते श्रमिक रखे जा रहे हैं। 
आपको बता दे उत्तरखंड और कई पहाड़ी राज्यों में सरकारों ने नए उद्दोगों को स्थपित करने के लिए टेक्स में छूट और अन्य सब्सिडी दी थी जिसकी अवधि अब खत्म हो रही है। इसके बाद ये कम्पनियां दूसरे राज्य में पलायन कर रही हैं। श्रमिकों ने इसे गलत बताते हुए इसका विरोध किया है।

Uttrakhand
Labour
Labour Right
Labour Laws
MICROMAX WORKER IN UTTRAKHRN
workers condition in uttrakhand

Related Stories

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

2021 : जन प्रतिरोध और जीत का साल

उत्तराखंड: गढ़वाल मंडल विकास निगम को राज्य सरकार से मदद की आस

मुश्किलों से जूझ रहे किसानों का भारत बंद आज

हिमाचल में हुई पहली किसान महापंचायत, कृषि क़ानूनों के विरोध के साथ स्थानीय मुद्दे भी उठाए गए!

उत्तराखंड: एक सड़क के लिए दो महीने से आंदोलन फिर भी सुनवाई नहीं

उत्तराखंड: सरकार ने आंदोलनकारी शिक्षक-कर्मचारियों की लिस्ट मंगाई, वेतन रोका


बाकी खबरें

  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव
    30 May 2022
    जापान हाल में रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने वाले अग्रणी देशों में शामिल था। इस तरह जापान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।
  • उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना
    30 May 2022
    पूर्व में बाग़ी रहे नेता गुस्तावो पेट्रो पहले दौर में अच्छी बढ़त के साथ सबसे आगे रहे हैं। अब सबसे ज़्यादा वोट पाने वाले शीर्ष दो उम्मीदवारों में 19 जून को निर्णायक भिड़ंत होगी।
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी केसः वाराणसी ज़िला अदालत में शोर-शराबे के बीच हुई बहस, सुनवाई 4 जुलाई तक टली
    30 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद के वरिष्ठ अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कोर्ट में यह भी दलील पेश की है कि हमारे फव्वारे को ये लोग शिवलिंग क्यों कह रहे हैं। अगर वह असली शिवलिंग है तो फिर बताएं कि 250 सालों से जिस जगह पूजा…
  • सोनिया यादव
    आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?
    30 May 2022
    बहुत सारे लोगों का मानना था कि राजनीति और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के चलते आर्यन को निशाना बनाया गया, ताकि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रहे।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिमाचल : मनरेगा के श्रमिकों को छह महीने से नहीं मिला वेतन
    30 May 2022
    हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में मनरेगा मज़दूरों को पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिल पाया है। पूरे  ज़िले में यही स्थिति है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License