NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
ऐतिहासिक रूप से कम हुए मतदान के साथ अल्जीरियाई संवैधानिक सुधारों को मंज़ूरी
चुनाव कराने वाला संस्था ने लोगों को बाहर जाने और संवैधानिक जनमत संग्रह में भाग लेने से हतोत्साहित करने के लिए COVID -19 महामारी का कारण बताते हुए कम हुए मतदान की व्याख्या करने की कोशिश की।
पीपल्स डिस्पैच
04 Nov 2020
अल्जीरिया

नेशलन इंडिपेंडेंट इलेक्शन अथॉरिटी (एएनआईई) के प्रमुख मोहम्मद चारफी ने सोमवार 2 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विचित्र रुप से 23.7% से कम मतदान पर भी अल्जीरिया के लोगों ने संविधान में बदलाव को मंजूरी देने के पक्ष में मतदान किया। इस संवैधानिक जनमत संग्रह का कई ने विरोध था जिसमें अल्जीरिया के लंबे समय से लोकप्रिय सरकार-विरोधी हिरक विरोध आंदोलन शामिल है।

एक साल से अधिक समय से हिरक आंदोलन देश के सरकारी कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, ग़रीबी, बेरोज़गारी और सामाजिक और क्षेत्रीय प्रभावहीनता और संघर्ष जैसे पुराने मुद्दे जो देश को परेशानी में डाल रहे हैं उससे निपटने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों की मांग कर रहा है। संवैधानिक परिवर्तनों को सिरे से खारिज करते हुए हिरक आंदोलन ने इस जनमत संग्रह का बड़े पैमाने पर बहिष्कार करने की वकालत की और इसे इसकी मांगों को पूरा करने की बात आती है तो इस परिवर्तन को अपर्याप्त और खोखला क़रार दिया।

विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस जनमत संग्रह में 24 मिलियन से अधिक मतदाता मतदान करने के योग्य थे। ये मतदान कुल गिरे मतदान के 66.8% से पारित हुआ। लेकिन हर 4 पंजीकृत मतदाताओं में से एक से भी कम मतदान कर रहे थे तो इसका स्पष्ट रूप से मतलब था कि सभी योग्य मतदाताओं में से केवल 15.8% ने संवैधानिक सुधारों के पक्ष में मतदान किया। वर्ष 1962 में अल्जीरिया के औपनिवेशिक फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद गिराया गया यह सबसे कम मतदान था। ऐतिहासिक रूप से कम हुए मतदान को हिरक आंदोलन और उसके समर्थकों द्वारा अल्जीरिया के लोगों के अविश्वास और संवैधानिक परिवर्तनों के विरोध का प्रमाण बताया गया।

अल्जीरियन ह्यूमन राइट्स लीग के उपाध्यक्ष सइद सलही कम हुए मतदान को 'हिरक आंदोलन की जीत' के रूप में बताते हुए ट्वीट करते हैं कि वर्तमान राष्ट्रपति अब्देलमजीद तेब्बौने की शासन को अब अपनी विफलता पर ध्यान देना चाहिए और रोडमैप पर पुनर्विचार करना चाहिए।" उन्होंने यह भी ज़ोर देकर कहा कि "लोकतांत्रिक ट्रांजिशन की प्रक्रिया एकमात्र समाधान है" उन्होंने जनमत संग्रह के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न अलोकतांत्रिक,मनमाने और ग़ैरक़ानूनी निर्णयों का जिक्र किया है।

पिछले कुछ महीनों में इस सरकार ने हिरक आंदोलन के सदस्यों, विपक्ष और इनके समर्थकों को निशाना बनाया है। निराधार आपराधिक आरोपों के साथ हिरक आंदोलन के कई प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया गया। यहां तक कि किसी भी व्यक्ति को संवैधानिक परिवर्तन को लेकर प्रचार करने की स्वतंत्रता को लेकर अधिकारियों द्वारा पहले आश्वासन दिए जाने के बावजूद विपक्षी सदस्य को सार्वजनिक सभा करने और प्रचार करने से प्रतबिंधित कर दिया गया था।

संवैधानिक सुधारों में राष्ट्रपति पद को दो कार्यकाल तक सीमित करने, राष्ट्रपति, संसद और न्यायपालिका की शक्तियों का विस्तार करने और अल्जीरिया की सीमाओं के बाहर अल्जीरियाई सेना को युद्धों और सैन्य संघर्षों में हस्तक्षेप करने और भाग लेने की अनुमति देने जैसे परिवर्तन शामिल हैं। विरोध में हिरक आंदोलन और अन्य लोगों ने इस सरकार पर सत्ता हथियाने का आरोप लगाया है जबकि कुछ ने इसे पूरे भूमध्यसागरीय में सबसे अधिनायकवादी संविधान कहा है।”

हालांकि ये सुधार हिरक आंदोलन की कुछ प्रमुख मांगों को पूरा करने में पूरी तरह से विफल है। इसकी मांगों में राष्ट्रीय राजनीति में सेना के हस्तक्षेप की समाप्ति और पूर्व राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बाउटेफ़्लिका की पूर्ववर्ती सरकार से संबंधित राजनीतिक और व्यावसायिक अभिजात वर्ग का सरकार के कामकाज में निरंतर मौजूदगी और भागीदारी को समाप्त करना है। 

Algeria
algerian elections
elections in algeria

Related Stories

प्रसिद्ध अल्जीरियाई पत्रकार मोहम्मद मौलौद्ज को आतंकवाद के आरोप में हिरासत में लिया गया

अल्जीरिया में 100 से अधिक हिरक प्रदर्शनकारी रिहा

अल्जीरियाई स्वतंत्रता दिवस पर जेल में बंद हिरक आंदोलन के 18 कार्यकर्ता रिहा

अल्जीरियाई वामपंथी पार्टी के नेता फेथी घारेस फ़र्ज़ी आरोपों में गिरफ़्तार

वित्त मंत्री अयमन बेनअब्दर्रह्मान अल्जीरिया के नए प्रधानमंत्री

अल्जीरियाई पुलिस ने प्रमुख मानवाधिकार और अत्याचार-विरोधी कार्यकर्ता फ़ातिहा ब्रिकी को हिरासत में लिया

सत्ता-समर्थक दल अल्जीरियाई चुनावों में आगे

यूएन ने अल्जीरिया से हिरक प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ मानवाधिकारों के हनन को रोकने का आह्वान किया

अल्जीरिया के हिरक आंदोलन ने प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फ़ैसले की निंदा की

अल्जीरिया : हिरक आंदोलन के नेता संदिग्ध आरोपों में गिरफ़्तार


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License