NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीर : 370 हटने के 4 महीने बाद भी स्थानीय निवासी बोलने से डर रहे हैं
जम्मू के एक युवा वकील ने कहा, "बिना किसी पारदर्शिता के बाहरी लोगों को ज़मीन बेचे जाने को लेकर आम लोगों के भीतर डर की भावना पैदा हो गई है।" 
सागरिका किस्सू
16 Dec 2019
Translated by महेश कुमार
jammu kashmir article 370

भारत सरकार को जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्य में तालाबंदी लागू किए हुए चार महीने बीत चुके हैं, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से एक दिन पहले ही भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर में एकतरफ़ा तालाबंदी कर दी थी, एक ऐसा राज्य जिसे इससे पहले एक विशेष दर्जा हासिल था। कश्मीर में कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनमें पूर्ण संचार नाकाबंदी और जम्मू और कार्गिल में पूर्ण इंटरनेट प्रतिबंध मुख्य हैं। पूर्ववर्ती राज्य को अचानक एक नए और "ऐतिहासिक" घटनाक्रम की सुर्खियों में ला दिया गया था। इस घटनाक्रम के तहत लोगों की गिरफ़्तारी हुई, उन्हें अवैध हिरासत में लिया गया और फिर यातना देने की कहानियां उभर कर सामने आईं।

जम्मू और कश्मीर दोनों ही क्षेत्रों के विपक्षी नेताओं को नज़रबंद रखा जा रहा है। सरकार के ख़िलाफ़ उठी हर आवाज़ को दबाया, डराया और धमकाया जा रहा है। इस बीच, कुछ मीडिया चैनलों के माध्यम से सरकार ने सामान्य हालत होने की ख़बरें भी चलाई हैं। जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाया गया था, कांग्रेसनल बैठकों में कश्मीर में रहने वाले कश्मीरियों का कोई प्रतिनिधित्व शामिल नहीं था।

जबकि जम्मू अपेक्षाकृत शांत रहा, बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाले किश्तवाड़, डोडा, भद्रवाह और पुंछ में सरकार के फ़ैसले का विरोध करने के लिए आम लोगों को बड़े पैमाने पर हिरासत में लिया गया है। जैसे-जैसे भारत सरकार दुनिया को हालत के सामान्य होने का पहाड़ा पढ़ा रही है, जम्मू में अब तक रहे मूक निवासी अब बोलने का साहस जुटा रहे हैं। न्यूजक्लिक ने जम्मू के ज़मीनी हालात को समझने के लिए विभिन्न तबक़ों से बात की। एक बात जो विभिन्न तबक़ों में आम थी, वह कि लोग अब बोलना चाहते हैं, लेकिन बोलने के नतीजों से डरते हैं।

जम्मू की एक युवा वकील, सुगंधा साहनी न्यूज़क्लिक को बताती हैं कि “हमें ऐसा महसूस होता है जैसे कि हम एक तानाशाह/सत्तावादी निज़ाम के तहत शासित हैं। जम्मू के लोगों के भीतर बेहद बेचैनी और उत्सुकता की भावना है लेकिन लोग बोलने से डरते हैं। मोबाइल इंटरनेट पर लगे प्रतिबंधों के कारण छात्र परेशान तो है साथ ही पीड़ित भी हैं क्योंकि वे पढ़ाई के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम और शोध सामग्री का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

जम्मू बार एसोसिएशन की हड़ताल अभी भी जारी है, और ज़िला और उच्च न्यायालय मुश्किल से काम कर पा रहे है। जम्मू में कारोबारियों को करारा झटका लगा है। केंद्र हड़ताल को ख़त्म करने या स्थिति को सामान्य करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। बिना किसी पारदर्शिता के बाहरी लोगों को ज़मीन बेचे जाने को लेकर आम लोगों में भय की भावना है। क़ानून और व्यवस्था की स्थिति अभी भी विचारणीय है और विपक्ष पर कठोर कार्रवाई करने के कारण, राजनीतिक गतिविधि नहीं के बराबर है और जम्मू के कई नेता अभी भी हिरासत में है।

निवासियों के बीच इस बात को लेकर भयंकर भय है कि बाहरी लोग उनकी ज़मीनों को हड़प लेंगे। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, एक ऑटो चालक, ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया था कि, ''कश्मीर से बदला लेने के चक्कर में, सरकार ने जम्मू का बेड़ाग़र्क कर दिया। हमें डर है कि हमारी ज़मीनें बाहरी लोग हड़प लेंगे और कोई भविष्य में कोई भी कश्मीर का दौरा नहीं कर पाएगा क्योंकि लोग वहां नाराज़ हैं। वे किसी को भी प्रवेश नहीं करने देंगे।

एक यात्री जो मेटाडोर में यात्रा कर रहा था ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, “अनुच्छेद 370 का निरस्त्रीकरण एक हिंदू भारत की ओर बढ़ता क़दम है और वर्षों से हिंदुओं पर किए गए सभी अत्याचारों का  मुसलमानों से बदला लेने का एक तरीक़ा है। हम, डोगरा लोग, कश्मीर (कश्मीर की स्थिति) के कारण वर्षों से भेदभाव का सामना कर रहे हैं और अब यह समाप्त हो जाएगा। इसलिए, मैं ख़ुश हूँ लेकिन मीडिया के लोगों पर भरोसा नहीं कर सकता इसलिए मैं अपना नाम नहीं बता रहा हूँ।"

इस बीच, कई अन्य लोग थे जो इस बात से अनजान थे कि अनुच्छेद 370 क्या बला है। जम्मू के जेवेल में एक स्थानीय पिज़्ज़ा रेस्तरां में एक वेटर ने न्यूज़क्लिक को बताया, “मुझे नहीं पता कि अनुच्छेद 370 क्या है। मैंने सुना था कि सरकार ने कुछ किया है और इसीलिए इंटरनेट काम नहीं कर रहा है। लेकिन कभी भी गहरी से इसके बारे में नहीं सोचा। हां, मुझे इंटरनेट नहीं होने के कारण परेशानी हो रही है, इसके अलावा मेरा जीवन वैसा ही है जैसा पहले था। मेरे वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई है।"

एक अन्य ऑटो चालक, देवेंद्र सिंह ने बताया, “मैं धारा 370 के उन्मूलन से पहले एक ऑटो चालक था और मैं अभी भी एक ऑटो चालक हूं। इस प्रकरण ने मुझे प्रभावित नहीं किया है। ग़रीब, ग़रीब ही रहता है।"

पिछले चार महीनों के बारे में और जम्मू इस दौरान कैसा रहा है, इसके बारे में एक स्थानीय दैनिक अख़बार, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने कहा, "अर्थव्यवस्था काफ़ी नीचे है, जम्मू में आंशिक रूप से इंटरनेट प्रतिबंध जारी है और कुछ ज़िलों में तो पूर्ण प्रतिबंध है जिसने जीवन के सभी हलक़ों को प्रभावित किया है। अनिश्चित भविष्य है और ऊपर से बोलने का डर आम लोगों को सता रहा है।”

इससे पहले न्यूज़क्लिक ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे संचार प्रतिबंधों ने जम्मू-कश्मीर में व्यापार और अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा, "जम्मू में अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर है और लोग बोलने से डर रहे हैं।"

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Abrogation of Art 370: 4 Months Later, Jammu Residents Still Afraid of Speaking Up

Jammu and Kashmir
Internet Ban in Kashmir
Jammu
Abrogation of Article 370
Kashmir Lockdown
internet ban
Communication
Lockdown in Kashmir

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती

जम्मू-कश्मीर परिसीमन से नाराज़गी, प्रशांत की राजनीतिक आकांक्षा, चंदौली मे दमन


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License