NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
16 सूत्री मांग को लेकर अगस्त में सीपीआई-एम का एक हफ़्ते का देशव्यापी अभियान, 9 अगस्त के आंदोलन को भी समर्थन
सीपीआई-एम 20 से 26 अगस्त के बीच एक हफ़्ते का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने जा रही है। साथ ही पार्टी ने 9 अगस्त को ट्रेड यूनियनों, किसान संगठनों और खेत मज़़दूर यूनियनों के देश बचाओ अभियान के प्रति पूरा समर्थन और एकजुटता ज़़ाहिर की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Jul 2020
साीताराम येचुरी
फाइल फोटो

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीआई-एम) ने 16 सूत्री मांग को लेकर 20 से 26 अगस्त के बीच एक हफ़्ते का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। इसके साथ सीपीआई-एम की केंद्रीय कमेटी ने देशभर में किसान और मज़़दूरों के आंदोलन का पूरा समर्थन किया। 9 अगस्त यानी भारत छोड़ो आंदोलन के दिन ट्रेड यूनियनों, किसान संगठनों और खेत मज़़दूर यूनियनों के देश बचाओ अभियान के प्रति पूरा समर्थन और एकजुटता ज़़ाहिर की है।

विरोध प्रदर्शन को लेकर ये जानकारी सीपीआई-एम के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार 27जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बतया कि ये सभी निर्णय सीपीएम पोलित ब्यूरो की 25 और 26जुलाई को हुई बैठक में लिए गए हैं।

सीपीआई-एम की केंद्रीय कमेटी ने इस लॉकडाउन के दौरान पहली बार बैठक की और इसके साथ ही पार्टी ने कई अन्य बिंदुओं पर चर्चा की जिसकी जानकारी पार्टी ने मीडिया को दी। कोरोना वायरस, मज़दूरों की समस्या और लोकतंत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमले को लेकर सीपीआई-एम ने मोदी सरकार की आलोचना की और उसके बाद एक विस्तृत बयान जारी किया।

बयान के मुख्य बिंदु निम्नलिखित है :

महामारी पर ध्यान केंद्रित करने और लोगों को राहत देने के बजाय लॉकडाउन में भी बीजेपी-आरएसएस अपना एजेंडा लागू कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है। नौकरियां जा रही हैं, मज़दूर क़ानूनों को लगातार कमज़ोर किया जा रहा है, राष्ट्रीय संपत्तियों की लूट जारी हैं।

आत्मनिर्भरता के नाम पर सार्वजनिक संपत्ति की लूट

भारत के आत्मनिर्भरता के नाम पर घोषित प्रोत्साहन पैकेज वास्तव में विदेशी और घरेलू निजी पूंजीपतियों की मदद है,ये आत्मसुरक्षा के लिए ख़तरा है। हमारी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र जहां वो रेलवे, कोयला, खनिज और बीमा अब एफडीआई के लिए खोल दिए गये है वहीं अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जा रहा है, जिनमें रेलवे, आयुध कारखाने, बीएसएनएल आदि शामिल हैं और बिजली, कोयला, खनिज, पेट्रोलियम, बैंक, बीमा और वित्तीय क्षेत्र में भी निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। सार्वजनिक संसाधनों की यह लूट श्रम क़ानूनों के कमज़ोर करने के साथ किया जा रहा है। कई राज्यों में काम के घंटे को 8घंटे से बढ़ाकर 12घंटे कर दिया गया है।

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और शक्ति का केन्द्रीयकरण

केंद्रीय समिति ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो रहा है। सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों पर कार्रवाई की जा रही है ,पीड़ित को ही सज़ा दी जा रही है। जिन्होंने दंगा भड़काया उन्हें छोड़ा जा रहा है। भीमा-कोरेगांव में अब तक चार्ज फ्रेम नहीं हुआ है, फिर भी सभी एक्टिविस्टों को जेल से बाहर नहीं आने दिया जा रहा है।

राज्य सरकार के अधिकारों को कमज़ोर कर शक्ति का केंद्रीकरण किया जा रहा है। राज्य सरकारों को उसकी हिस्सेदारी भी नहीं दी जा रही है। हालांकि राज्य सरकारें महामारी का मुकाबला करने में सबसे आगे हैं, फिर भी उन्हें उनके वैध जीएसटी का बकाया नहीं दिया जा रहा है।

राज्य सरकारों को अस्थिर करना

भाजपा द्वारा विपक्षी पार्टियों की सरकार जो की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई है भारी धनबल और सरकारी मशीनरी का उपयोग करके चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। हमने गोवा, मणिपुर और कर्नाटक में देखा। मध्य प्रदेश में और अब राजस्थान में यही हो रहा है।

केरल में एलडीएफ सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। केरल में सोने की तस्करी का मामला कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और भाजपा द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि एलडीएफ सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे है। झूठे आरोपों पर मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा मांगा जा रहा है। गोल्ड का मामला केंद्र सरकार के अधीन है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कहा है कि आप जांच कीजिए। अब एनआईए इसकी जांच कर रही है। इस जांच के जो भी नतीजे होंगे, जो भी दोषी होगा, उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी। मामले की अभी जांच चल रही है।

बिहार चुनाव: सभी को समान अवसर मिलना चहिए

बीजेपी और जेडीयू बिहार में चुनाव कराने के लिए अड़े हुए हैं। चुनाव कराना चुनाव आयोग का काम है। ये संवैधानिक बाध्यता है। लेकिन, हम चाहते हैं कि हर पार्टी को समान मौका मिले और चुनाव प्रचार के लिए उचित माहौल बने। सभी को समान अवसर मिलना चाहिए। डिजिटल कैंपेन की बात की जा रही है। हम इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि डिजिटल की पहुंच समाज के सबसे निचले तबके तक नहीं है। इससे लोकतंत्र कमज़ोर होगा। लोग चुनावी कार्यक्रम में हिस्सा ही नहीं ले पाएंगे।

जम्मू और कश्मीर : पूर्ण संचार बहाल किया जाए

जम्मू-कश्मीर के अब केंद्र शासित प्रदेश में घोषित नई मीडिया नीति को लेकर सीपीआई-एम ने कहा कि यह भाषण और अभिव्यक्ति को स्वतंत्र करने के अधिकार की संवैधानिक गारंटी का हनन होता है।

केंद्रीय कमेटी ने मांग कि अगस्त 2019 के बाद से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा किया जाए, पूर्ण संचार बहाल किया जाए और लोगों की आवाजाही की अनुमति दी जाए। यह दोनों ही महामारी से प्रभावी रूप से निपटने और संकटग्रस्त लोगों को राहत प्रदान करने के लिए आवश्यक है।

सीपीआई-एम केंद्रीय कमेटी की 16 सूत्रीय मांग

1. आज के हालात में 7500 रुपये प्रति महीने अगले छह महीने तक हर उस परिवार को मिले,जो आयकर के दायरे में नहीं आते हैं।

2. 10 किलो प्रति व्यक्ति अनाज अगले छह महीने तक हर ज़रूरतमंद व्यक्ति को दिया जाए।

3. ग्रामीण रोज़गार के दायरे को बढ़ाया जाए और 200 दिनों तक उन्हें काम दिया जाए। शहरी इलाक़ों में बेरोज़गार हुए लोगों के लिए भी इसी तरह का नया क़ानून बनाया जाए और उन्हें भी काम दिया जाए।

4. अंतर-राज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम 1979 के ख़ात्मे के प्रस्ताव को वापस लिया जाए।

5. पब्लिक हेल्थ पर ख़र्च को जीडीपी का कम से कम3 फ़ीसदी तक बढ़ाया जाए।

6. एसेंशियल कमोडिटी एक्ट को हटाया जाए। अनाज की मुक्त आवाजाही हो।

7.मज़दूर क़ानून पर जितने बदलाव हुए और लाने की कोशिश हुई उसे ख़त्म किया जाए।

8. सरकारी कंपनियों और उद्यमों का निजीकरण बंद हो। ख़ासकर रेलवे, बिजली, पेट्रोलियम, कोयला, बैंक/बीमा और रक्षा उत्पादों में।

9.पीएम केयर फंड के तहत जो राशि जमा हुई है उसे राज्य सरकारों को दिया जाए, जो कोरोना से वास्तविक लडाई लड़ रही हैं।

10. कोरोनावायरस के दौर में जिन लोगों की मौत हुई है, उन सबको एनडीआरएफ़ फंड से एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाए।

11. दलित, आदिवासी, ओबीसी और विकलांगों के लिए आरक्षण को सख्ती से लागू किया जाए। सभी रिक्त पदों पर जल्द से जल्द भर्तियां हों।

12. स्नातक और परा-स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं को पिछले सेमेस्टर के प्रदर्शन के हिसाब से अंक देकर डिग्री प्रदान की जाए।

13. अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए राजनीतिक क़ैदियों को रिहा किया जाए। वहां संचार के साधन बहाल हो। लोगों की आवाजाही बहाल हो।

14. UAPA/NSA और राजद्रोह के आरोप में जेलों में बंद राजनीतिक क़ैदियों को रिहा किया जाए।

15. 2020 में जो पर्यावरण इंपैक्ट एसेसमेंट हुआ उसे रद्द किया जाए।

16. दलितों,महिलाओं और आदिवासियों के ख़िलाफ़ हिंसा करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो।

पूरी प्रेस को जारी पूरा बयान यहां पढ़ सकते है 

CPI-M
trade unions
Farmers Organizations
Farm Workers Unions
Sitaram yechury
CPIM Protest
Nationwide Protest

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

चुनावी वादे पूरे नहीं करने की नाकामी को छिपाने के लिए शाह सीएए का मुद्दा उठा रहे हैं: माकपा

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

करौली हिंसा पर फैक्ट फाइंडिंग:  संघ-भाजपा पर सुनियोजित ढंग से हिंसा भड़काने का आरोप

सीताराम येचुरी फिर से चुने गए माकपा के महासचिव

हिंदुत्व एजेंडे से उत्पन्न चुनौती का मुकाबला करने को तैयार है वाम: येचुरी

ट्रेड यूनियनों की 28-29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल, पंजाब, यूपी, बिहार-झारखंड में प्रचार-प्रसार 


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License