NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
तुर्की-रूसी संबंधों में बढ़ती मधुरता के संकेत
रूस के वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को घोषणा की है कि मॉस्को और अंकारा ने रूसी मुद्रा रूबल और तुर्की के लीरा को आपसी भुगतान और निपटान के लिए इस्तेमाल करने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
एम. के. भद्रकुमार
14 Oct 2019
turky
सीरिया के भीतर तुर्की का सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन पीस स्प्रिंग’ 9 अक्टूबर 2019 से शुरू हो चुका है।

क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठ जाएँ और कहें कि रूस और तुर्की के बीच अब कोई दिन का उजाला नहीं रह गया? हम क़रीब क़रीब उसी स्थिति में हैं। बुधवार 9 अक्टूबर के दिन सीरिया में तुर्की सेना की घुसपैठ उसका चरम बिंदु है। अब ज़रा निम्नलिखित पर ध्यान दें। 

रविवार को वाइट हाउस घोषणा करता है कि वह अपनी सेना को उत्तरपूर्व सीरिया से वापस निकाल रहा है, जबकि तुर्की का सैन्य अभियान सीमा पार से आगे बढ़ रहा है। ऐसा महसूस होता है कि यह फ़ैसला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप ऐर्दोगन से फ़ोन पर बातचीत के बाद लिया। ट्रम्प के इस चोटिल फ़ैसले ने अमेरिकी समर्थक शक्तियों को हैरान परेशान करके रख दिया है।

हर तरफ़ इस बात को लेकर अमेरिका की कड़ी आलोचना हो रही है कि इस फ़ैसले ने उसके कुर्द सहयोगियों को वास्तव में बुरी स्थिति में ला खड़ा कर दिया है, सीरिया को अनिश्चित भविष्य के गर्भ में धकेल दिया है, और सबसे अधिक इससे अमेरिकी साख को धक्का लगा है। कुछ ने तो यहाँ तक आगाह किया है कि यह सीरियाई संघर्ष को तब हवा दी जा रही है, जब वास्तव में अंगारे ठन्डे पड़ रहे थे।

इनमें से कुछ आलोचनाएं सही हो सकती हैं। क्योंकि, तुर्की बदले की भावना से भरा हुआ है। वह लम्बे समय से उत्तरी सीरिया में सीमा पार करना चाहता था, जहाँ वह सीरियाई वर्कर्स पार्टी या YPG को कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) अलगाववादियों, जिन्हें तुर्की एक आतंकी गुट समझता है और जिसने दशकों से विद्रोह छेड़ रखा है, और जिसने तुर्की को लम्बे अन्तराल तक किनारे पर समेट रखा था। 

लेकिन इसमें एक “X” फ़ैक्टर भी है। क्या तुर्की इस सारे मामले का अकेला कर्ता धर्ता है? बहुत कुछ इस जवाब पर टिका हुआ है, जो संपूर्णता में तुर्की-रूसी रणनीतिक समझ की कीमियागिरी से जुड़ा है जिसका सिरा सीरिया से काफ़ी आगे तक जाता है।

पिछले मंगलवार को इस बीच एक घटनाक्रम घटा जिसपर शायद ही किसी ने ध्यान दिया हो, जो ठीक 36 घंटे के भीतर ट्रम्प के सीरिया से सैन्य टुकड़ी को वापस बुलाने की घोषणा और उत्तरी सीरिया में तुर्की हस्तक्षेप के दौरान नज़र आई। रूसी वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि मॉस्को और अंकारा के बीच रूसी रूबल और तुर्की के लीरा का इस्तेमाल आपसी लेनदेन को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर हो गया है। RT ने बताया है कि समझौते का उद्येश्य “बैंकों के बीच पारस्परिक क्रिया के साथ साथ दोनों देशों की व्यावसायिक संस्थाओं के बीच निर्बाध भुगतान को और अधिक विस्तार देने और मज़बूती प्रदान करने को सुनिश्च्ति करना है।”

साफ़ शब्दों में कहें तो, मॉस्को और अंकारा ने इसके द्वारा भविष्य में तुर्की के ख़िलाफ़ संभावित अमेरिकी और/या पश्चिमी देशों द्वारा लगाए जा सकने वाले प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ एक अग्नि सुरक्षा-घेरे का निर्माण किया है। 

RT के अनुसार नई तुर्की-रूसी भुगतान प्रणाली द्वारा तुर्की बैंक और कंपनियां रूसी SWIFT भुगतान नेटवर्क के समानांतर जुड़ जाएँगी, “जो तुर्की को रूसी MIR कार्ड के इस्तेमाल की अनुमति देगा, जिसे मॉस्को ने मास्टर कार्ड और वीसा के विकल्प के रूप में डिज़ाईन किया है, और इससे तुर्की के बुनियादी ढाँचे को विकसित होने में मदद मिलेगी।”

रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है, “नया समझौता दो राष्ट्रों का अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता में कटौती करने का एक प्रयास का हिस्सा है ।।।एर्दोगन ने पिछले साल इस योजना की घोषणा की थी अमेरिकी डॉलर की एकाधिकार को ख़त्म करने के लिए एक नई प्रणाली विकसित की जाएगी, जिसका लक्ष्य विदेशी मित्र देशों के साथ बिना डॉलर के लेन देन के व्यापार को संभव करना हो।”

तुर्की के साथ यह समझौता राष्ट्रपति पुतिन के रूसी विदेश व्यापार में अमेरिकी डॉलर से मुक्ति पाने के महत्वाकांक्षी अभियान में सबसे नया तमगा है। (तुर्की और रूस के बीच व्यापक स्तर पर व्यापार होता है, जो पिछले साल 16% की वृद्धि के साथ 25.5 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।) साफ़ तौर पर, तुर्की-रूसी भुगतान प्रणाली में यह बदलाव दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण विदेश नीति का दाँव है। 

अगले दिन, बुधवार को, सीरिया में तुर्की सेना का हस्तक्षेप शुरू होता है। ग़ौरतलब है कि अभियान से ठीक पहले तुर्की राष्ट्रपति रेसेप एर्दोगन ने पुतिन से फ़ोन पर बात की थी।

क्रेमलिन की ओर से कहा गया, “सीरिया के उत्तर-पूर्व में सैन्य अभियान को अंजाम देने के लिए तुर्की की घोषित योजनाओं की रोशनी में, व्लादिमीर पुतिन ने अपने तुर्की साझेदार से आग्रह किया है कि वे स्थिति का सावधानीपूर्वक जायज़ा लें,  ताकि सीरिया संकट को हल करने के हमारे संयुक्त प्रयासों को कोई नुकसान न पहुंचे।" दोनों राष्ट्रपतियों ने ज़ोर देकर कहा है कि "इसमें सीरिया की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के महत्व को सुनिश्चित करने और इसके संप्रभुता के प्रति सम्मान शामिल है।”

तुर्की सैन्य अभियान पर रूसी प्रतिकिया काफ़ी महीन है। गुरुवार को, तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर रूसी विदेश मंत्री सेर्गे लावरोव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “सीरिया संकट के शुरुआती दौर से, हम इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं और तुर्की द्वारा अपनी सीमाओं की सुरक्षा के प्रति चिंताओं को हम समझते हैं।”

लावरोव के अनुसार इन चिंताओं को तुर्की और सीरिया के बीच 1998 में हस्ताक्षरित अदाना समझौते के ढांचे के भीतर हल किया जा सकता है (जो अंकारा और दमिश्क के बीच प्रत्यक्ष सुरक्षा समन्वय को अनुबंधित करता है।)

लावरोव ने तुर्की घुसपैठ का इल्ज़ाम पूरी तरह से अमेरिकी नीतियों पर थोप दिया। वे याद करते हैं कि किस तरह रूस ने अमेरिका को “कुर्द कार्ड” खेलने और कुर्द और अरब जनजातियों को आमने सामने खड़ा करने के ख़िलाफ़ चेताया था।

महत्वपूर्ण है कि लावरोव जोड़ते हैं, “इस अभियान में रूसी और तुर्की सेना के अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में हैं। अब हम कोशिश करेंगे कि दमिश्क और अंकारा के बीच बातचीत शुरू हो। हमें लगता है यह दोनों पक्षों के हित में होगा।”

उसी दिन, गुरुवार को, जब पश्चिमी देश चाहते थे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तुर्की की आलोचना करे, रूस ने इस प्रस्ताव पर यह बहस सामने रख पानी फेर दिया कि वह चाहता है कि इस क्षेत्र में अन्य देशों के “अवैध सैन्य उपस्थिति” पर भी चर्चा हो। रूस ने अंकारा और दमिश्क के बीच “सीधी वार्ता” की अपील पर ज़ोर दिया। 

turky.PNG

इस बीच, तुर्की आक्रमण में कुछ दिलचस्प पहलू नज़र आ रहे हैं। पर अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें कितना रूसी प्रभाव शामिल है, लेकिन कुल मिलाकर यह हस्तक्षेप किसी युद्ध से कम नहीं है।

यह अभियान मुख्य तौर पर अरब बाहुल्य वाले उत्तरी सीरिया के इलाक़ों में केन्द्रित है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से कुर्दों के प्रति दुर्भावना है और जहाँ YPG किसी भी तरह तुर्की सेना से मुक़ाबला करने की हालत में नहीं है। ऐसा लगता है कि तुर्की का मक़सद एक ऐसी पट्टी बनाने का है, जो पूरी तरह से अरब हो और जहाँ सीरियाई शरणार्थियों को पुनर्वासित किया जा सके। (40 लाख के क़रीब सीरियाई शरणार्थियों की खुले आम उपस्थिति के चलते तुर्कों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।)

map_0.PNG

रूस के द्वारा जारी सौम्य प्रतिक्रिया में तुर्की के इस आश्वासन को ध्यान में रखा गया है कि यह अभियान पारंपरिक कुर्द ठिकानों पर निशाना नहीं बनाएगा और यह कुर्द के साथ किसी महायुद्ध की शुरुआत नहीं है। फिर भी, सैन्य अभियान में कई बार चीज़ें ग़लत हो जाती हैं। यहाँ पहले से ही तुर्की हमलों से कई हताहतों की परस्पर विरोधी ख़बरें आने लगी हैं। 

वास्तव में, कुर्द नियंत्रित क्षेत्रों में नज़रबंद ISIS लड़ाकों का भाग्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए बेहद परिणामी मुद्दा है। ट्रम्प ने इसके लिए तुर्की को ज़िम्मेदार ठहराया है। रूस भी चिंतित है। शुक्रवार को पुतिन ने कहा कि उत्तरी सीरिया में नहीं लगता कि तुर्की ISIS आतंकियों रोक पायेगा।

पुतिन ने इशारा किया कि “कुर्द टुकड़ियाँ उन इलाक़ों पर अपनी नज़र जमाए रखती थीं, लेकिन अब तुर्की सेना ने इस क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है, और ऐसे में वे (आतंकी) निकल भागेंगे। मुझे नहीं लगता कि तुर्की सेना स्थिति पर तत्काल नियंत्रण पा लेगी।” रूस और अमेरिका को ज़मीनी स्तर पर आपसी समन्वय की आवश्यकता है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ISIS दोबारा अपना सर न उठा सके। ट्रम्प इसके पक्ष में हैं।

हालाँकि, इस तुर्की आक्रमण को स्वीकार करने के पीछे क्रेमलिन की स्वीकृति के पीछे यह उद्येश्य काम कर रहा है कि एर्दोगन सीरिया के भविष्य के लिए मॉस्को की योजनाओं से सहमत होंगे जिससे राष्ट्रपति बशर अल-असद को दोबारा पूरे सीरिया पर अपना नियंत्रण स्थापित करने में मदद मिल सके। मॉस्को तुर्की के सीमापार अभियान को सीरियाई क्षेत्रीय संप्रभुता के दीर्घकालिक उल्लंघन के रूप में दर्ज नहीं करेगा। इतना कहना काफ़ी होगा कि रूस इस उम्मीद के साथ तुर्की का हाथ पकड़े हुए है कि यह तालमेल युद्धोपरांत सीरिया के आकर को निर्मित करने में मददगार साबित होगा।

इसके समानांतर, रूस आशा कर रहा है कि कुर्दों को तुर्की-सीरियाई सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दमिश्क से बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर वह तुर्की की कुर्द चिंताओं का जवाब खोज लेगा। इसलिये एक तरह से तुर्की का यह आक्रमण क्रेमलिन के कुर्दों के ऊपर दबाव डालने में मदद करने वाला है जिससे कुर्द वापस सीरिया के दायरे में आने को विवश हो।

इन परस्पर विरोधाभासी हितों के जटिल संतुलन का लब्बोलुआब यह है कि रूस तुर्की के साथ अपने प्रगाढ़ रिश्तों को पोषित करने में लगा है। अमेरिकी प्रभाव से एक प्रमुख नाटो सदस्य देश का बाहर निकल आना क्रेमलिन के लिए किसी बड़े पदक से कम नहीं। आने वाले दिनों में तुर्की पर यूरोपियन देशों का यह दबाव पड़ने वाला है कि वह घोषित करे कि वह “हमारे साथ या हमारे ख़िलाफ़ खड़ा है”। फ़्रांस इस मामले की अगुवाई कर रहा है।

मंगलवार को हुए नए भुगतान प्रणाली समझौते में इस बात को रेखांकित किया गया है कि मॉस्को और अंकारा दोनों देश इस बात के प्रति सचेत हैं कि इसके चलते पश्चिम के साथ तुर्की के सम्बन्धों में संभावित दरार पड़ सकती है। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के यूरोपीय संघ के सदस्यों द्वारा दिए गए बयान इस अनिष्ट-सूचक सुर को बयाँ कर रहे हैं।

Turkey
US
Erdogan
Turkey Russia Relations
UN Security Council
Russia
Putin
Turkish Syrian Border
Syrian Conflict
Donald Trump

Related Stories

डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान

रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ

यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 

पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव

90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत

खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    ‘तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है’… हिंसा नहीं
    26 May 2022
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना के दौरे पर हैं, यहां पहुंचकर उन्होंने कहा कि तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज
    26 May 2022
    दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दौलत राम कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 
  • भरत डोगरा
    भारत को राजमार्ग विस्तार की मानवीय और पारिस्थितिक लागतों का हिसाब लगाना चाहिए
    26 May 2022
    राजमार्ग इलाक़ों को जोड़ते हैं और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाते हैं, लेकिन जिस अंधाधुंध तरीके से यह निर्माण कार्य चल रहा है, वह मानवीय, पर्यावरणीय और सामाजिक लागत के हिसाब से इतना ख़तरनाक़ है कि इसे…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा
    26 May 2022
    केरल में दो महीने बाद कोरोना के 700 से ज़्यादा 747 मामले दर्ज़ किए गए हैं,वहीं महाराष्ट्र में भी करीब ढ़ाई महीने बाद कोरोना के 400 से ज़्यादा 470 मामले दर्ज़ किए गए हैं। 
  • लाल बहादुर सिंह
    जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है
    26 May 2022
    जब तक जनता के रोजी-रोटी-स्वास्थ्य-शिक्षा के एजेंडे के साथ एक नई जनपक्षीय अर्थनीति, साम्राज्यवादी वित्तीय पूँजी  से आज़ाद प्रगतिशील आर्थिक राष्ट्रवाद तथा संवैधानिक अधिकारों व सुसंगत सामाजिक न्याय की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License