अलीगढ़ (उप्र) : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन को संबोधित करने जा रहे पूर्व विशेष पुलिस महानिरीक्षक अब्दुर रहमान को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और नयी दिल्ली लौटने को कहा। महाराष्ट्र के आईपीएस अधिकारी रहमान ने सीएए के विरोध में 11 दिसंबर को पद से इस्तीफा देते हुए कहा था कि उन्होंने यह कदम सांप्रदायिक और असंवैधानिक नए नागरिकता कानून के प्रति विरोध स्वरूप उठाया है।
रविवार को रहमान को अलीगढ़ के लोढ़ा थाने ले जाया गया। रहमान ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें पुलिस ने एक नोटिस दिया है कि एएमयू में उनकी मौजूदगी से कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती हैं। लिहाजा, उन्होंने इसका पालन करने का फैसला किया है। वह प्रशासन की अनुमति लेने के बाद फिर से अलीगढ़ आएंगे। पूर्व आईपीएस अधिकारी ने बताया कि उन्हें ‘एएमयू स्टूडेंट्स कोआर्डिनेशन कमेटी’ ने नए नागरिकता कानून पर रविवार को संबोधित करने के लिए बुलाया था।
उन्होंने कहा था, ‘यह विधेयक भारत की धार्मिक बहुलतावाद के खिलाफ है। मैं सभी न्यायप्रिय लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे लोकतांत्रिक तरीके से इस विधेयक का विरोध करें। यह संविधान की बुनियादी विशिष्टताओं के खिलाफ है।’ रहमान ने एक बयान जारी कर कहा था, ‘मैं इस विधेयक की आलोचना करता हूं। सविनय अवज्ञा के रूप में मैंने फैसला किया है कि मैं कल से दफ्तर नहीं जाउंगा। मैं इस सेवा को अंतत: छोड़ रहा हूं।’
चार दिनों में पीएफआई के 108 सदस्य उप्र से गिरफ्तार
संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने के आरोप में उप्र पुलिस ने पिछले चार दिनों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 108 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इससे पहले पीएफआई से संबध्द 25 और लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सोमवार को बताया, ‘पिछले चार दिनों में उप्र में पीएफआई के 108 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।’
उन्होंने बताया, ‘यह अभी एक शुरुआत है, हम इनकी जड़ों तक जाएंगे और इनको कहां से किस जरिये से मदद मिलती थी इसकी जाचं करेंगे। हम केंद्रीय जांच एजेंसियों के संपर्क में भी हैं।’
प्रेस कांफ्रेस में कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि पिछले 4 दिनों में पीएफआई के 108 सदस्यों को हिंसा के दौरान उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है, इनमें लखनऊ में 14, बहराइच में 16, सीतापुर में 3, मेरठ में 21, गाजियाबाद में 9, मुजफ्फरनगर में 6, शामली में 7, बिजनौर में 4, वाराणसी में 20, कानपुर में 5, गोंडा, हापुड़ और जौनपुर में एक-एक पीएफआई सदस्य शामिल है।
उनसे जब पूछा गया कि क्या प्रदेश पुलिस पीएफआई को मिलने वाली आर्थिक सहायता को लेकर ईडी के संपर्क में है इस पर उन्होंने कहा, 'हम सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और ईडी समेत तमाम एजेंसियों के संपर्क में हैं। हम इस बारे में बाद में सही समय आने पर जानकारी साझा करेंगे।’ अपर मुख्य सचिव गृह अवस्थी ने दावा किया कि उप्र पहला ऐसा राज्य है जिसने पीएफआई के विरुध्द इतनी तेजी से और सख्ती से कदम उठाये है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)