NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
न्यूजीलैंड में नरसंहार के एक साल बाद भी ख़ौफ़ के साए में जी रहे मुसलमान
प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि उनके देश को श्वेत वर्चस्ववादियों से निपटने के लिये अभी काफी कुछ करना चाहिये।
एएफपी
14 Mar 2020
Muslims in Newzeland
Image courtesy:The Spinoff

क्राइस्टचर्च: न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में मस्जिदों पर हुए हमलों के एक साल बाद भी मुस्लिम समुदाय के लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं।

आलिया डेन्जीसेन हर रोज सूरज निकलने से पहले उठकर खबरें सुनती हैं ताकि वे अपनी स्कूल जाने वाली बेटियों उस उत्पीड़न के प्रति सतर्क कर सकें जिसका उन्हें मुसलमानों होने के कारण सामना करना पड़ सकता है।

मुस्लिम समुदाय की नेता आलिया 12 महीने पहले क्राइस्टचर्च में मस्जिदों पर हुए हमलों को याद करते हुए कहती हैं, ''हम अब सुरक्षित महसूस नहीं करते।''

गौरतलब है कि श्वेतों को सर्वश्रेष्ठ मानने वाले एक व्यक्ति ने पिछले साल 15 मार्च को जुमे की नमाज के दौरान अल नूर मस्जिद और लिनवुड इस्लामिक सेंटर में 51 मुसलमानों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

आलिया कहती हैं कि डर तो हमलों से पहले ही महसूस होने लगा था, लेकिन हमलों के बाद इसने जड़ें जमा लीं।

उन्होंने कहा, ''ऐसा लगा कि न्यूजीलैंड की पूरी आबादी हमारे पीछे पड़ी है।''

आलिया ने कहा कि मुसलमानों को अपशब्द कहे जाने और उन्हें मिल रही धमकियों के कारण अब वेसै ही हालात दोबारा पैदा होने लगे हैं।

नरसंहार के बाद हालात को संभालने के लिये प्रशंसा पाने वाली प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि उनके देश को श्वेत वर्चस्ववादियों से निपटने के लिये अभी काफी कुछ करना चाहिये।

इस्लामिक वीमेन काउंसिल ऑफ न्यूजीलैंड की सह-संस्थापक अंजुम रहमान का कहना है कि अब भी लोगों के दिलों में नफरत छिपी हुई है...यह न सिर्फ हमारे समुदाय के लोगों के प्रति है बल्कि सोशल मीडिया पर समलैंगिक समुदाय के लोगों के प्रति भी यह नफरत देखी जा सकती है।

उन्होंने कहा, ''मैं यह नहीं कहूंगी कि सिर्फ हमारे साथ ही ऐसा है, लेकिन हम इसे महसूस कर रहे हैं। हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे सोचते हैं कि हम आसान शिकार हैं और पलट कर वार नहीं कर सकते।'' 

NewZeland
Minorities in New Zeland
Muslims in NewZeland
religion
Discrimination

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

कैसे जहांगीरपुरी हिंसा ने मुस्लिम रेहड़ी वालों को प्रभावित किया

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

देश भर में निकाली गई हनुमान जयंती की शोभायात्रा, रामनवमी जुलूस में झुलसे घरों की किसी को नहीं याद?

जय भीम: माई जजमेंट इन द लाइट ऑफ़ अंबेडकर

शिक्षित मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब फ़ैसले को “न्यायिक अतिक्रमण’ क़रार दिया है 

नारीवादी वकालत: स्वतंत्रता आंदोलन का दूसरा पहलू

कर्नाटक: हिजाब पहना तो नहीं मिलेगी शिक्षा, कितना सही कितना गलत?

मिश्नरीज़ ऑफ चैरिटी के FCRA रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण का आवेदन क्यों ख़ारिज हुआ?


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License