NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
किसी भी तरह विरोध को दबाना चाहती है यूपी सरकार, 8 किसान नेताओं पर गुंडा एक्ट लागू
जिन किसान नेताओं पर मामला दर्ज किया गया है, उनका कहना है कि सरकार किसानों के तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों का विरोध करने से रोकने के लिए इस कड़े क़ानून का ग़लत इस्तेमाल कर रही है।
अब्दुल अलीम जाफ़री
10 Jan 2021
Farmer
फ़ाइल फ़ोटो।

लखनऊ: इसे सत्ता का ग़लत इस्तेमाल करने की कोशिश ही कहा जायेगा कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली-नोएडा सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन में कथित रूप से भाग लेने के आरोप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एक छात्र सहित आठ किसान नेताओं के ख़िलाफ़ सख़्त उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण क़ानून, 1970 क़ायम किया गया है।

इस क़ानून का इस्तेमाल अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के ज़िला सचिव रामजी सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के ज़िला सचिव जयशंकर सिंह, स्वराज इंडिया के रामजनम यादव, बीएचयू के छात्र शिवराज यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (CPI-M) के सदस्य बंसराज पटेल, वाराणसी के नेहालुद्दीन, मोहम्मद आलम और शिवशंकर लाल के ख़िलाफ़ किया गया है।

रामजी सिंह को वाराणसी के ज़िला मजिस्ट्रेट की तरफ़ से भेजे गये और न्यूज़क्लिक के हाथ लगे इस नोटिस में कहा गया है कि सूचना के आधार पर उन्हें ऐसा लगता है कि सिंह “ख़ुद या किसी गिरोह के सदस्य या गैंग के सरगना के रूप में आदतन अपराध करते हैं या अपराध करने का प्रयास या इसे अंजाम देने या की कोशिश करते हैं, जो कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 16 (मानव शरीर पर असर डालने वाले अपराध), धारा 17 (संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले अपराध) और धारा 22 (आपराधिक धमकी, अपमान और खीझ पैदा करने) के तहत दंडनीय है।"

दूसरों को भेजे गये इसी तरह के नोटिस में कहा गया है कि वे अपनी ख़तरनाक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं और वाराणसी ज़िले में तोड़फोड़ की योजना बनाते रहे हैं। वे लगातार आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं, आगे दावा करते हुए नोटिस में कहा गया है कि अपने ख़ुद के जान-माल के नुकसान के डर से कोई भी गवाह इन लोगों के ख़िलाफ़ कोई बयान तक नहीं देता है।

इस गुंडा अधिनियम के लगाये जाने पर सख़्त प्रतिक्रिया देते हुए एआईकेएस के रामजी सिंह ने इसे "निकृष्टतम राजनीतिक प्रतिशोध" क़रार दिया है। सिंह ने न्यूज़क्लिक से बताया,"हमें गुंडा अधिनियम के तहत नोटिस भेजे गये हैं और 16 जनवरी तक लिखित स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा गया है कि प्रशासन को इस अधिनियम के तहत कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए।"

जब पूछा गया कि उनके ख़िलाफ़ गुंडा अधिनियम किस आधार पर लागू किया गया है, तो एआईकेएस नेता ने कहा, "हमने लोकतांत्रिक तरीक़े से (वाराणसी) ज़िला मुख्यालय के सामने 4 जनवरी को नई दिल्ली और यूपी की सीमा पर किसानों के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शन के समर्थन में प्रदर्शन किया था।”  उन्होंने आगे कहा कि सरकार नोटिस जारी करके किसानों की आवाज़ को नहीं दबा सकती है और वे किसानों के समर्थन में अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, चाहे पुलिस गिरफ़्तार करे या हिरासत में ले। जिन लोगों के ख़िलाफ़ इस गुंडा अधिनियम के तहत मामले दर्ज किये गये हैं, उन लोगों के साथ बातचीत करने के बाद कहा कि वे इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।

एआईकेएस नेता के मुताबिक़, पिछले कुछ दिनों में वाराणसी में इस गुंडा क़ानून के तहत कम से कम आठ लोगों को नोटिस मिले हैं।

इसी तरह की भावनाओं को आवाज़ देते हुए,स्वराज इंडिया के नेता रामजनम यादव ने कहा, "योगी सरकार गुंडा अधिनियम, गैंगस्टर अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) का इस्तेमाल ख़ास तौर पर उन लोगों के ख़िलाफ़ कर रही है, जो मुसलमान और दलित हैं, और अब वे इन क़ानूनों का इस्तेमाल किसानों के ख़िलाफ़ भी कर रहे हैं।" यादव ने कहा कि इस तरह के क़ानून का इस्तेमाल ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ किया जाना चाहिए, जो सीरियल अपराधी है, लेकिन सरकार तो किसानों को भी नहीं बख़्श रही है।"

हाल ही में शाहजहांपुर की सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले यादव ने कहा,"यह किसानों पर ज़्यादती करने का नया तरीक़ा है। अभी तक सिर्फ़ आठ लोगों को नोटिस मिला है, लेकिन जल्द ही या कुछ दिनों में ही वे उन लोगों को भी नोटिस भेजकर ज़्यादा परेशान करेंगे,जो उत्तर प्रदेश में सीएए / एनआरसी विरोध प्रदर्शन के दौरान सक्रिय थे या फिर जिन्होंने तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों को अपना समर्थन दिया है।" यादव भाजपा सरकार के इस क़दम को विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों के ख़िलाफ़ प्रतिक्रिया के तौर पर देखते हैं।

किसान नेताओं ने कहा कि गुंडा अधिनियम के ये नोटिस उच्च न्यायालय के आदेशों के ख़िलाफ़ हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने कई फ़ैसलों में साफ़ तौर पर कहा है कि गुंडा अधिनियम किसी भी व्यक्ति पर सिर्फ़ एक मुकदमे के आधार पर नहीं लगाया जा सकता है।

यूपी पुलिस बनाम किसान नेता

योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में किसानों के विरोध प्रदर्शन स्थल तक या दिल्ली की सीमा तक पहुंचने से रोकने लिए किसी भी उपाय का इस्तेमाल करने पर आमादा है। इन उपायों में लोगों पर निगरानी रखना, आवाजाही को रोकना और कथित पुलिस उत्पीड़न शामिल हैं। इस बीच, मोबाइल फ़ोन में क़ैद किये गये यूपी प्रशासन और पुलिस द्वारा किसानों को रोके जाने की कई घटनायें सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर वायरल हो गयी हैं।

ऐसी ही एक घटना में बुलंदशहर पुलिस ने गुरुवार को सैकड़ों किसानों को रोक लिया, "उनकी ट्रैक्टर ट्रॉलियों को ज़ब्त कर लिया" और किसान संगठन से जुड़े उन कई नेताओं को नज़रबंद कर दिया, जो कृषि विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ रहे थे। इस घटना को फ़ोन में क़ैद कर लिया गया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया गया।

ट्विटर पर शेयर किये गये इन वीडियो में बुलंदशहर के सर्कल ऑफ़िसर (सिटी) संग्राम सिंह को किसानों के ट्रैक्टर को बीच रास्ते में ही रोकते हुए देखा जा सकता है। पुलिस अधिकारी भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता मांगेराम त्यागी के साथ तीखी बहस कर रहे थे, वे ट्रैक्टर चला रहे थे और उन्हें सड़क किनारे अपना ट्रैक्टर खड़ा करने को कहा गया।

बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने इस बात का दावा किया कि किसानों को रोकने के लिए "किसी तरह के बल का इस्तेमाल नहीं किया गया", बल्कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई, उन्होंने कहा, “अगर हम उन्हें नहीं रोकते, तो 10-15 हजार ट्रैक्टर तो सिर्फ़ बुलंदशहर से ही दिल्ली पहुंच जाते।”

ऐसी ही एक और घटना सीतापुर ज़िले से सामने आयी थी,जहां एक किसान, जिसकी पहचान लखनऊ के राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन (आरकेएमएस) के महासचिव पिंदर सिंह सिंधु के रूप में हुई है, उन्हें पुलिस कर्मियों से भिड़ते हुए देखा गया था, पुलिस ने उनपर 7 जनवरी को एक ट्रैक्टर मार्च के दौरान अपने समर्थकों पर "नियंत्रण नहीं रख पाने" का आरोप लगाया था।

एक पुलिस अधिकारी ने सिंधु को धमकी दी और कहा, “अगर आप इस ट्रैक्टर रैली को नहीं रोकते हैं, तो आपके बरामदे को ध्वस्त कर दिया जायेगा।” दूसरी ओर, किसान पुलिसकर्मियों को "साहेब" कहकर संबोधित कर रहे थे और कह रहे थे कि उनके समर्थक क़ानून का पालन कर रहे हैं।

इस बीच,यूपी सरकार ने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया है,जो राज्य के सभी 75 ज़िलों के दौरे कर रहे हैं। इन अधिकारियों को कथित तौर पर हर ज़िले में उन किसानों को चिह्नित करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है,जो किसान आंदोलन का हिस्सा बनने की कोशिश कर सकते हैं।

सरकार की तरफ़ से इन नोडल अधिकारियों को जारी किये गये निर्देशों के मुताबिक़, उनसे कहा गया है कि वे गांवों का दौरा करें और असरदार किसान नेताओं के साथ बातचीत शुरू करें।

इस बीच,यूपी पुलिस ने सोनभद्र से कांता कोला, वाराणसी से योगी राज पटेल, चंदौली से अजय राय और मऊ से इक़बाल अंसारी सहित राज्य के दो दर्जन से ज़्यादा किसान नेताओं को या तो गिरफ़्तार कर लिया है या हिरासत में ले लिया है। ये तमाम किसान नेता ऑल इंडिया पीपुल्स फ़्रंट से जुड़े हैं।

संगतिन किसान मज़दूर संगठन की सदस्य, ऋचा सिंह को 7 जनवरी की ट्रैक्टर रैली से एक दिन पहले सीतापुर पुलिस ने बुधवार को उनके अपने ही घर में नज़रबंद कर दिया था।

ऋचा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पुलिस ऐसा कोई दस्तावेज़ नहीं दिखा पा रही है, जिसके आधार पर उन्हें नज़रबंद किया गया है। ऋचा ने कहा, “हमने विभिन्न किसान संगठनों की तरफ़ से सीतापुर में एक ट्रैक्टर मार्च का आह्वान किया था और मुझे उस रैली में एक प्रतिभागी के तौर पर जाना था, लेकिन मैं 6 जनवरी की शाम को नज़रबंद थी। मेरा घर घंटे भर में एक पुलिस शिविर में बदल दिया गया और अब तक पुलिस मेरे घर के सामने डेरा डाले हुई है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

8 UP Farmer Leaders Booked under Goondas Act; Police Continue to Thwart Protests, Put Leaders under House Arrest

Goondas Act
UP police
varanasi
Farmers Protests
Narendra modi
Yogi Adityanath
Farmers Protest Uttar Pradesh

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

अनुदेशकों के साथ दोहरा व्यवहार क्यों? 17 हज़ार तनख़्वाह, मिलते हैं सिर्फ़ 7000...


बाकी खबरें

  • उपेंद्र स्वामी
    अंतरिक्ष: हमारी पृथ्वी जितने बड़े टेलीस्कोप से खींची गई आकाशगंगा के ब्लैक होल की पहली तस्वीर
    13 May 2022
    दुनिया भर की: ब्लैक होल हमारे अंतरिक्ष के प्रमुख रहस्यों में से एक है। इन्हें समझना भी अंतरिक्ष के बड़े रोमांच में से एक है। इस अध्ययन के जरिये अंतरिक्ष की कई अबूझ पहेलियों को समझने में मदद
  • परमजीत सिंह जज
    त्रासदी और पाखंड के बीच फंसी पटियाला टकराव और बाद की घटनाएं
    13 May 2022
    मुख्यधारा के मीडिया, राजनीतिक दल और उसके नेताओं का यह भूल जाना कि सिख जनता ने आखिरकार पंजाब में आतंकवाद को खारिज कर दिया था, पंजाबियों के प्रति उनकी सरासर ज्यादती है। 
  • ज़ाहिद खान
    बादल सरकार : रंगमंच की तीसरी धारा के जनक
    13 May 2022
    बादल सरकार का थिएटर, सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का थिएटर है। प्रतिरोध की संस्कृति को ज़िंदा रखने में उनके थर्ड थिएटर ने अहम रोल अदा किया। सत्ता की संस्कृति के बरअक्स जन संस्कृति को स्थापित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    असम : विरोध के बीच हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 3 मिलियन चाय के पौधे उखाड़ने का काम शुरू
    13 May 2022
    असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस साल फ़रवरी में कछार में दालू चाय बाग़ान के कुछ हिस्से का इस्तेमाल करके एक ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डे के निर्माण की घोषणा की थी।
  • पीपल्स डिस्पैच
    इज़रायल को फिलिस्तीनी पत्रकारों और लोगों पर जानलेवा हमले बंद करने होंगे
    13 May 2022
    टेली एसयूआर और पान अफ्रीकन टीवी समेत 20 से ज़्यादा प्रगतिशील मीडिया संस्थानों ने वक्तव्य जारी कर फिलिस्तीनी पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की हत्या की निंदा की है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License