NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
…और अब हम दिमाग़ से भी बीमार होने लगे
कोरोना की जंग तो हम जीत जाएंगे लेकिन तबाही की यह सुनामी हमारे लोगों के दिमाग़ में नफ़रत और शक का जो वायरस पैदा कर चुकी है उससे निपटना आसान नहीं।
सरोजिनी बिष्ट
07 Apr 2020
मॉब लिंचिंग

अब धीरे धीरे इस कोरोना वायरस ने हमारे शरीर के साथ साथ हमारे दिमाग़ पर भी हमला करना शुरू का दिया है। कोरोना के इस क़हर के बीच हम कब और कैसे इंसानियत से दूर होते जा रहे हैं, इतना भी सोचने का वक्त किसी के पास नहीं। दिल्ली के बवाना से सामने आई मॉब लिंचिंग की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अब हमारे सामने चुनौती केवल कोरोना से लड़ने की नहीं बल्कि लोगों के दिमाग में घुल रहे ज़हर को भी खत्म करने की है।

भीड़ हिंसा का शिकार बने दिलाशद अली नाम का यह युवक मध्यप्रदेश के रायसेन से अपने घर दिल्ली स्थित बवाना पहुंचा था। लोगों को शक था कि दिलशाद कोरोना से पीड़ित है और वह जगह-जगह थूककर कोरोना बीमारी को फैलाने की साजिश कर रहा है बस इसी शक के आधार पर लोगों ने उसे बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया जबकि युवक पीटने वालों से बार-बार यही गुहार लगाता रहा की उसका चेकअप हो चुका है और वह पूरी तरह स्वस्थ है। बुरी तरह घायल दिलशाद अभी अस्पताल में भर्ती है। 

यह कोई पहली घटना नहीं, इस तरह की हिंसा की घटनाएं अब सामने आने लगी है। अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के संभल जिले से भी एक युवक को कोरोना होने के शक पर पीटने की खबर सामने आई थी। लॉकडाउन के चलते कामकाज ठप्प होने की वजह से दिल्ली से अपने घर संभल पहुंचे एक युवक को ग्रामीणों ने कोरोना का मरीज होने के शक में पीट डाला।

संवेदनहीनता की हद यहीं खत्म नहीं होती दिल्ली के बाद मुंबई के सांताक्रुज से भी एक परेशान करने वाला मामला सामने आया। जरूरी सामान खरीदने दुकान जा रही एक मणिपुरी युवती पर बाइक सवार ने यह कहते हुए थूक दिया कि तुम कोरोना हो। ज़ाहिर सी बात है चूंकि युवती नॉर्थ ईस्ट (पूर्वोत्तर) की रहने वाली है और हम जानते हैं कि अभी भी हमारे बीच ऐसे लोग मौजूद हैं जो आज भी नॉर्थ ईस्ट के लोगों को विदेशी और खासकर चाईनीज कहकर बुलाना ज्यादा पसंद करते हैं। एक के बाद एक घटित हो रही इस तरह की घटनाएं निश्चित ही गहरी चिंता का विषय है।

कोरोना के भय ने लोगों के दिल और दिमाग को इस कदर बीमार बना दिया है कि अब वे अपने बरसों पुराने पड़ोसी को भी शक की नजर से देखने लगे हैं।

लखनऊ के रहने वाली बबीता पंवार ने बताया कि, चूंकि वह उत्तराखंड (कुमाऊं) के उस क्षेत्र की रहने वाली है जो चीन के बार्डर से लगता है। पहले के माहौल में जब लोग मुझे और मेरे परिवार को यूं ही मज़ाक में चीनी कहते तो हम भी इसे हंसी मज़ाक में लेते लेकिन अब सचमुच डर लगता है। डर इस हद तक बढ़ चुका है कि अपनी सोसाइटी तक में निकलने से डरते हैं कि कहीं कोई हादसा न हो जाए।

शक और नफ़रत का अंत यहीं नहीं हो रहा। इससे भी ज्यादा डरावना मंज़र तो यह है कि इस शक और नफ़रत ने इस हद तक लोगों का दिमाग पैरालाइज कर दिया है कि इसकी आड़ में एक बार फिर सांप्रदायिक सद्भावना को तहस नहस करने की साज़िशें रची जा रही हैं। लिबरल तबके को छोड़ दे तो हर हिन्दू को हर मुसलमान तबलीगी जमात में शामिल होने वाला और जानबूझकर कोरोना फ़ैलाने वाला लग रहा है और हर मुसलमान को हिन्दू उनके ख़िलाफ़ साज़िश रचता नजर आ रहा है। इसलिए कहीं मुस्लिम मुहल्ले में जांच करने गई डॉक्टरों की टीम को पत्थर मारकर भगाया जाता है तो कहीं हिन्दू बहुल मुहल्ले में मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। यहां तक की अगर कोई फल या सब्जी विक्रेता मुस्लिम है तो ऐसी ख़बरें भी सामने आ रही हैं कि हिन्दू उन्हें अपने गली मुहल्ले में घुसने नहीं दे रहे हैं।

इसमें दो राय नहीं कि कोरोना के  सुनामी के बीच इस कदर इंसानियत तार तार हो रही है कि क्या सही है और क्या गलत, क्या झूठ है और क्या सही, कोई सोचना नहीं चाहता। हाल ही में एक वीडियो बड़ी तेजी से वायरल हुआ। इस वीडियो में बताया गया कि किस तरह से एक मुस्लिम फल विक्रेता फलों में थूक लगा लगा कर बेचने की तैयारी कर रहा है। संदेश यह था कि इस मुस्लिम फल विक्रेता को कोरोना है और वह इसे फलाने की साज़िश कर रहा है जो भी उसका फल खरीदेगा वह कोरोना से पीड़ित हो जाएगा। लेकिन जब इस वीडियो की सच्चाई सामने आई है तो पता चला यह वीडियो लगभग नौ महीने पुराना है।

उस फल विक्रेता की बेटी ने बताया उसके पिता दिमागी रूप से थोड़ा डिस्टर्ब है। पहले उनका दूध का कारोबार था और रुपये गिनने की आदत के चलते उन्हें ऐसी आदत पड़ी। वह घर पर भी ऐसा ही करते हैं लेकिन थूक लगा कर फल नहीं बेचते यह सरासर गलत है। लेकिन जब तक इस वीडियो की सच्चाई सामने आई तब तक यह कई लोगों के पास पहुंच चुका था और आग में घी डालने का काम कर चुका था। ऐसे ही आग सुलगाने का काम उस फ़र्ज़ी ख़बर ने भी किया जिसमें यह कहा गया कि मुसलमानों को सावधान हो जाना चाहिए क्यूंकि उन्हें कोरोना संक्रमित इंजेक्शन लगाया जा सकता है।

एक तरफ़ हम कोरोना से लड़ रहे हैं। हमारे डॉक्टर्स अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने परिवार से दूर रहकर प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) के अभाव में भी कोरोना पीड़ितों को बचाने की जंग लड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ हमारा समाज दूसरी ही बीमारी से ग्रसित होता जा रहा है, जहां विश्वास शक और प्रेम नफ़रत में बदल चुका हैं। असंवेदनशीलता अपने चरम पर है। इससे ज्यादा शर्मनाक और ख़तरनाक स्थिति और क्या हो सकती है कि कोई किसी पर यह कहते हुए थूककर चला जाए कि तुम ही कोरोना हो, सिर्फ इसलिए कि उसकी शक्ल थूकने वाले के समाज से मेल नहीं खाती या कोई किसी को केवल इसलिए पीट दे कि वह मुसलमान है और तबलीगी जमात में ढेरों मुस्लिम कोरोना पीड़ित निकले या कहीं डॉक्टरों पर इसलिए हमला हो जाता है कि चूंकि वे हिन्दू है और वे साज़िशन मुसलमानों को कोरोना संक्रमित इंजेक्शन लगा देंगे, क्योंकि ऐसी अफ़वाह है।

सचमुच पूरे विश्व में कोरोना इंसानों के शरीर पर अटैक कर रहा है लेकिन हमारे यहां इसने शरीर के साथ साथ दिमाग़ को भी बीमार बना दिया है। कोरोना की जंग तो हम जीत जाएंगे लेकिन तबाही की यह सुनामी हमारे लोगों के दिमाग़ में नफ़रत और शक का जो वायरस पैदा कर चुकी है उससे निपटना आसान नहीं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Coronavirus
COVID-19
Coronavirus Epidemic
mob lynching
mob voilence
Hate Crime
Communal Hate
Religion Politics
PPE

Related Stories

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

हिमाचल प्रदेश के ऊना में 'धर्म संसद', यति नरसिंहानंद सहित हरिद्वार धर्म संसद के मुख्य आरोपी शामिल 

दुर्भाग्य! रामनवमी और रमज़ान भी सियासत की ज़द में आ गए

ग़ाज़ीपुर; मस्जिद पर भगवा झंडा लहराने का मामला: एक नाबालिग गिरफ़्तार, मुस्लिम समाज में डर

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

पलवल : मुस्लिम लड़के की पीट-पीट कर हत्या, परिवार ने लगाया हेट क्राइम का आरोप

शामली: मॉब लिंचिंग का शिकार बना 17 साल का समीर!, 8 युवकों पर मुकदमा, एक गिरफ़्तार

इंदौर में "नाम पूछकर" चूड़ी वाले को पीटा, भारी बवाल के बाद मामला दर्ज 


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License