NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
असम में जेल से चुनाव जीतने वाले पहले व्यक्ति बने अखिल गोगोई
नव गठित रायजोर दल के संस्थापक दिसंबर 2019 से राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े अखिल गोगोई को 57,219 वोट मिले जो 46.06 प्रतिशत मत हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट/भाषा
04 May 2021
असम में जेल से चुनाव जीतने वाले पहले व्यक्ति बने अखिल गोगोई
Image courtesy : NDTV

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी कार्यकर्ता अखिल गोगोई असम में जेल से विधानसभा का चुनाव जीतने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं। उन्होंने सिबसागर सीट से भाजपा की अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुरभि राजकोनवारी को 11,875 मतों से शिकस्त दी है।

नव गठित रायजोर दल के संस्थापक दिसंबर 2019 से राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े अखिल गोगोई को 57,219 वोट मिले जो 46.06 प्रतिशत मत हैं।

कांग्रेस ने शुरू में तो रायजोर दल के प्रमुख का समर्थन किया,लेकिन बाद में सुभ्रमित्रा गोगोई को टिकट दे दिया, जो तीसरे स्थान पर रही।

आरटीआई कार्यकर्ता ने राज्य के लोगों तक पहुंचने की कोशिश में जेल से कई खुले पत्र लिखे हैं और उन समस्याओं को रेखांकित किया, जिनको दुरुस्त किया जाना जरूरी है।

उनकी 85 वर्षीय बुजुर्ग मां ने अपने जेल में बंद बेटे के लिए सिबसागर की संकरी गलियों में प्रचार किया, जिसका शायद मतदाताओं पर असर हुआ।

प्रियदा गोगोई की दृढ़ता से प्रभावित होकर जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और संदीप पांडे ऊपरी असम के शहर पहुंचे और अखिल गोगोई की मां के साथ प्रचार में शामिल हुए।

रायजोर दल के सैकड़ों युवा स्वयंसेवकों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए घर-घर जाकर प्रचार किया।

भाजपा ने राजकोनवारी के समर्थन में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जैसे वरिष्ठ नेताओं को उतारा जिन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों को संबोधित किया लेकिन अंत में अखिल गोगोई विजेता बने और उनके पास नकद भी नहीं था।

राष्ट्रीय अभिकरण एजेंसी (एनआईए) ने राज्य में हिंसक सीएए विरोधी प्रदर्शनों में कथित संलिप्तता के मामले में 2019 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

राजनीतिक विश्लेषक अतीक-उर-रहमान बारभुइयां ने पीटीआई-भाषा से कहा कि अखिल गोगोई की जीत ऐतिहासिक है, क्योंकि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के बाद एक मात्र राजनीतिक कैदी हैं जिन्होंने ऐसा कर के दिखाया है। फर्नांडिस ने 1977 का लोकसभा चुनाव बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से लड़ा था और तीन लाख से अधिक वोटों से जीते थे।

रायजोर दल के प्रतिष्ठित सदस्य अदालत का रुख कर अनुरोध करेंगे कि अखिल गोगोई के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने की व्यवस्था की जाए।

कौन है अखिल गोगोई

अखिल गोगोई एक धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील जन नेता हैं उन्होने असम में कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) – नामक एक किसान संगठन की स्थापना की हैं। केएमएसएस भूमिहीन किसानों, ग्रामीण और शहरी गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला अग्रिम संगठन है। इसने भूमि और वन अधिकारों को हासिल कर  वन गांवों से बाढ़ पीड़ितों और आदिवासी लोगों के पुनर्वास की मांग के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए हैं। गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से स्नातक करने वाले 46 वर्षीय अखिल गोगोई के लिए चुनावी राजनीति नई नहीं है। वह 1995-96 में कॉटन कॉलेज छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं।

यह पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम करता है जिसमें पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ लड़ाई शामिल है जो हजारों लोगों के जीवन को खतरे में डालते हैं और वनस्पतियों और जीवों का विनाश करते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अथक सेनानी के रूप में, गोगोई ने मंत्रियों से जुड़े कई बड़े घोटाले उजागर किए हैं। 2013 में, गोगोई ने खुदरा में एफडीआई के विकल्प के तौर पर किसान सहकारी और खुदरा दुकानों की स्थापना की, जो किसान को सीधे तौर पर शहरी बाजारों से जोड़ते हैं।

जनता के बीच गोगोई की लोकप्रियता राज्य द्वारा किए जा रहे अन्याय का विरोध करने और लोगों को जुटाने की उनकी क्षमता में परिलक्षित होती है; जो शांतिपूर्ण और निडरता का सबब है। लेखक के अनुसार, अखिल गोगोई की राज्य में अवैध हिरासत 2017 में एनएसए के तहत शुरू हुई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने अवैध ठहराया था। उन्होंने सीएए-विरोधी आंदोलन का भी नेतृत्व किया क्योंकि उनका मानना है कि यह संविधान का उल्लंघन है और इसलिए भी क्योंकि इससे असम के छोटे देशज समुदायों की पहचान को खतरा पैदा हो जाएगा। सीएए के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन के बाद, राज्य ने विरोधियों के खिलाफ एफआईआर की झड़ी लगा दी और इस प्रक्रिया के माध्यम से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निरंतर और अवैध हिरासत में ले लिया है। लेखक अन्याय के खिलाफ और कार्यकर्ताओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का तर्क पेश करती है।

Akhil gogoi
Assam
CAA
NRC

Related Stories

असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?

असम : विरोध के बीच हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 3 मिलियन चाय के पौधे उखाड़ने का काम शुरू

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

चुनावी वादे पूरे नहीं करने की नाकामी को छिपाने के लिए शाह सीएए का मुद्दा उठा रहे हैं: माकपा

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

ज़मानत मिलने के बाद विधायक जिग्नेश मेवानी एक अन्य मामले में फिर गिरफ़्तार

लाल क़िले पर गुरु परब मनाने की मोदी नीति के पीछे की राजनीति क्या है? 

शाहीन बाग़ की पुकार : तेरी नफ़रत, मेरा प्यार

असम की अदालत ने जिग्नेश मेवाणी को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License