NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
शिक्षा
भारत
राजनीति
यूनिसेफ रिपोर्ट: 80% भारतीय बच्चों ने माना कि महामारी के दौर में उनके सीखने का स्तर घटा
यूनिसेफ ने सरकारों से आग्रह किया है कि सभी स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोल दिया जाए और साथ ही इस बात को भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि यदि आवश्यक हो तो बच्चों को दूरस्थ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में भी सक्षम बनाए रखा जाये।
दित्सा भट्टाचार्य
11 Sep 2021
यूनिसेफ रिपोर्ट: 80% भारतीय बच्चों ने माना कि महामारी के दौर में उनके सीखने का स्तर घटा
प्रतीकात्मक तस्वीर। चित्र साभार: पीटीआई 

यूनिसेफ की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 14 से 18 आयु वर्ग के बच्चों के बीच में कम से कम 80% बच्चों ने कोविड-19 महामारी के दौरान शारीरिक रूप से स्कूल में मौजूदगी की तुलना में निम्न स्तर की शिक्षा ग्रहण करने के बारे में सूचित किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी, निजी एवं नागरिक समाज के अगुआ लोगों के एक साथ आकर दूरस्थ शिक्षण संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला को शुरू करने के बावजूद, विद्यार्थी कोविड-19 महामारी के कारण मार्च 2020 से स्कूलों के भौतिक रूप से बंद होने के दौरान पढ़ाई-लिखाई में पिछड़ रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि “लॉकडाउन के दौरान विद्यार्थी दिन में औसतन तीन से चार घंटे की पढ़ाई कर रहे हैं। हालाँकि, माता-पिता, विद्यार्थियों सहित अध्यापकों का मानना है कि सीखने और सर्वांगीण प्रगति (सामाजिक एवं सांस्कृतिक कौशल, फिटनेस इत्यादि सहित) में व्यापक स्तर पर गिरावट देखने को मिली है। सिर्फ 60% विद्यार्थियों ने ही किसी न किसी प्रकार के दूरस्थ शिक्षण संसाधनों का इस्तेमाल किया है; और उनमें से भी करीब 80% का कहना है कि स्कूल की तुलना में उन्हें कम या काफी कम सीखने को मिल रहा है।

दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जार्ज लार्येया-अदजेई के कथनानुसार “दक्षिण एशिया में स्कूलों के बंद होने से करोड़ों की संख्या में बच्चों और उनके शिक्षकों को एक ऐसे क्षेत्र में दूरस्थ शिक्षा को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है जहाँ पर कम कनेक्टिविटी और उपकरण की खरीद कर पाने की सामर्थ्य का अभाव है। यहाँ तक कि जिस परिवार के पास तकनीक तक पहुँच की सामर्थ्य भी है, वहां पर भी बच्चे हमेशा इसका उपयोग कर पाने में सक्षम नहीं हो पाते। इसका नतीजा यह हुआ है कि बच्चों की शिक्षण यात्रा को गहरा झटका लगा है।”

भारत में 6 से 13 आयु वर्ग के 42% बच्चों ने स्कूलों के बंद होने के दौरान किसी भी प्रकार की दूरस्थ शिक्षा का इस्तेमाल नहीं करने के बारे में सूचित किया है। 

जबकि निजी स्कूलों में पढने वाले विद्यार्थियों में से ज्यादातर व्हाट्सएप्प, प्राइवेट ट्यूशन और लाइव वीडियो कक्षाओं का इस्तेमाल कर रहे थे, वहीँ उनके सरकारी स्कूलों के साथियों ने शिक्षण के लिए ज्यादातर पाठ्यपुस्तकों, अध्यापकों द्वारा घरों का दौरा करने और यूट्यूब का इस्तेमाल किया। इसलिए रिपोर्ट के मुताबिक, कुलमिलाकर इस्तेमाल के मामले में कोई बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “इसका अर्थ यह हुआ कि स्कूलों के बंद होने के बाद से दूरस्थ शिक्षा पाने के लिए उनके द्वारा इनमें से निम्नलिखित का उपयोग किया गया: पाठ्यपुस्तकों, कार्यपुस्तिका, फोन या वीडियो वार्ता, पाठ्य सामग्री तक पहुँच बनाने या शिक्षकों से जुड़ने के लिए व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल, रेडियो या टीवी पर चलने वाले शिक्षण कार्यक्रम, यूट्यूब वीडियो, वीडियो कक्षाएं, लर्निंग एप्लीकेशन, शिक्षकों एवं निजी शिक्षकों का घर पर दौरा, स्थानीय स्थानों पर सामुदायिक शिक्षण एवं अन्य वेबसाइट इत्यादि का उपयोग।”

इसमें कहा गया है कि दूरस्थ शिक्षण का उपयोग करने वालों में से आधे से अधिक विद्यार्थियों ने विभिन्न स्रोतों को उपयोग में लिया है। विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला टूल व्हाट्सएप्प पाया गया है (सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक विद्यार्थियों और 89% शिक्षकों के बीच में)। रिपोर्ट में बताया गया है “कई माता-पिता, किशोर और शिक्षक तकनीकी उपकरणों को बेहद उपयोगी पाते हैं। इनमें से कुछ का तो यह भी मानना है कि व्यक्तिगत रूप से सीखने की तुलना में ये कहीं अधिक प्रभावी हैं। जिन शिक्षकों ने व्हाट्सएप्प, यूट्यूब और लाइव वीडियो कक्षाओं को प्रभावी पाया, उनमें से तकरीबन 40% को लगता है कि व्यक्तिगत रूप से सीखने की तुलना में ये उपरकर कहीं ज्यादा प्रभावी थे।” हालाँकि, इसमें यह भी पाया गया है कि जिन विद्यार्थियों को बेहतर सीखने वाला माना जाता है, उनके द्वारा उच्च तकनीक वाले उपकरणों का कहीं ज्यादा इस्तेमाल किये जाने की भी संभावना है।

यदि अगले तीन महीनों में स्कूल फिर से खोल दिए जाते हैं तो 90% से ज्यादा बच्चों के लौटने की उम्मीद है। इनमें से ज्यादातर और अधिक सीखने और परीक्षा की बेहतर तरीके से तैयारी करने के लिए आना चाहेंगे। लेकिन रिपोर्ट में यह भी देखने को मिला है कि यदि स्कूलों को फिर से खोल दिया जाए तो इसके बावजूद इस बात का गंभीर खतरा है कि कई विद्यार्थी सिर्फ तात्कालिक स्वास्थ्य जोखिमों से इतर भी कई दूसरी वजहों से कभी स्कूल वापस न लौटें। रिपोर्ट का कहना है “जबकि स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं अभी भी स्कूलों में वापस लौटने को लेकर सबसे बड़ी बाधा बनी हुई हैं, लेकिन उत्तरदाताओं की एक अच्छी-खासी तादाद ने वित्तीय मुश्किलों का भी हवाला दिया है। इनमें से 10% परिवार अपने बच्चों को दोबारा से स्कूल भेज पाने की सामर्थ्य नहीं रखते, और 6% ऐसे हैं जिन्हें आय कमाने में मदद के लिए बच्चों की दरकार है।  

यूनिसेफ ने सरकारों से आह्वान किया है कि वे सभी स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और साथ ही इस बात को सुनिश्चित करें कि यदि आवश्यक हो तो बच्चों को दूरस्थ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल करने में सक्षम बनाएं।

जार्ज लार्येया अदजेई के अनुसार “सभी सरकारों के लिए फिर से स्कूलों को सुरक्षित रूप से खोलना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। इसी के समानांतर में, शिक्षकों पर निवेश को भी सुनिश्चित करना होगा ताकि शिक्षक और स्कूल सभी परिस्थितियों में अनुकूल बने रह सकें। जितना अधिक शिक्षकों को दूरस्थ एवं परिष्कृत शिक्षण के मामले में प्रशिक्षित, साधन-संपन्न और समर्थन दिया जायेगा, उतने ही बेहतर तरीके से वे अपने सभी विद्यार्थियों तक पहुँच बना पाने में सक्षम हो सकेंगे।” उन्होंने आगे कहा है “यह एक बेहद अहम निवेश होगा, जिसे हमें बच्चों के लिए करने की आवश्यकता है क्योंकि यह क्षेत्र कोविड-19 की आगामी लहर के लिए कमर कस रहा है। हमें ऐसी प्रणाली को तैयार करने की जरूरत है जो किसी भी तूफ़ान से निपटने में सक्षम हो और भले ही कैसी भी परिस्थिति क्यों न आ जाये, बच्चों का शिक्षण कार्य बदस्तूर जारी रहे।”

शिक्षण के स्तर का आकलन एवं विद्यार्थियों द्वारा शिक्षार्जन को सुनिश्चित करने, शिक्षकों एवं सहायक कर्मचारियों का टीकाकरण, शिक्षा में निवेश का विस्तार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर कनेक्टिविटी में सुधार लाने और उच्च गुणवत्ता का निर्माण करना, विद्यार्थियों की जरूरतों के मुताबिक बहुभाषीय दूरस्थ शिक्षण सामग्री को तैयार करने जैसी अनुसंशाओं को रिपोर्ट में दर्ज किया गया है। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

80% of Indian Children Learnt Lesser During the Pandemic: UNICEF Report

COVID-19
schools
UNICEF
Remote Learning
School Reopening
Children
Learning
education in india

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License