NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
मैं तो मोदीजी का कहा मानकर 9 बजे 9 सवालों के 9 दीये जलाऊंगा और आप?
वास्तव में ये वक़्त घर की बत्ती बुझाने का नहीं बल्कि दिमाग़ की बत्ती जलाने का है।
मुकुल सरल
03 Apr 2020
9 बजे 9 सवालों के 9 दीये

मोदी जी ने कहा है तो कुछ सोच-समझ कर ही कहा होगा! इसलिए मैं तो उनके कहे अनुसार 5 अप्रैल को दिवाली मनाऊंगा और रात 9 बजे 9 सवालों के 9 दीये जलाऊंगा। और आप?

वाकई, कोरोना से पूरी गंभीरता से अगर जंग लड़नी है और उसे हराना है तो 9 ज़रूरी सवालों पर सोचना और पूछना ज़रूरी है। ये 9 सवाल कौन से हो सकते हैं-

1.    देश में इस समय बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है? और इसे सुधारने के लिए तत्काल क्या किया जा रहा है। क्या इस आपदा से सबक लेकर हम सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में ज़्यादा से ज़्यादा निवेश की सोच रहे हैं। क्योंकि इस आपात स्थिति में तो हमारे सरकारी अस्पताल और सरकारी डॉक्टर ही काम आ रहे हैं। बड़े-बड़े बहुमंज़िला फाइव स्टार प्राइवेट अस्पताल और उनके महंगे डॉक्टर तो इस समय लगभग ख़ामोश हैं। कई प्राइवेट डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक और कई अस्पतालों ने अपनी ओपीडी तक बंद कर दी है। जबकि कोरोना काल में अन्य बीमारियां स्थगित नहीं हुई हैं।

2.    कोविड-19 की जांच के लिए क्या हमारे सभी अस्पतालों में डायग्नोस्टिक टेस्ट किट्स उपलब्ध हैं? नहीं तो कहां हैं? अगर मेरे छोटे शहर में किसी को संदेह है कि वो संक्रमित है या डॉक्टरों को उसके संक्रमित होने की आशंका है तो उसकी जांच कैसे और कहां होगी और कितने दिनों में रिजल्ट मिलेगा।

3.    हम रोज़ इतने कम टेस्ट क्यों कर रहे हैं। रिपोर्ट है कि भारत में प्रति 10 लाख लोगों में महज़ 6.8 लोगों के टेस्ट किए गए हैं। जो दुनिया के देशों में सबसे कम दर है। जबकि कहा जा रहा है कि इस वायरस से लड़ने और जीतने का एक मात्र तरीका सिर्फ़ और सिर्फ़ परीक्षण, और ज़्यादा परीक्षण ही है। सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन तो सिर्फ़ इसे कुछ समय के लिए फैलने से रोकेगा, लेकिन इसे हराना है तो ज़्यादा से ज़्यादा टेस्ट करने ही होंगे। दक्षिण कोरिया में अभी तक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जो भी उपाय अपनाए गए हैं, उनमें लॉकडाउन कहीं भी नहीं है। दक्षिण कोरिया ने इस वायरस से लड़ने का सिर्फ़ एक ही मंत्र दिया है- पहचान, परीक्षण और इलाज।

4.    कोरोना वायरस से सीधे लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से सुरक्षा के लिए कितने पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) और अन्य ज़रूरी सामान उपलब्ध हैं? और कमी को पूरा करने के लिए क्या किया जा रहा है। कितने ऑर्डर किए गए हैं और वो कब तक पूरे होंगे। क्योंकि ख़बर है कि अब जाकर पीपीई के लिए कुछ कंपनियों को आर्डर दिए गए हैं, जिन्हें वे पूरी क्षमता से पूरा करें तब भी ऑर्डर पूरा करने में कई महीने लग जाएंगे

आज की स्थिति में हमारे पास सरकारी और निजी क्षेत्र में कितने आईसीयू बेड्स और वेंटिलेटर हैं? अगर पर्याप्त नहीं हैं तो आपूर्ति या निर्माण के लिए क्या किया जा रहा है।

पढ़िए राजू पांडेय का यह विशेष आलेख- कोविड-19 : सरकार से कुछ अहम सवाल बार-बार और लगातार पूछे जाने की ज़रूरत

5.    जब सरकार पूरी स्थिति कंट्रोल में होने का दावा कर रही है और कोरोना से लड़ने के सभी साज़ो-सामान उपलब्ध होने की बात कर रही है तो जगह-जगह डॉक्टर, नर्स क्यों हड़ताल पर जा रहे हैं या चेतावनी दे रहे हैं? उत्तर प्रदेश में एंबुलेंसकर्मी क्यों हड़ताल पर चले गए हैं? क्यों अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी काम बंद करने की चेतावनी दे रहे हैं?

पढ़िए हमारी ये रिपोर्ट  यूपी एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल : महामारी का डर और बिना वेतन पेट पालने की समस्या

6.    कोरोना से जंग लड़ रहे अन्य कर्मचारी और लोग जैसे सफाईकर्मी, आशा और आंगनबाड़ी कर्मी, केमिस्ट, ज़रूरी सामान बेच रहे दुकानदार, दूधवाले, सब्ज़ीवाले, इस ख़तरे के बीच भी ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार इत्यादि की सुरक्षा के लिए क्या किया जा रहा है। ऐसे में कोई अगर कोरोना संक्रमित हो जाता है तो उसके इलाज और परिवार की मदद के लिए क्या प्रबंध हैं।

7.    बिना सभी राज्यों से चर्चा किए अचानक से देशव्यापी लॉकडाउन क्यों थोप दिया गया? अगर ये ज़रूरी था तो क्या पूर्व तैयारी थी? क्यों हज़ारों लाखों की संख्या में मेहनतकश मज़दूरों को सड़क पर उतरना पड़ा, क्यों वे भूखे-प्यासे पैदल ही गांव-घर की ओर भागने पर मजबूर हुए?  उनके लिए इतनी देर से और अपर्याप्त पैकेज क्यों घोषित किया गया? उन्हें अपने गांव-घर पहुंचाने की क्या व्यवस्था की गई? जो लोग अभी भी रास्ते में फंसे हैं या जिन्हें रास्ते में ही रोक लिया गया है, उनके खाने-पीने की व्यवस्था कैसे की जा रही है? अगर उन्हें गांव, शहर से बाहर आइसोलेशन या क्वारेंटाइन में रखा जा रहा है तो वहां क्या सुविधा है। उनकी नियमित स्वास्थ्य जांच के अलावा सोने, खाने-पीने, शौचालय और हाथ धोने इत्यादि की व्यवस्था। क्योंकि जगह-जगह से ख़बरें मिल रही हैं कि बिना किसी स्वास्थ्य और सफाई सुविधा के इन लोगों को ऐसे ही स्कूलों या अन्य स्थानों पर बंद कर दिया गया है।

8.    लॉकडाउन के दौरान अपने गांव-घर जाते समय रास्ते में मारे गए मज़दूरों के परिवारों को भी क्या कोरोना से मौत में गिना जाएगा या उनके परिवारों को भी कुछ विशेष आर्थिक मदद दी जाएगी।

9.    ये जो कोरोना वायरस से भी तेज़ी से नफ़रत और सांप्रदायिकता का वायरस हमारे देश में फैल रहा है। उसकी रोकथाम के लिए क्या किया जा रहा है। क्या उसके लिए अपील करने के लिए किसी और दिन का मुहूर्त निकाला गया है। आप किस दिन टेलीविज़न पर आकर कहेंगे कि भाइयो और बहनों आज रात 12 बजे से या कल शाम 5 बजे से हम अपने समाज और मन में बसी नफ़रत और सांप्रदायिकता को मारने के लिए सामूहिक शपथ लेंगे कि किसी से भी धर्म, जाति, लिंग किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगे। न किसी के लिए बुरा सोचेंगे न करेंगे और अगर ऐसा होते देखेंगे तो उसे रोकने की कोशिश करेंगे, पुलिस-प्रशासन को रिपोर्ट करेंगे। अगर हमारी सरकार में या जनता में कोई भी व्यक्ति हिन्दू-मुस्लिम के बीच भेद करता मिलता है, झूठ या नफ़रत फैलाता मिलता है, तो उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

ऐसे बहुत से सवाल हो सकते हैं, मसलन जब जनवरी से ही कोरोना को लेकर दुनियाभर में अलर्ट हो गया था तो मोदी जी, यहां लाखों का मज़मा जोड़कर ट्रंप का स्वागत क्यों कर रहे थे।

जब आज तबलीगी जमात को लेकर इतना शोर है। जब उसमें भारत में भी अलर्ट के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी आए थे तो सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी क्या कर रही थी। उनका वीजा रद्द क्यों नहीं किया गया? अगर आने दिया गया तो एयरपोर्ट पर ही उनकी स्क्रीनिंग की क्या व्यवस्था थी कि आज जाकर पता चल रहा है कि उनमें से बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित थे, उन्हें उसी समय क्यों नहीं वापस भेजा गया या आइसोलेट और क्वारेंटाइन किया गया। कैसे दिल्ली पुलिस की जानकारी के बाद भी इतना बड़ा कार्यक्रम निज़ामुद्दीन मरकज़ में चलता रहा।

हालांकि उस समय देश में संसद और विधानसभाओं समेत सभी कार्यक्रम सुचारू रूप से चल रहे थे। लॉकडाउन के बाद भी मरकज़ में इतने लोग कैसे रुके रह गए जबकि मरकज़ और पुलिस थाने को सिर्फ़ एक दीवार अलग करती है। अगर सबकुछ पुलिस जनकारी में था जैसा का तबलीगी जमात की तरफ़ से दावा भी किया गया तो फिर उन्हें वहां से निकालने के लिए कर्फ्यू पास समेत अन्य इतंज़ाम क्यों नहीं किए गए। क्या सरकार और पुलिस चाहती थी कि ये लोग भी लॉकडाउन तोड़कर पैदल ही निकलकर आनंद विहार बस अड्डा या नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच जाएं।

कोरोना अलर्ट के दौरान ही क्यों सरकार बनाई और गिराई गई। संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी क्यों एक मुख्यमंत्री जैसा ज़िम्मेदार व्यक्ति अयोध्या में कार्यक्रम में शामिल होता है। क्यों 2 अप्रैल को रामनवमी के दिन देश के कई हिस्सों में मंदिरों व अन्य स्थानों पर भीड़ जुटती है। 

इस तरह के आपके मन में बहुत से सवाल हो सकते हैं। जिन्हें हमें अपनी सरकार से पूछना चाहिए। कोई कहे कि ये वक़्त इस तरह सवाल उठाने या आलोचना करने का नहीं है, तो उससे कहिए यही समय है सही सवाल उठाने और सही आलोचना करने का।

मैं सोचता हूं कि ये काम सिर्फ़ 5 अप्रैल को क्यों किया जाए, बल्कि इसे तो रोज़ किया जाना चाहिए। रोज़ रात को दिन भर के सरकार के काम का आकलन, विवेचना और आलोचना करते हुए अपने घर के साथ सोशल मीडिया और मेन मीडिया के प्लेटफार्म पर सवालों के दीये जलाने ही चाहिए। 9 बजे, 9 सवाल, जनता का प्राइम टाइम। क्योंकि वास्तव में ये वक़्त घर की बत्ती बुझाने का नहीं बल्कि दिमाग़ की बत्ती जलाने का है।

इसे भी पढ़ें : कोरोना: सिर्फ़ 4 दिन में 1000 से 2000 हुए केस बनाम मोदी का 9 मिनट 'ड्रामा'!

इसे भी पढ़ें :वाह मोदी जी, वाह! अब अंधेरे से डर कर भागेगा कोरोना!

COVID-19
Coronavirus
India Lockdown
Corona Crisis
Narendra modi
9 minutes Drama
Tablighi Jamaat
Hunger Crisis
poverty
migrants
Workers Migration

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस से लेकर पंजाब के नए राजनीतिक युग तक

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License