NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका : पुलिस द्वारा जॉर्ज फ़्लॉइड की हत्या का पूरे देश में विरोध
46 साल के अफ़्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ़्लॉइड की हत्या ने 2014 में हुई एरिक गार्नर की हत्या की याद दिला दी है।
पीपल्स डिस्पैच
27 May 2020
अमेरिका : पुलिस द्वारा जॉर्ज फ़्लॉइड की हत्या का पूरे देश में विरोध
(Photo: Richard Tsong-taatarii, AP)

26 मई को, संयुक्त राज्य अमेरिका के मिनेसोटा राज्य में मिनियापोलिस शहर में अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति की हत्या के विरोध में सैकड़ों प्रदर्शनकारी पुलिस के साथ भिड़ गए। सोशल मीडिया पर चश्मदीद गवाह ने आरोप लगाया कि पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, ड्रोन और दंगा गियर का इस्तेमाल करते हुए पाया गया, जिससे घटनास्थल पर हिंसक झड़प हो गई। 25 मई को मिनियापोलिस में 46 वर्षीय जॉर्ज फ्लॉयड की हाल ही में हुई हत्या, एरिक गार्नर की यादों को वापस ले आई, जिनकी 2014 में न्यूयॉर्क में इसी तरह की परिस्थितियों में हत्या कर दी गई थी।

प्रदर्शनकारी उस चौराहे पर फ़्लॉइड की हत्या के कुछ ही घंटे बाद जमा हो गए थे। सोशल मीडिया पर उनकी मौत की ख़बर फैली थी। प्रदर्शनकारियों ने फ़्लॉइड के लिए एक स्मारक रखा। प्रदर्शनकारियों को पुलिस के ख़िलाफ़ जाप करते और अमेरिका में संस्थागत रूप से नस्लवाद की निंदा करने वाले प्लेकार्ड पकड़े हुए देखा गया।

ख़बरों के मुताबिक, फ़्लॉइड की हत्या, जिसे सोशल मीडिया पर दर्शकों द्वारा लाइव प्रसारित किया गया था, पुलिस द्वारा कथित रूप से एक फ़र्ज़ी चेक जारी करने के आरोप में उन्हें पकड़ने के हिंसक प्रयास में हुई है। फ़्लॉइड कार में बैठे थे जब चार श्वेत पुलिस अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया। पुलिस ने आरोप लगाया कि फ़्लॉइड ने "गिरफ़्तारी का विरोध" करने की कोशिश की। चश्मदीदों ने पुलिस पर असहमतिपूर्ण हिंसा का आरोप लगाया है।

घटना के दौरान वहां से गुज़र रहे राहगीरों को पुलिस से उन्हें छोड़ने की अपील करते हुए देखा गया। फ़्लॉइड ख़ुद अफ़सरों को बता रहे थे कि वह "सांस नहीं ले सकते"।

घटना के कुछ घंटों बाद, चार अधिकारियों को मिनियापोलिस के मेयर ने सेवा से निकाल दिया और उसी दिन उनके खिलाफ संघीय जांच शुरू की गई। लेकिन इस तरह की हत्याओं के साथ पिछले अनुभवों ने लगभग बहुत ही मामूली रूप से समाप्त कर दिया है या आरोपी अधिकारियों पर कोई दंड नहीं लगाया है।

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और वकील, बेंजामिन क्रम्प, जिन्होंने ट्रेवोन मार्टिन, माइकल ब्राउन और मार्टिन ली-एंडरसन सहित पुलिस हिंसा के समान मामलों का प्रतिनिधित्व किया है, आरोपी अधिकारियों के ख़िलाफ़ फ़्लॉइड के परिवार का प्रतिनिधित्व करेंगे। क्रम्प ने मीडिया को बताया, "बल के इस अपमानजनक, अत्यधिक और अमानवीय उपयोग ने एक ऐसे व्यक्ति के जीवन की लागत ली, जिसे पुलिस द्वारा अहिंसक आरोप के बारे में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था।"

 

 

क्रम्प ने सवाल किया, "पुलिस की नस्लीय प्रोफाइलिंग और पुलिस द्वारा ब्लैक लोगों का जीवन समाप्त करने के लिए और कितनी 'ब्लैक' मौतों की ज़रूरत है?"

 

America
US policing
activism
Protest

Related Stories

क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?

बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज

यूक्रेन में छिड़े युद्ध और रूस पर लगे प्रतिबंध का मूल्यांकन

लखीमपुर खीरी कांड में एक और अहम गवाह पर हमले की खबर  


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License