NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से नाराज़ बिजलीकर्मी करेंगे देशव्यापी हड़ताल
"जब तक सरकार अपना फैसला रद्द नहीं करती, तब  तक आंदोलन चलता रहेगा क्योंकि सुधारों के नाम पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को चिंताजनक वित्तीय संकट में डाल दिया है।"
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Feb 2021
बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से नाराज़ बिजलीकर्मी करेंगे देशव्यापी हड़ताल
फाइल फोटो

बिजली कर्मचारियों की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने कहा, केंद्र की निजीकरण नीति के खिलाफ देश भर के 15 लाख बिजली कर्मचारी 3 फरवरी को हड़ताल पर रहेंगे। हालांकि, इसकी घोषणा कई दिनों पहले ही कर दी गई थी, लेकिन कर्मचारियों को उम्मीद थी बजट में उनकी मांगो पर ध्यान दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत अभियंता संघ के अध्यक्ष वी पी सिंह ने आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से बिजली कर्मियों में गुस्सा व्याप्त हो गया है और आयकर में कोई राहत न मिलने से भारी निराशा है।

उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कम्पनियों का एकाधिकार समाप्त करने के नाम पर इस क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के आने का साफ़ मतलब है कि वर्तमान में सरकारी बिजली कंपनियों के अतिरिक्त निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति का कार्य दिया जाएगा।

शैलेंद्र दुबे ने रविवार को एक वर्चुअल कांफ्रेंस के दौरान कहा था, "बिजली (संशोधन) विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में अस्वीकार्य है और सरकार पर दबाव बनाने के लिए हमें हड़ताल का सहारा लेना पड़ रहा है।”

एआईपीईएफ के अध्यक्ष ने कहा जब तक सरकार अपना फैसला रद्द नहीं करती, आंदोलन और तेज होगा क्योंकि सुधारों के नाम पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को चिंताजनक वित्तीय संकट में डाल दिया हैं।

उन्होंने कहा कि इसके बाद निजी बिजली कम्पनियां सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का बिना नेटवर्क में कोई निवेश किए प्रयोग करेंगी।

दुबे ने कहा कि इतना ही नहीं, निजी कम्पनियां केवल मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनियां घाटा उठाकर बिजली देने को विवश होंगी।

उन्होंने कहा कि इससे पहले ही आर्थिक संकट से कराह रही सरकारी बिजली कंपनियों की माली हालत और खराब हो जाएगी, परिणामस्वरूप किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं पर घाटे का बोझ आएगा और अंततः इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी।

बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के सम्पूर्ण निजीकरण की घोषणा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह निजीकरण और कॉरपोरेट घरानों का बजट है।

इस बीच, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने भी बजट को निराशाजनक बताया है।

परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऊर्जा नीति को लेकर कई ऐलान किए हैं, इससे पूरी तरह सिद्ध हो रहा है ऊर्जा क्षेत्र निजीकरण की तरफ बढ़ेगा, जो उपभोक्तओ के हित में नहीं है।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र को लेकर बजट में किए गए प्रावधानों से यह तय हो गया है कि केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र के निजीकरण पर आमादा है।

उन्होंने कहा कि बजट में वित्तमंत्री ने अगले तीन साल में राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों से पुराने मीटर बदलकर प्रीपेड मीटर लगाने की बात कही है, लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए था कि पूरे देश में स्मार्ट मीटर की तकनीक विवादों में घिरी है, पहले इस मसले को सुलझाने की जरूरत है।

वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं के चल रहे मीटर को हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से केवल मीटर निर्माता कम्पनियों को बड़ा लाभ होगा।

कर्मचारी यूनियन का कहना है जब देश के कई हिस्सों में बिजली के निजीकरण की व्यवस्था फेल हुई है ऐसे में जबरदस्ती पूरे देश में बिजली का निजकरण क्यों करना चाहती है सरकार?

उन्होंने कहा कि आगरा, ग्रेटर नोएडा और उड़ीसा में निजीकरण की विफलता के बावजूद , सरकार डिस्कॉम से व्यावहारिक पहलू का फीडबैक लेने की जहमत उठाए बिना आगे बढ़ रही है, जो पूरी तरह गलत हैं।

कर्मचारियों ने कहा कि सुधारों के नाम पर, सरकार निजी क्षेत्र के हितों की सेवा कर रही है, धीरे-धीरे देश भर में सार्वजनिक क्षेत्र को नष्ट कर रही है।

एआईपीईएफ चाहता है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाली निजी कंपनियों को सरकार अभिलंब हटाए। साथ ही उन्होंने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन की मांग भी दोहराई है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

Union Budget 2021-22
privatization
Privatization of Electricity
Electricity workers
workers protest
BJP
Modi government

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    खोज ख़बर : मस्जिद दर मस्जिद भगवान की खोज नहीं, नफ़रत है एजेंडा, हैदराबाद फ़र्ज़ी एनकाउंटर के बड़े सवाल
    24 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने एक के बाद एक मस्जिद में भगवान की खोज के नफ़रती एजेंडे को बेनक़ाब करते हुए सरकारों से पूछा कि क्या उपलब्धियों के नाम पर मुसलमानों के ख़िलाफ उठाए गये कदमों को…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?
    24 May 2022
    न्यूज़चक्र में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा बात कर रहे हैं कि सत्ता पक्ष आखिर क्यों देश को उलझा रहा है ज्ञानवापी, क़ुतब मीनार, ताज महल जैसे मुद्दों में। महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों की बात कब होगी…
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी: भारी नाराज़गी के बाद सरकार का कहना है कि राशन कार्ड सरेंडर करने का ‘कोई आदेश नहीं’ दिया गया
    24 May 2022
    विपक्ष का कहना है कि ऐसे समय में सत्यापन के नाम पर राशन कार्ड रद्द किये जा रहे हैं जब महामारी का समय अधिकांश लोगों के लिए काफी मुश्किलों भरे रहे हैं।
  • सोनिया यादव
    देश में लापता होते हज़ारों बच्चे, लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में 5 गुना तक अधिक: रिपोर्ट
    24 May 2022
    ये उन लापता बच्चों की जानकारी है जो रिपोर्ट हो पाई हैं। ज़्यादातर मामलों को तो पुलिस मानती ही नहीं, उनके मामले दर्ज करना और उनकी जाँच करना तो दूर की बात है। कुल मिलाकर देखें तो जिन परिवारों के बच्चे…
  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख नियत
    24 May 2022
    मुकदमा चलाने लायक है या नहीं, इस पर अदालत 26 मई को सुनवाई करेगी। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License