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आख़िर और कितनी घटनाओं को ‘दूसरा हाथरस’ लिखने की नौबत आएगी?
बीते कुछ समय में खस्ता कानून व्यवस्था और शासन-प्रशासन की पीड़ित को प्रताड़ित करने की कोशिश, बलात्कार और हत्या जैसे संवेदशील मामलों में एक अलग ही ट्रैंड सेट करता दिखाई पड़ रहा है।
सोनिया यादव
08 Feb 2021
जिसमें लड़की का शव रातो-रात जला दिया गया।
यूपी के हाथरस कांड की तस्वीर। जिसमें लड़की का शव रातो-रात जला दिया गया।

एक नाबालिग से पहले गैंगरेप होता है, फिर सच सामने आने के डर से उसकी हत्या कर दी जाती है। इसके बाद मामले को रफ़ा-दफ़ा करने का खेल शुरू होता है। पुलिस पर पीड़ित पक्ष को और प्रताड़ित करने का आरोप लगता है, एफआईआर तक फाइल नहीं होती और आख़िरकार पूरी कहानी खत्म करने के लिए रातो-रात अंतिम-संस्कार कर दिया जाता है।

ये दर्दनाक कहानी हमारे सिस्टम की सच्चाई बन गई है। बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में 12 साल की एक नेपाली मूल की बच्ची के साथ पहले कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर हत्या कर उसके शव को जबरन जला दिया गया। इस पूरी घटना को लेकर स्थानीय थाने के थानाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। घटना के 12 दिन बाद एफ़आईआर दर्ज हुई है। वहीं मामले में अभी तक दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है और थानेदार को सस्पेंड कर दिया गया है।

आख़िर कब तक हाथरस जैसी अमानवीयता दोहराई जाएगी?

उत्तर प्रदेश के हाथरस से शुरू हुआ बलात्कार, हत्या और फिर रातो-रात जबरन अंतिम संस्कार का भायनक ट्रेंड अब देश के दूसरे राज्यों तक पहुंच गया है। पुलिस-प्रशासन के इस रवैये को लेकर योगी सरकार के बाद शिवराज सिंह सरकार पर भी सवाल उठ चुके हैं लेकिन भला चौथी दफा सत्तासीन होने के बाद नीतीश सरकार को कहां कोई फर्क पड़ता है।

राज्य में महिलाओं के साथ लगातार बर्बर हिंसा बढ़ती जा रही है लेकिन मुख्यमंत्री साहब सुशासन बाबू का तमगा लेकर खुश हैं। बिहार पुलिस के आंकड़े देखें तो साल 2011 में दुष्कर्म के 934 मामले सामने आए थे जो साल 2019 में 1450 हो गए। नवंबर 2020 तक बिहार पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक 1330 मामले दुष्कर्म के दर्ज हुए थे।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB द्वारा जारी आंकड़े भी बिहार में क़ानून व्यवस्था की बदहाली की कहानी ही बयां करते हैं। NCRB की साल 2018 के लिये जारी रिपोर्ट में देश भर के 19 मेट्रोपॉलिटन शहरों में होने वाली हत्याओं में पटना पहले स्थान पर था, तो वहीं अपराध के मामले में बिहार का पांचवा स्थान रहा।

इसे भी पढ़ें : बिहार में हर महीने 100 से अधिक बलात्कार, क्या यही है सुशासन?

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मृतका का परिवार मूल रूप से नेपाल का रहने वाला है और उसके पिता बीते सात साल से मोतिहारी के कुंडवा चैनपुर में मज़दूरी का काम करते हैं। घटना के बाद भारी दबाव के चलते परिवार नेपाल चला गया था, जो कुछ दिन पहले ही वापस बिहार लौटे हैं और अपनी बच्ची के लिए न्याय मांग रहे हैं।

ये घटना 21 जनवरी की बताई जा रही है। जब मृत नाबालिग के पिता मज़दूरी करने गए थे और घर पर कोई नहीं था तब कुछ लोगों ने घर में घुस कर पहले बच्ची से बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद आरोपियों ने पीड़ित परिवार पर दबाव बनाते हुए आधी रात को ही सड़क किनारे नमक और चीनी डलवा कर शव जलवा दिया और सुबह होते ही परिवार को नेपाल की ओर भगा दिया गया।

घटना के बाद पीड़ित लड़की के परिवार वालों ने कुंडवा चैनपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश की थी मगर आरोप है कि पुलिस ने इस पूरे मामले में शिथिलता दिखाई और प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था। जाहिर है इस मामले में पीड़िता का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था, ऐसे में महत्वूर्ण साक्ष्य भी शव जलने से मिट गए होंगे।

ऑडियो वायरल होने के बाद खुली पुलिस की पोल!

21 जनवरी को हुई इस घटना की प्राथमिकी 2 फरवरी को दर्ज की गई। हालांकि मामले ने तब तूल पकड़ा जब इस घटना से संबंधित एक कथित ऑडियो वायरल हुआ। इसमें 21 जनवरी को कुंडवा चैनपुर के थानाध्यक्ष संजीव कुमार रंजन और एक अभियुक्त रमेश साह के बीच की बातचीत है। इस बातचीत में थानाध्यक्ष संजीव कुमार, अभियुक्त रमेश साह से कह रहे हैं, "लकड़ी की व्यवस्था कर दो और ये लिखवा लो कि लड़की ठंड से मर गई।"

बताया जा रहा है कि इस मामले में ऑडियो वायरल होने के बाद अब घटना से जुड़ा वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस तरह से रात के अंधेरे में गैलन से केरोसिन तेल छिड़क-छिड़क कर बच्ची का शव जलाया जा रहा है। वहीं, वीडियो में बच्ची के परिजनों के रोने की भी आवाज सुनाई दे रही हैं।

जांच के लिए एसआईटी गठित

इस मामले में प्रशासन की किरकीरी होने के बाद एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी का नेतृत्व सिकरहना के डीएसपी शिवेंद्र कुमार करेंगे। वहीं जांच टीम में आठ पुलिस अधिकारी और सिपाहियों को शामिल किया गया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता के परिजनों ने स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा किशोर से वीडियो कॉल पर बात करते हुए कहा, "क्या इंडिया में सब आदमी इसी तरह का है, क्या सारी पुलिस ऐसी है, हमें न्याय चाहिए। उन्होंने लाश को दफ़न नहीं करने दिया, बल्कि बाध्य करके जलवा दिया।"

तेजस्वी ने घटना को बताया बिहार का 'हाथरस कांड'

पूर्व उपमुख्यमंत्री और सदन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने इस मामले को लेकर नीतीश सरकार और पुलिस प्रशासन पर निशाना साधा है।

बिहार में हाथरस कांड की तरह एक 12 वर्षीय बच्ची की निर्मम हत्या कर उसकी लाश रातों-रात जला दी गई।पिता का कहना है बच्ची के साथ गैंगरेप हुआ।

Audio में सुनिए पुलिस अधिकारी कैसे अपराधियों को लाश जलाने की तरकीबें सुझा रहे है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी नाकामयाबियों के सिकंदर बन गए है। pic.twitter.com/BDCFXFxDMz

— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 6, 2021

तेजस्वी ने अपने ट्वीट में कहा, “बिहार में हाथरस कांड की तरह एक 12 वर्षीय बच्ची की निर्मम हत्या कर उसकी लाश रातों-रात जला दी गई। पिता का कहना है बच्ची के साथ गैंगरेप हुआ। ऑडियो में सुनिए पुलिस अधिकारी कैसे अपराधियों को लाश जलाने की तरकीबें सुझा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी नाकामयाबियों के सिकंदर बन गए हैं।”

अपराधियों को सत्ता का संरक्षण हासिल है!

इस घटना के संबंध में महिला संगठन ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी कहती हैं, "इस मामले में तो थानाध्यक्ष को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। बाकी महिलाओं के ख़िलाफ़ बिहार में लगातार बढ़ते मामले ये दिखा रहे हैं कि नीतीश सरकार अब यूपी की योगी सरकार के नक्शे क़दम पर चल रही है जहां अपराधियों को सत्ता का संरक्षण हासिल है। हाल ही में वैशाली मामले में भी थाने के स्तर पर मामले को दबाया गया था जबकि वर्मा कमीशन में पुलिस प्रशासन की जवाबदेही तय की गई है। साफ़ है कि बीजेपी की पितृसत्तात्मक राजनीति बिहार के प्रशासनिक अमले में घुस गई है।"

गौरतलब है कि हाल ही में भोपाल के चर्चित प्‍यारे मियां कांड की पीड़ित एक नाबालिग बच्ची की मौत के बाद पुलिस द्वारा किए अंतिम संस्कार पर सवाल उठे थे। इससे पहले बदायूं के मामले को ‘दूसरा हाथरस’ कहा गया था। महिलाओं के खिलाफ हिंसा के आए दिन मामले सुर्खियों में हैं। ऐसे में सरकार और प्रशासन से बड़ा सवाल यही उठता है कि आख़िर कब तक हाथरस जैसी अमानवीयता दोहराई जाएगी, आख़िर और कितनी घटनाओँ को ‘दूसरा हाथरस’ लिखने की नौबत आएगी?

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