NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
फुलवारी शरीफ हमले के खिलाफ मार्च को प्रशासन ने रोका, मौन जुलूस के बाद बिना माइक के सभा
पटना में प्रशासन की रोक के बाद विरोध स्वरूप प्रदर्शनकारियों ने गर्दनीबाग धरना स्थल पर मौन जुलूस निकाला और फिर बिना माइक के सभा आयोजित की।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Dec 2019
Phulwari Sharif attack

पटना : बीती 21 दिसंबर को सीएए और एनआरसी के खिलाफ आहूत बिहार बंद के दौरान फुलवारी शरीफ में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हुए जानलेवा हमले के विरोध में आज शुक्रवार को भाकपा माले और इंसाफ मंच द्वारा आयोजित नागरिक मार्च को प्रशासन ने रोक दिया। यह मार्च चितकोहरा गोलंबर से निकलना था लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। तब प्रदर्शनकारियों ने गर्दनीबाग धरना स्थल पर मार्च निकालने की कोशिश की लेकिन प्रशासन ने उसे भी रोक दिया और माइक बजाने नहीं दिया। विरोध स्वरूप प्रदर्शनकारियों ने गर्दनीबाग धरना स्थल पर मौन जुलूस निकाला और फिर बिना माइक के सभा आयोजित की।

सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा ने कहा कि यह नीतीश कुमार की तानाशाही है, जिसे लोकतंत्र की धरती कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। आज उत्तर प्रदेश और देश के दूसरे राज्यों की तरह बिहार में भी विरोध की हर आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उस समय प्रशासन कहां होता है जब आरएसएस-बजरंग दल के लोग खुलेआम गालियां देते हुए, तलवार लहराते हुए प्रदर्शन करते हैं। इन लोगों को तो सरकार संरक्षण देती है लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले नागरिकों के अधिकारों को कुचलने का का काम कर रही है।

माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि CAA, NRC, NPR के खिलाफ लगातार धमकियों के बावजूद हमारा आंदोलन जारी रहेगा। आज देश के गृहमंत्री सबको डराने में लगे हैं, लेकिन दरअसल खुद डरे हुए हैं। फुलवारी शरीफ के असली हमलावरों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। फुलवारी शरीफ प्रशासन हमले को रोकने में पूरी तरह विफल रहा, उस पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।

विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि आज पूरे राज्य में नीतीश कुमार के खिलाफ जनता का आक्रोश भड़क चुका है। हमने जब विधानसभा में एनआरसी पर चर्चा कराने की मांग की थी तब नीतीश कुमार मुकर गए थे। सीएए पर उन्होंने केंद्र सरकार का साथ दिया लेकिन अब कह रहे हैं कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा। यह पूरी तरह से जनता को गुमराह करने की कवायद है लेकिन बिहार की जनता अब उनके झांसे में नहीं आने वाली है।

ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि जब सीएए और एनआरसी पर केंद्र सरकार घिर गई है, तो प्रधानमंत्री मोदी झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं। कह रहे हैं कि एनआरसी पर कोई चर्चा ही नहीं हुई। अमित शाह कर रहे हैं कि एनआरसी और एनपीआर में कोई संबंध नहीं है। यह सरासर झूठ है। दरअसल एनपीआर, एनआरसी की पहली कड़ी है ।

ऐपवा की बिहार सचिव शशि यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार से झारखंड की जनता ने भाजपा को सबक सिखाया है पूरे देश की जनता उन्हें सबक सिखाएगी।

एक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने कहा कि लड़ाई अभी आरंभ हुई है। 8 जनवरी को पूरे देश में इन मुद्दों पर ट्रेड यूनियनों की हड़ताल होगी जिसे किसान संगठनों के अलावा अन्य राजनीतिक पार्टियों का भी समर्थन मिल रहा है ।

आइसा के राज्य सह सचिव आकाश कश्यप और इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य सचिव सुधीर कुमार ने भी सभा को संबोधित किया। युवा नेताओं ने कहा कि एनआरसी के खिलाफ आज चल रही लड़ाई में युवा वर्ग सबसे आगे है। हम संघियों को कामयाब नहीं होने देंगे।

सभा को खेग्रामस के बिहार सचिव गोपाल रविदास ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 8 जनवरी को इन्हीं मसलों पर गांव बंद-भारत बंद का आह्वान किया गया है । सभा को इंसाफ मंच के नेताओं ने भी संबोधित किया ।

इन नेताओं के अलावा कार्यक्रम में पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, सरोज चौबे, मुख्तार, जितेंद्र कुमार अली अख्तर, मुर्तजा अली सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

Phulwari Sharif attack
Protests
Bihar
PATNA
CAA
NRC
Nitish Kumar
Narendra modi
dictatorship
BJP
Aisi Taisi Democracy
NPR
Amit Shah
trade unions
CPIM
CPI

Related Stories

हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दक्षिण अफ्रीका में सिबन्ये स्टिलवाटर्स की सोने की खदानों में श्रमिक 70 दिनों से अधिक समय से हड़ताल पर हैं 

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License