NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
9 अगस्त को देश भर में किसान और मज़दूर करेंगे 'जेल भरो' आंदोलन
जन आंदोलनों के नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार अपनी जन विरोधी नीतियों नहीं पलटती तो किसान -मज़दूर एकता सरकार को पटल देगी। 
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Jul 2018
workers protest
Image Courtesy: NDTV.com

वामपंथी ट्रेड यूनियन Center for Indian trade unions (CITU ) और अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 9 अगस्त को देश भर में जेल भरो आंदोलन करेगी । CITU के महासचिव तपन सेन ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए आंदोलन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आंदोलन का मकसद मोदी सरकार की मज़दूर और किसान विरोधी नीतियों को बेनक़ाब करना है। तपन सेन ने  कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में मज़दूरों और किसानों पर लगातार हमले हो रहे हैं और सरकार कुछ भी नहीं कर रही। साथ ही उनका कहना था कि मोदी और उनकी सरकार ने लोगों को बहुत वादे किये थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया और इसके बजाये सरकार लगातार आम लोगों की एकता तोड़ने के प्रयास में है।  

कुछ ही दिन पहले अखिल भारतीय किसान सभा ने इस जेल भरो आंदोलन को करने का ऐलान किया था और कल CITU ने भी इसमें शामिल होने की बात कही। इस विरोध प्रदर्शन के लिए 9 अगस्त के दिन को इसीलिए चुना गया है क्योंकि इसी दिन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुवात हुई थी। किसान और मज़दूर नेताओं का कहना है कि ये आंदोलन देश भर में हर ज़िले में किया जायेगा। हर ज़िले में बड़ी संख्या में गिरफ्तारयाँ दी जाएंगी , इसके साथ 10 करोड़ लोगों के हस्ताक्षरों को इक्कठा करके ज़िला प्रमुख के ज़रिये प्रधानमंत्री मंत्री को भेजा जायेगा। दरअसल ये पिछले कुछ समय से किसानो और मज़दूरों के आंदोलनों की कड़ी में एक और विरोध प्रदर्शन है। 

इसे 5 सितम्बर को दिल्ली में होने वाली 'किसान मज़दूर संघर्ष रैली' की तैयारी की तरह देखा जा रहा है , मज़दूर और किसान नेताओं का कहना है कि इस रैली में देश भर से 5 लाख लोग हिस्सा लेंगे। कहा जा रहा है कि ये रैली ऐतिहासिक होगी क्योंकि हाल के सालों में ऐसा पहली बार होगा कि इतनी  बड़ी संख्या में मज़दूर और किसान साथ में रैली करेंगे। आंदोलन के नेताओं का कहना है कि ये विरोध प्रदर्शन किसानों और मज़दूरों के बीच के मज़बूत एकता कायम करेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार अपनी जन विरोधी नीतियों को नहीं पलटी तो यही एकता सरकार को पटल देगी। 

दरअसल नवउदारवाद के उदय के बाद से ही लगातार सजन आंदोलनों के नेताओं ने कहा है रकारें बाज़ार के दबाव में किसान और मज़दूर विरोधी नीतियाँ अपना रही हैं।  जन आंदोलन से जुड़े नेताओं का कहना है कि पिछले चार सालों से ये नीतियाँ आम जन के लिए और भी क्रूर हो गयी हैं। आम लोग कुछ इस तरह के मुद्दों जो झेल रहे हैं -

फैक्टरियों में लगातार बढ़ता ठेकाकरण , न्यूनतम वेतन को लागू न किया जाना , विभिन्न क्षेत्रों में निजीकरण जिससे सरकारी नौकरियों का कम होना , निश्चित अवधि रोज़गार का नियम आने से कभी भी रोज़गार ख़तम हो जाने का खतरा बढ़ जाना , श्रम कानूनों को जानभूझकर कमज़ोर किया जाना और भूमि अधिग्रहण की नीति से आम लोगों की ज़मीन को छीना जाना। पेट्रल डीज़ल के बढ़ते दाम , लगातार बढ़ती महंगाई , GST और नोटबंदी की वजह से आर्थिक नुक्सान , बेरोज़गारी का लगातार बढ़ना ,नए रोज़गार पैदा नहीं किये जाना , रीटेल और कृषि क्षेत्र में 100 %FDI को लाया जाना जिससे छोटे व्यापारी और किसानों की बारबारी का रास्ता खुल जाना।  इन के आलावा  किसानों के मुद्दे जैसे उपज  का 50 % गुना दाम न मिलना , क़र्ज़  माफ़ी का न किया जाना , न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलना , स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू न किया जाना ,मवेशी बेचने और खरीदने पर रोक लगाना , गौ रक्षकों द्वारा फैलाया जा रहा आतंक और लगातार गाय के नाम पर कत्लेआम।

 इन सभी मुद्दों की वजह से आम लोगों में लगातार रोष बढ़ रहा है। ये देखा गया है कि मुद्दों को सुलझाए जाने के बजाये सत्ताधारी दाल और उससे जुड़े सांप्रदायिक संगठन जनता की एकता को तोड़ने के लिए उन्हें हिन्दू -मुस्लिम की धार्मिक पहचानों में बाँट रहे हैं।  इससे जनता की एकता तो टूट ही रही है साथ ही समाज में भी भय का माहौल और इससे गंगा जमुनी तहज़ीब की हमारी सांझी विरासत को  खतरा बढ़ता जा रहा है।  

जन आंदोलन के नेताओं कहना है कि इसी का जवाब देने के लिए और जनता के सामने एक वैकल्पिक राजनीती पेश करने के लिए ये विरोध प्रदर्शन  किये जा रहा हैं। इससे पहले नवंबर 2017 में हज़ारों किसानों ने देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐतिहासिक किसान संसद की थी। इससे कुछ ही दिन पहले नवंबर में ही हज़ारों मज़दूरों ने भी दिल्ली के संसद मार्ग पर 'मज़दूर महापड़ाव ' किया था और अपनी मांगों को रखा था। इसके बाद इस साल 40000 किसानों ने महाराष्ट्र  के नासिक से मुंबई तक एक 'लॉन्ग मार्च ' निकाला था , जिसके बाद महाराष्ट्र  सरकार को उनकी मांगे माननी पड़ी थी।लेकिन ये सिलसिला दिल्ली में बीजेपी के सत्ता में काबिज़ होने के 1 साल बाद ही शुरू हो गया था ,जब 2015  में देश भर के लाखों मज़दूरों ने अपने अपने राज्यों में हड़ताल की थी।  

Indian workers
farmers
woker-farmer rally
workers protest
farmers protest
jail bharo
Modi

Related Stories

मोदी का ‘सिख प्रेम’, मुसलमानों के ख़िलाफ़ सिखों को उपयोग करने का पुराना एजेंडा है!

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License