NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
'आज़म ख़ान खेमे' की बग़ावत, सपा में टूट के संकेत!
समाजवादी पार्टी में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, लंबे वक्त से जेल में बंद आज़म खान के समर्थकों ने अब आवाज़ें उठानी शुरू कर दी हैं।
रवि शंकर दुबे
12 Apr 2022
'आज़म ख़ान खेमे' की बग़ावत, सपा में टूट के संकेत!

पिछले दिनों हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने खुद की जीत और भाजपा को साफ करने का दावा किया, लेकिन अफसोस,दावा पूरा नहीं हो सका और समाजवादी पार्टी को शिकस्त झेलनी पड़ी। जिसके बाद चुनौती थी पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और वरिष्ठों को एकजुट रखने की। लेकिन हाल-फिलहाल ऐसा होता भी नज़र नहीं आ रहा है।

समाजवादी पार्टी हार के बाद अभी घर की फूट से उभरी भी नहीं थी कि दिग्गज आज़म खान के समर्थकों ने अखिलेश यादव की चिंता और ज्यादा बढ़ा दी। दरअसल पिछले दिनों आज़म खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां ने एक बयान में कहा कि—"ये मान लिया जाए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सही कहते हैं कि अखिलेश जी आप नहीं चाहते कि आज़म खां जेल से बाहर आएं? हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है"।

मुसलमानों की तरफ इशारा करते हुए फसाहत ने कहा कि "क्या सारा ठेका अब्दुल ने ले लिया है?वोट भी अब्दुल देगा और जेल भी अब्दुल जाएगा? अब्दुल बर्बाद हो जाएगा। घर की कुर्की हो जाएगी। वसूली हो जाएगी और राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुंह से एक शब्द नहीं निकलेगा। हमने आपको और आपके वालिद को मुख्यमंत्री बनाया। हमारे वोटों की वजह से आपकी 111 सीटें आई हैं। आपकी तो जाति ने भी आपको वोट नहीं दिया। लेकिन, फिर भी मुख्यमंत्री आप बनेंगे और नेता विपक्ष भी आप बनेंगे। कोई दूसरा नेता विपक्ष भी नहीं बन सकता। आपने भाजपा से हमारी दुश्मनी करा दी और सजा भी हमें मिल रही है, लेकिन मजे आपको मिल रहे हैं"।

आज़म खान के मीडिया प्रभारी का ये बयान आने वाले लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा सकता है, क्योंकि कयास लगाए जा रहे हैं कि जेल से बाहर आने के बाद आज़म खान और उनके बेटे विधायक अब्दुल्लाह आज़म खान समाजवादी पार्टी छोड़ सकते हैं।

मीडिया प्रभारी के ऐसे बयान से पहले अब्दुल्ला आज़म खान ने ट्वीट कर समाजवादी खेमे में खलबली मचा दी थी, अब्दुल्ला आजम ने अपने ट्विटर हैंडल पर शायराना अंदाज में अपनी नाराज़गी जाहिर की थी।

 

जहां तक मुझसे मतलब है जहान को
वहीं तक मुझको पूछा जा रहा है,
ज़माने पर भरोसा करने वालों,
भरोसे का ज़माना जा रहा है ॥ pic.twitter.com/eYiMCSMoEM

— M.Abdullah Azam Khan (@AbdullahAzamMLA) April 4, 2022

 

पहले अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी, फिर चाचा शिवपाल यादव नाराज़ हो गए और अब दिग्गज नेता आज़म खान की ओर से नाराज़गी...

आज़म खान समाजवादी पार्टी के लिए प्रदेश में बहुत बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं, लेकिन उनकी जेल यात्रा लंबी होती चली जा रही है, ऐसे में आज़म खेमे की ओर से सवाल उठना तो लाज़मी है, लेकिन इन सवालों का कारण कुछ बिंदुओं में समझने की कोशिश करते हैं:

·समाजवादी पार्टी में आज़म खान के कद का कोई दूसरा नहीं है, मुलायम सिंह यादव भी आज़म पर आंख बंद कर भरोसा करते थे, फिर आज़म ने और उनके बेटे ने हर स्थिति में सपा को सीट जीतकर दी है, मुलायम कई बार ख़ुद बोल चुके हैं कि अखिलेश को आज़म से सीखने की ज़रूरत है।

·आने वाले लोकसभा चुनावों में आज़म खान से बड़ा मुस्लिम चेहरा उत्तर प्रदेश में फिलहाल नहीं है, विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने सपा को मुस्लिम वोट दिलवाने में मदद की।

·अखिलेश यादव द्वारा विधानसभा में हालिया भाषण में आज़म खान को लेकर कोई बात नहीं की गई।

राजनीतिक पार्टियों की हालत को देखते हुए कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के अलावा फिलहाल समाजवादी पार्टी ही है जो लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन अगर आज़म खान समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ते हैं तो पार्टी को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा सकता है, इसे कुछ ऐसे देखें:

·यूपी में करीब 20 फीसदी मुस्लिम आबादी है

·2022 विधानसभा चुनाव में करीब 80 फीसदी वोट सपा गठबंधन को मिला

·सपा गठबंधन के 34 मुस्लिम विधायक बने

·इस बार सपा के 31 मुस्लिम प्रत्याशी जीते

·कांग्रेस और बसपा का एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं जीता

·2017 में करीब 55 प्रतिशत मुस्लिम वोट सपा को मिले थे

समझा जा सकता है कि पिछली बार की तुलना में मुसलमानों ने इस बार सपा पर ज्यादा विश्वास जताया है, ऐसे में आज़म खान का साथ छोड़ना पार्टी के लिए बहुत घाटे का सौदा हो सकता है।

पहले भी नाराज़ हो चुके हैं आज़म

मोहम्मद आज़म ख़ान की सपा से नाराजगी कोई पहली बार नहीं है, इसके पहले भी वह नाराज होकर 13 साल पहले पार्टी छोड़ चुके हैं, लेकिन जब उन्हें मनाया गया तो वह वापस आ गए। साल 2009 के चुनाव में अमर सिंह के कहने पर मुलायम सिंह यादव ने रामपुर से जया प्रदा को लोकसभा चुनाव लड़ा दिया। आज़म इससे इतना गुस्सा हुए कि सपा से नाता तोड़कर अलग हो गए। आज़म इसलिए नाराज बताए जा रहे हैं कि अखिलेश सिवाय एक बार के उनसे जेल में मिलने नहीं गए।

आज़म खान ने ली शिवपाल से सीख

शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच क्या चल रहा है सभी को पता है, या यूं कहें कि वक्त रहते शिवपाल यादव ने ख़ुद को यूं पेश किया, कि या तो बहुत बड़ा पद दो या फिर मैं दूसरी पार्टी बना लूंगा। और हुआ भी वहीं शिवपाल ने सपा से अलग होकर अपनी दूसरी पार्टी बना ली और प्रदेश की राजनीति में हमेशा तीसरे-चौथे नंबर पर दिखाई दिए, जिसका बड़ा फायदा ये हुए कि शिवपाल के लिए भाजपा के साथ संपर्क के भी सारे रास्ते खुले रहे हैं और जांच एजेंसियों से भी दूरी बनी रही है। अब इसी रास्ते पर आज़म भी चलते दिखाई दे सकते हैं, सपा से दूरी बनाकर न्यूट्रल हो जाओ। ताकि जेल से बाहर आकर दूसरी पारी की शुरुआत की जा सके।

कांग्रेस में जा सकते हैं आज़म खान?

सपा से दूर होकर दूसरी पार्टी बनाने के अलावा आज़म खान के पास कांग्रेस में भी शामिल होने का भी एक विकल्प है, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास फिलहाल कुछ नहीं है, तो आज़म खान यूपी कांग्रेस में सबसे बड़ा चेहरा बनकर सामने आ सकते हैं। मुस्लिम वोटों को कांग्रेस की ओर लाकर पार्टी की सीटों में इज़ाफा करा सकते हैं। इससे दो फायदे होंगे... पहले कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा और टिकाऊ नेता मिल जाएगा, दूसरा ये कि आज़म खान को पूरी तरह से खाली स्थान भरकर खुद को और ज्यादा बड़ा बनाने का मौका मिल जाएगा।

AZAM KHAN
AKHILESH YADAV
SAMAJWADI PARTY

Related Stories

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

उत्तर प्रदेश विधानसभा में भारी बवाल

‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल

कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन

उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण

27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी


बाकी खबरें

  • textile industry
    एम.ओबैद
    यूपी चुनावः "कानपुर की टेक्स्टाइल इंडस्ट्री पर सरकार की ग़लत नीतियों की काफ़ी ज़्यादा मार पड़ी"
    14 Feb 2022
    "यहां की टेक्स्टाइल इंडस्ट्री पर सरकार की ग़लत नीतियों की काफ़ी ज़्यादा मार पड़ी है। जमीनी हकीकत ये है कि पिछले दो साल में कोरोना लॉकडाउन ने लोगों को काफ़ी परेशान किया है।"
  • election
    ओंकार पुजारी
    2022 में महिला मतदाताओं के पास है सत्ता की चाबी
    14 Feb 2022
    जहां महिला मतदाता और उनके मुद्दे इन चुनावों में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं, वहीं नतीजे घोषित होने के बाद यह देखना अभी बाक़ी है कि राजनीतिक दलों की ओर से किये जा रहे इन वादों को सही मायने में ज़मीन पर…
  • election
    सत्यम श्रीवास्तव
    क्या हैं उत्तराखंड के असली मुद्दे? क्या इस बार बदलेगी उत्तराखंड की राजनीति?
    14 Feb 2022
    आम मतदाता अब अपने लिए विधायक या सांसद चुनने की बजाय राज्य के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के लिए मतदान करने लगा है। यही वजह है कि राज्य विशेष के अपने स्थानीय मुद्दे, मुख्य धारा और सरोकारों से दूर होते…
  • covid
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 34,113 नए मामले, 346 मरीज़ों की मौत
    14 Feb 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 1.12 फ़ीसदी यानी 4 लाख 78 हज़ार 882 हो गयी है।
  • Farmers Protest in UP
    सुबोध वर्मा
    उत्तर प्रदेश में एक ऐसी लड़ाई, जिसे पूरा भारत आगामी वर्षों में लड़ेगा
    14 Feb 2022
    प्रदेश यह तय करने के लिए बड़े पैमाने पर मंथन से गुजर रहा है कि क्या धार्मिकता के गढ़े गए आक्रामक तर्कों और तरीकों से आदमी की भूख शांत की जा सकती है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License