NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
8-9 जनवरी की श्रमिक हड़ताल को वाम दलों का सक्रिय समर्थन
"मोदी सरकार की कॉरपोरेट परस्ती के खिलाफ मजदूर वर्ग नए साल की शुरूआत अपने जुझारू तेवर के साथ करेगा।"
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 Dec 2018
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy: google

बिहार के 6 वाम दलों की संयुक्त बैठक में 8-9 जनवरी को सभी ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर संगठित-असंगठित मजदूर वर्ग की देशव्यापी आम हड़ताल को सक्रिय समर्थन देने का ऐलान किया गया। हड़ताल में आशाकर्मियों, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, रसोइया, ममता, कूरियर सहित तमाम स्कीम वर्करों को न्यूनतम मजदूरी देने, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने, किसानों के सभी प्रकार के कर्जों की माफी आदि सवालों को प्रमुखता से उठाया जाएगा।

मंगलवार को पटना में भाकपा-माले विधायक दल कार्यालय में सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कहा गया कि मोदी सरकार की कारपोरेट परस्ती के खिलाफ मजदूर वर्ग नए साल की शुरूआत अपने जुझारू तेवर के साथ करेगा। 

वाम दलों ने विगत 1 दिसंबर से आशाकर्मियों की जारी हड़ताल के प्रति राज्य सरकार के रवैये के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि मुख्यमंत्री को अब इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। आशाकर्मियों की हड़ताल से बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह चरमरा गई हैं। वाम नेताओं ने आश्चर्य व्यक्त किया कि अब तक सरकार की ओर से कोई पहलकमदी क्यों नहीं हुई है? वाम नेताओं ने संयुक्त रूप से मांग की है कि आशाकर्मियों के मासिक मानदेय को सरकार पूरा करे और बिहार की जनता के हित में इस हड़ताल को अविलंब समाप्त कराए। उन्हें सरकारी सेवक का दर्जा तथा न्यूनतम 18000 रुपये मासिक मानदेय मिलना ही चाहिए। न्यूनतम मजदूरी कानून का खुलेआम उल्लंघन इस मामले में देखा जा रहा है, जो कहीं से भी सही नहीं है। दिल्ली-पटना दोनों सरकारें स्कीम वर्करों के साथ घोर मजाक कर रही हैं। 

बिहार में अपराध व दलितों-महिलाओं पर हमले की लगातार बढ़ती घटनाओं पर भी वाम दलों की बैठक में गहरी चिंता व्यक्त की गई। आरा के मौलाबाग कल्याण छात्रावास में घुसकर एक दलित छात्र को गोली मारने की घटना की वाम नेताओं ने तीखी भर्तसना की। कहा कि हत्या-बलात्कार आदि घटनाएं भाजपा-जदयू राज में बहुत आम हो गई हैं। भाजपा द्वारा देश में जो उन्माद-उत्पात की राजनीति की जा रही है, उसी का नतीजा है कि अपराधियों का मनोबल आज सातवें आसमान पर है।

वाम नेताओं ने एक बार फिर सरकार द्वारा गरीबों को उजाड़ने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि चंपारण से लेकर आज पूरे राज्य में गरीबों को उजाड़ा जा रहा है। हम बार-बार इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार हमारी मांगों को अनसुनी कर रही है।

वाम नेताओं ने कहा कि 8-9 जनवरी की हड़ताल के बाद राजनीतिक परिस्थिति पर बातचीत के लिए वाम दल एक बार फिर से जुटेंगे।

बैठक में भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा और वरिष्ठ नेता केडी यादव व राजाराम, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार, राज्य सचिव मंडल के सदस्य अरूण मिश्रा व सर्वोदय शर्मा; सीपीआई के राज्य सचिव मंडल सदस्य रामनरेश पांडेय; एसयूसीआई (सी) के राजकुमार चैधरी व एम के पाठक, फारवर्ड ब्लॉक के प्रदेश अध्यक्ष अमेरिका महतो व प्रदेश महासचिव धर्मेन्द्र कुमार तथा आरएसपी के वीरेन्द्र ठाकुर उपस्थित थे।

Workers Strike
Anti Labour Policies
anti-worker policies
anti-people policies
workers protest
Informal sector workers
Formal sector workers
NDA Govt
Modi government
left parties
Left unity

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License