NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
आख़िर किसके अधिकारों की चिंता कर रहा है मानवाधिकार आयोग!
मानवाधिकार आयोग का पत्र पढ़कर ऐसे लग रहा है जैसे मोदी जी का अगला भाषण लीक हो गया हो. और मोदी जी मन ही मन कह रहे हों ''बोल वे रहे हैं, शब्द हमारे हैं''
श्याम मीरा सिंह
14 Sep 2021
आख़िर किसके अधिकारों की चिंता कर रहा है मानवाधिकार आयोग!

किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे होने के बाद जाकर मानवाधिकार आयोग की नींद टूटी है. और फिर उसे किसान आंदोलन की ऐसी याद सताई कि उसने अपने करकमलों से सरकार को नोटिस भेज दिया, उससे पहले कि आप भावुक होकर फेसबुक-ट्विटर पर, वही घिसी पिटी लाइन लिखने के लिए दौड़ने लगें कि ''भारत में लोकतंत्र अभी भी जिंदा है'' तो थोड़ा रुकिए, सब्र करिये, पानी पीजिए, हवा लीजिए। जल्दबाजी के चक्कर में कहीं ट्वीट डिलीट न करना पड़ जाए.

मानवाधिकार आयोग ने किसानों के लिए चिंता नहीं जताई बल्कि उद्योगपतियों की चिंता जताई है. मानवाधिकार आयोग ने सरकार को ''प्रेम पत्र'' लिखते हुए कहा है कि ''ऐसे आरोप लग रहे हैं कि किसान आंदोलन से उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं, आना-जाना मुश्किल हो रहा है, और किसान कोरोना नियमों का पालन भी नहीं कर रहे हैं''

मानवाधिकार आयोग 'जी' ने दिल्ली विश्वविद्यालय से भी ''किसान आंदोलन से होने वाले नुकसान'' पर अध्ययन करने के लिए कह दिया है. अब आपके लिए एक चैलेंज है कि 'मानवाधिकार' आयोग की उपरोक्त चिंताओं में से, किसानों के लिए की गई चिंता ढूंढकर निकालिए। चलिए शायद कठिन सवाल पूछ लिया। क्योंकि इस पत्र में किसानों के मानवाधिकार ढूंढना ऐसे ही जैसे 2014 के बाद से ''अच्छे दिन'' ढूँढने के लिए निकलना। अब आप कहेंगे मानवाधिकार के आगे ''जी'' क्यों लगाया। जी! इसलिए लगाया कि इसकी भाषा देश के कथित सबसे बड़े न्यूज चैनल ''जी'' और सबसे बड़े पद पर बैठे ''मोदी जी'' जैसी लग रही है. ऐसे लग रहा है जैसे मानवाधिकार आयोग का टाइपराइटर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित भाजपा कार्यालय में  इटालियन कापुचीनो पीते हुए ये पत्र टाइप कर रहा हो.

मानवाधिकार आयोग का पत्र, मानवाधिकारों पर चिंता से ज्यादा 'आरोप पत्र'' मालुम पड़ रहा है. जिसे पढ़ते हुए भाजपा आईटी सेल कार्यालय में बैठा हुआ कोई कार्यकर्ता, थ्री इडियट्स फिल्म से लोन पर शब्द लेते हुए कहे ''बोल वे रहे हैं, शब्द हमारे हैं''

लेकिन ध्यान देने वाला सवाल ये है कि अगर सड़क बंद है तो सवाल किसानों से क्यों किया जा रहा है? अगर सड़क खुदी हुई तो किसान नेताओं से क्यों पूछा जा रहा है, सड़क तो सरकार ने खुदवाईं हैं, बेरिकेडिंग तो सरकार ने लगवाए हैं, पुलिस तो सरकार ने बुलवाई है, फिर यातायात प्रभावित होने के लिए किसानों को लव लेटर क्यों लिखे जा रहे हैं? किसान नेताओं की तो खुद ही ये मांग रही है कि बेरिकेडिंग हटें, पुलिस हटे, सड़कें खुलें। क्या मानवाधिकार आयोग को इतना भी नहीं मालुम कि सड़क पर बेरिकेडिंग किसने लगाया है?

सड़क पर बेरिकेडिंग लगना मतलब किसानों को प्रोटेस्ट करने से रोकना, प्रोटेस्ट करने से रोकना मतलब संवैधानिक अधिकार से रोकना, संवैधानिक अधिकार से रोकना, मतलब मानवाधिकारों से रोकना।

तब तो मानवाधिकार आयोग को सवाल सरकार से करना चाहिए था, लेकिन यहां तो उल्टा हो रहा है, खोपड़ी भी किसानों की फूटे, लाठी भी किसान खाए, और दोष भी किसानों पर ही थोप दिया जाए, ये काम मानवाधिकार आयोग का तो नहीं होता। हां किसी पार्टी की आईटी सेल का जरूर हो सकता है. कायदा तो ये था कि आयोग सरकार को नोटिस भेजते हुए कहता कि ''भाई! नौ महीने हो गए किसानों को.. भूखे, तपते, ठिठुतरे....आपसे मामला सुलझने में क्यों नहीं आ रहा.'' लेकिन हुआ उल्टा, इसलिए शक लाजिमी है।

मानवाधिकार आयोग का पत्र पढ़कर ऐसे लग रहा है जैसे मोदी जी का अगला भाषण लीक हो गया हो. और मोदी जी मन ही मन कह रहे हों ''बोल वे रहे हैं, शब्द हमारे हैं''

kisan andolan
farmers protest
human right commission
NHRC
cartoon click
Irfan ka cartoon
Narendra modi
BJP

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

दिन-तारीख़ कई, लेकिन सबसे ख़ास एक मई

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License