NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश में मध्याह्न भोजन के अभाव में 8 साल की छात्रा को पानी पीकर मिटानी पड़ी ‘भूख’
राज्य में एक बार फिर से खुलने के बाद से अधिकांश स्कूलों में विद्यार्थियों को मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन नहीं मुहैया कराया जा रहा है। 
अब्दुल अलीम जाफ़री
18 Sep 2021
उत्तर प्रदेश में मध्याह्न भोजन के अभाव में 8 साल की छात्रा को पानी पीकर मिटानी ‘भूख’ पड़ी
चित्र साभार: पीटीआई 

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के चिनहट ब्लॉक की आठ-वर्षीया आकृति सुमन रोजाना अपने स्कूल इस उम्मीद के साथ जाती है कि मिड डे मील योजना के तहत उसे दोपहर का भोजन खाने को मिलेगा। हालाँकि, सुबह 9:30 बजे जब आकृति के माता-पिता ने खेत मजदूर के तौर पर काम पर जाने से पहले उसे स्कूल छोड़ा तब से लेकर दोपहर 1 बजे तक उसे कोई भोजन नहीं दिया गया। अंत में जाकर भूखी-प्यासी बच्ची को पानी पीकर अपनी भूख मिटानी पड़ी।

आकृति ने न्यूज़क्लिक को बताया “हर दिन, वे कहते हैं कि कल से भोजन दिया जाएगा, लेकिन ये कल कभी नहीं आता।” कुछ विद्यार्थी हैं जो अपने साथ लंचबॉक्स लाते हैं, लेकिन “घर पर पर्याप्त राशन के अभाव के कारण” उसके लिए यह सब कर पाना संभव नहीं है। उसने आगे बताया “मिड डे मील के रसोईया रोज स्कूल आते हैं लेकिन जब उन्हें पकाने के लिए राशन नहीं दिया जाता तो वे वापस लौट जाते हैं। स्कूल ने ड्रेस, जूते और किताबें भी नहीं दी हैं।”

रमेश, जिनके तीन बच्चे यूपी के बाराबंकी के एक सरकारी स्कूल में दाखिला लिए हुए हैं, कहते हैं, “कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब स्कूल बंद था तो हमें या तो राशन या हमारे बैंक खातों में कुछ रकम मिलने की उम्मीद थी, लेकिन हमें कुछ भी नहीं मिला। 1 सितंबर से स्कूल फिर से खुल गए हैं लेकिन विद्यार्थियों को न तो भोजन दिया जा रहा है और न ही उन्हें पुस्तकें ही मिली हैं। स्कूल ने खाना पकाने का कोई इंतजाम नहीं किया है।”

बाराबंकी के एक प्राथमिक विद्यालय में दाखिला पाया हुआ अरुणेश उस समय बेहद उत्साहित था, जब इस बात की घोषणा की गई थी कि 18 महीनों के अंतराल के बाद स्कूल एक बार फिर से खुलने जा रहे हैं। उसने न्यूज़क्लिक को बताया “हम प्रतिदिन एक बार के भोजन पर जिंदा हैं क्योंकि स्कूल से हमें खाने को नहीं मिल रहा है। मैं एक बार फिर से अपने दोस्तों को देखने को लेकर बेहद उत्साहित था और उम्मीद कर रहा था कि मुझे नई-नई किताबें और खाने को पौष्टिक भोजन मिलेगा। हमारे अध्यापक इसका कारण बता पाने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहे हैं। भोजन की अनुपलब्धता के कारण मेरे कई दोस्तों ने स्कूल आना बंद कर दिया है।”

योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता पर चलने वाले स्कूलों में कक्षा एक से लेकर आठ तक के विद्यार्थी छुट्टियों के दिनों को छोड़कर मुफ्त भोजन पाने के हक़दार हैं। लेकिन स्कूल खुलने के बाद पिछले 20 दिनों से उन्हें भोजन नहीं मुहैया कराया जा रहा है। एक अध्यापक ने दावा किया कि खाद्यान्न के अभाव में यह योजना ठप पड़ी हुई है।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता, वीरेंद्र मिश्रा का इस बारे में कहना है “पूरे उत्तर प्रदेश में यही स्थिति है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मिड डे मील योजना के लिए धनराशि आवंटित कर दी थी, लेकिन कोटेदार (राशन वितरक) की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों को भोजन नहीं मिल पा रहा है।” उनका आगे कहना था कि “अपने बच्चों को स्कूल भेजने वाले माताओं-पिताओं का मुख्य सरोकार इसकी रहती है क उन्हें भोजन मिले क्योंकि उनमें से अधिकाँश लोग आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग से आते हैं।”

इस बीच, वाराणसी के ककरमत्ता कस्बे में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के कई विद्यार्थियों ने स्कूल द्वारा परोसे जाने वाले दोपहर के भोजन को कचरे में फेंक दिया क्योंकि उसमें दुर्गन्ध आ रही थी। कुछ विद्यार्थियों को शक था कि इसे कल रात पकाया गया था।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार को विशेष तौर पर महामारी के दौरान मिड डे मील योजना की महत्ता की याद दिलाई थी। लखनऊ स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता रमन सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया “हमारी टीम ने लखनऊ, वाराणसी, बाराबंकी, उन्नाव और कानपुर के एक दर्जन से अधिक प्राथमिक विद्यालयों का दौरा किया है और पाया है कि वहां पर या तो मध्याह्न भोजन नहीं परोसा जा रहा है या उनकी गुणवत्ता खराब है। महामारी के दौरान जब 17 महीनों तक स्कूल पूरी तरह से बंद थे तो उस दौरान उन्हें कोई राशन आवंटित किया गया था या नहीं, इसका कोई आंकड़ा नहीं है।” उनका आगे कहना था कि “कई स्कूल मिड डे मील इसलिए भी नहीं मुहैया करा रहे हैं क्योंकि वे कोरोनावायरस की तीसरी लहर की संभावना को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत हैं, जिसके दौरान उन्हें फिर से सबकुछ बंद करना पड़ सकता है। इसलिए वे संसाधनों की कमी के बावजूद अधिकरियों से संपर्क करने में हीला-हवाली कर रहे हैं।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

8-year-old Student in Uttar Pradesh Quenches her ‘Hunger’ With Water

Midday Meal
Uttar pradesh
No Midday Meal
Food grains
Yogi Adityanath
Pandemic
COVID-19
COVID
schools reopen

Related Stories

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License