NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
अंतरराष्ट्रीय
यूरोप
प्राचीन मनुष्य के जीनोम, इंसानों और निएंडरथल मानवों के बीच सह-प्रजनन पर नई रोशनी डालते हैं
एक हालिया अध्ययन में चेक गणराज्य में पाई गई एक महिला की खोपड़ी के परीक्षण और दूसरे में बुल्गारिया के बाचो कीरो गुफा में पाए गए तीन व्यक्तियों के अवशेषों का अध्ययन किया गया है।
संदीपन तालुकदार
14 Apr 2021
Human skeleton

आज पृथ्वी पर यदि कोई एकमात्र जीवित मानव प्रजाति है तो वह होमो सेपियन्स या आधुनिक मानव हैं। हालांकि प्राचीन काल में स्थिति भिन्न थी। तब अन्य मानव प्रजातियाँ भी हुआ करती थीं, उनमें निएंडरथल एवं डेनिसोवांस महत्वपूर्ण थे। ये दोनों ही प्राचीनतम मानव प्रजातियाँ अब इस गृह पर नहीं हैं, लेकिन उनके हस्ताक्षर आज भी आधुनिक इंसानों में अर्थात हमारे भीतर जीवित हैं, जो अपने डीएनए में इन प्रारंभिक मानवों के जींस धारण किये हुए हैं। यह इसलिए संभव हो सका है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने उन विलुप्त हो चुके आरंभिक मानवों के साथ सह-प्रजनन में हिस्सा लिया था।

सह-प्रजनन एक स्थापित तथ्य है और इसके परिणामस्वरूप सभी गैर-अफ्रीकी मानव आबादी के भीतर निएंडरथल जींस पाई जाती हैं, जो उनके डीएनए का 2% हिस्सा है। इसके साथ ही मेलानेसियन, एबोरिजिनल आस्ट्रेलियाई एवं पापुआ वंश के लोगों के डीएनए में डेनीसोवन जींस की मात्रा अन्य के मुकाबले कहीं ज्यादा पाई जाती है।

हाल ही में, निएंडरथल के साथ होमो सेपियंस के सह-प्रजनन की कोटि के बारे में नए निष्कर्षों के साथ दो नए आनुवंशिक अध्ययन सामने आये हैं। इन दोनों ही अध्ययनों ने सह-प्रजनन कब हुआ और किस सीमा तक जारी रहा, के बारे में गहराई से अध्ययन किया है।

एक अध्ययन ने चेक गणराज्य में पाई गई एक महिला की खोपड़ी का परीक्षण किया और दूसरे अध्ययन में बुल्गारिया में बाचो किरो गुफा में पाए गए तीन व्यक्तियों के अवशेषों का विश्लेषण किया गया। इन विश्लेषणों से पता चला है कि ये सभी नमूनों की उम्र लगभग 45,000 साल पहले की है। जिस महिला की खोपड़ी का विश्लेषण किया गया, उसे ज्लाटी कुन उपनाम दिया गया है। विश्लेषणों से यह भी पता चला है कि इन सभी नमूनों में निएंडरथल जींस की मात्रा अच्छी-खासी है, और सह-प्रजनन अपेक्षाकृत हाल ही में घटित हुआ था।

जब आधुनिक मनुष्य ने निएंडरथल के साथ संसर्ग किया, तो उनसे उत्पन्न होने वाली संतानों में उच्चतम स्तर पर निएंडरथल डीएनए था, और इसके साथ ही यह कालखंड लंबा है। हालाँकि बाद की पीढ़ियों में यह डीएनए खंड छोटा हो जाता है। इसकी वजह यह है कि मानव डीएनए में निएंडरथल डीएनए को और अधिक नहीं जोड़ा जा सका। इस बात को ध्यान में रखते हुये वैज्ञानिक इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने समय पहले तक डीएनए के मिश्रण को संभव बनाया जा सका था।

बुल्गारिया में स्थित बाचो किरो गुफा के बारे में अनुसन्धान के प्रमुख लेखक मातेजा हजदिनजक ने अपनी टिप्पणी में कहा है “हमने पाया कि बाचो किरो गुफा में रहने वाले लोगों में निएंडरथल पूर्वज होने के प्रमाण का स्तर तकरीबन सभी अन्य आरंभिक मानवों की तुलना में कहीं ज्यादा थी। महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि अधिकांश निएंडरथल डीएनए बेहद लम्बें काल खण्डों में आये हैं। इससे जाहिर होता है कि इन व्यक्तियों के फैमिली ट्री में निएंडरथल पूर्वजों की उपस्थिति लगभग पांच से लेकर सात पीढ़ी पीछे से चली आ रही थी।”

बाचो किरो गुफा से निकाले गए अवशेषों पर शोध प्रबंध 7 अप्रैल को नेचर में प्रकाशित किया गया था।

जलाटी कुन पर किये गए विश्लेषण से एक बार फिर से पता चला है कि मात्र 2,000 वर्ष पहले ही महिला को निएंडरथल वंश से अलग कर दिया गया था। जी, 2,000 वर्षों की अवधि मानव इतिहास की तुलना में लंबी अवधि नहीं है। शोधकर्ताओं ने इस बात का भी दावा किया है कि जलाटी कुन अभी तक की खोज में सबसे पुरातन ज्ञात आधुनिक मानव जीनोम का प्रतिनिधित्व करती है।

जलाटी कुन के बारे में शोध, नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है, और वह भी 7 अप्रैल के दिन ही।

वैज्ञानिकों ने इन प्राचीन लोगों के वंशजों के बारे में भी जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की है। रोचक तथ्य यह है कि इनमें से किसी ने भी स्थानीय यूरोपीय आबादी में अपना आनुवांशिक योगदान नहीं दिया है। बाचो-किरो गुफा के उत्खनन से जिन अवशेषों को निकाला गया है, वे यूरोपीयन की तुलना में वर्तमान समय के पूर्वी एशियाई एवं अमेरिकी आबादी के कहीं ज्यादा करीब थे।

इसी प्रकार ज्लाटी कुन के मामले में भी पता चला है कि लगभग 40,000 साल पहले के अवशेष में, यूरोप में पाई जाने वाली आधुनिक मानव आबादी के साथ किसी प्रकार की अनुवांशिक निरन्तरता नहीं मिलती है।

इन अध्ययनों से न सिर्फ यह पता चला है कि निएंडरथल के साथ होमो सेपियंस के सह-प्रजनन की प्रक्रिया, जैसा कि पूर्व में सोचा गया था, की तुलना में काफी हद तक हुई थी, बल्कि इसके जरिये उन्होंने यूरोप में प्रारंभिक मानव प्रवासन के बारे में भी एक समझ प्रदान की है।

Ancient Human Genome
Ancient Human DNA

Related Stories

5700 साल पुरानी च्वींग गम से निकाला गया DNA


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License