NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
धर्मांतरण रोधी कानून धर्मनिरपेक्षता और निजता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन : फ़ैज़ान मुस्तफ़ा
यह कानून धर्मनिरपेक्षता की मूल अवधारणा के ख़िलाफ़ है जो संविधान का बुनियादी ढांचा मानी जाती है। इसके साथ ही यह अपना धर्म और अपना जीवनसाथी चुनने के प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार के ख़िलाफ़ भी है।
भाषा
04 Jan 2021
Faizan Mustafa

नयी दिल्ली:  देश के तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने धर्मांतरण रोधी कानून बनाया है जिसके विभिन्न प्रावधानों को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों एवं राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय है। इस कानून को लेकर पेश हैं जाने-माने विधि विशेषज्ञ फ़ैज़ान मुस्तफ़ा से ‘भाषा के पांच सवाल’ और उनके जवाब :

सवाल : देश के तीन राज्यों ने धर्मांतरण रोधी कानून बनाया है, जिसपर अलग-अलग तबकों की अलग-अलग राय है। आप इसे संवैधानिक रूप से कितना व्यावहारिक मानते हैं?

जवाब : यह कानून धर्मनिरपेक्षता की मूल अवधारणा के खिलाफ है जो संविधान का बुनियादी ढांचा मानी जाती है। इसके साथ ही यह अपना धर्म और अपना जीवनसाथी चुनने के प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार के खिलाफ भी है। यह न केवल व्यक्तिगत फैसले लेने की निजी स्वतंत्रता का स्पष्ट तौर पर उल्ल्ंघन करता है, बल्कि व्यक्ति के सम्मान को भी कमतर करता है। यह कानून निजता के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।

सवाल: धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर बनाए गए इस कानून से सामाजिक ढांचे पर क्या प्रभाव पडे़गा, तथाकथित लव जिहाद की शब्दावली और भारतीय समाज के संपूर्ण परिप्रेक्ष्य में आप इसे कैसे देखते हैं?

जवाब : मुझे अफसोस यह है कि संबंधित कानून हिंदुत्व के विचार, जो हमारी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा रहा है, उसको भी खत्म करता है। हमारे यहां स्वयंवर का प्रावधान था, उसमें दुल्हन को अपना पति चुनने की आजादी थी। अब हम कह रहे हैं कि उन्हें कोई बेवकूफ बना सकता है, वो अपने फैसले नहीं ले सकती हैं। मेरी समझ में ये किसी ‘लव जिहाद’ या किसी समुदाय को निशाना बनाने का मामला नहीं, ये हिंदू महिलाओं की एजेंसी, स्वतंत्रता आदि के खिलाफ कानून है और उन्हें इसका सबसे ज्यादा विरोध करना चाहिए। हिंदुओं के एक वर्ग के साथ-साथ मुस्लिम उलेमा भी नहीं चाहते कि दूसरे धर्म में शादी हो।

सवाल : धर्मांतरण के मुद्दे पर तीन राज्यों द्वारा बनाए गए इस कानून के संवैधानिक एवं कानूनी पहलू क्या हैं?

जवाब : यह संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है। अगर कोई व्यक्ति विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करता है, यह उसकी पसंद है। कोई किसी अन्य कारण से धर्म परिवर्तन करता है, तब यह उसकी पसंद है। और कोई व्यक्ति फिर से अपने पहले धर्म में लौटना चाहता है, तब भी यह उसकी पसंद है। हिन्दू विवाह कानून सहित सभी धर्म के पर्सनल कानूनों में यह बात है कि अगर किसी भी तरह के धोखे से, या पहचान छिपाकर शादी की गई है तो वो शादी रद्द की जा सकती है। इस बारे में कानून है और भारतीय दंड संहिता में भी यह प्रावधान है।

सवाल : कानून में धर्म परिवर्तन के इरादे के बारे में सक्षम अधिकारी को 30-60 दिन पहले अग्रिम जानकारी देने की बात है, क्या इसका दुरुपयोग किया जा सकता है?

जवाब : धर्म परिवर्तन करना है तो नए बने कानून के तहत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जिलाधिकारी के पास दो महीने पहले आवेदन देना होगा, वे इसकी जांच करेंगे और फिर आपको इजाजत मिलेगी। यह एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं जहां धर्म आपका निजी मामला है। संविधान में निजी स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। पुटुस्वामी मामले में उच्चतम न्यायालय ने निजता के अधिकार में आप क्या खाते-पीते हैं, किस धर्म को मानते हैं, इसे आपके अधिकार के दायरे में रखा है। इसमें राज्य या समाज का हस्तक्षेप नहीं हो सकता।

सवाल : तीनों राज्यों में धर्मांतरण रोधी कानून में अलग-अलग सजा का प्रावधान है, जो एक से 10 साल के बीच है, इसपर क्या कहेंगे?

जवाब : नए कानून में धर्मांतरण को लेकर दंडात्मक प्रावधान अपने आप में स्पष्ट करते हैं कि ये मनमाने ढंग से संबंधित राज्यों की सुविधा से जुड़े हैं। ये दंडात्मक प्रावधान भारतीय दंड संहिता की भावना के प्रतिकूल हैं। ऐसे समय जब देश इतनी चुनौतियों से जूझ रहा है तब ऐसे विषयों को तूल देना ठीक नहीं है। कोई शादी के लिए धर्म परवर्तन करे या बिना किसी वजह से धर्म परिवर्तन करे, ये उसकी इच्छा है। इन्हें इसी रूप में लेना चाहिए। यह संविधान को दोबारा लिखने जैसा है। 

Faizan Mustafa
Secularism
love jihad
Constitution of India
Fundamental Rights
Religion Politics

Related Stories

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है

पीएम मोदी को नेहरू से इतनी दिक़्क़त क्यों है?

लता के अंतिम संस्कार में शाहरुख़, शिवकुमार की अंत्येष्टि में ज़ाकिर की तस्वीरें, कुछ लोगों को क्यों चुभती हैं?

राजद्रोह कानून से मुक्ति मिलने की कितनी संभावना ?

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

यह लोकतांत्रिक संस्थाओं के पतन का अमृतकाल है

यति नरसिंहानंद : सुप्रीम कोर्ट और संविधान को गाली देने वाला 'महंत'

भारतीय लोकतंत्र: संसदीय प्रणाली में गिरावट की कहानी, शुरुआत से अब में कितना अंतर?

लोकतंत्र के सवाल: जनता के कितने नज़दीक हैं हमारे सांसद और विधायक?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    त्रिपुरा: बिप्लब देब के इस्तीफे से बीजेपी को फ़ायदा या नुक़सान?
    16 May 2022
    बिप्लब देब के प्रदर्शन से केंद्रीय नेतृत्व नाख़ुश था लेकिन नए सीएम के तौर पर डॉ. माणिक साहा के नाम के ऐलान से बीजेपी के पुराने नेता नाराज़ बताए जाते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने का दावा, मुस्लिम पक्ष ने कहा- फव्वारे का पत्थर
    16 May 2022
    सर्वे टीम में शामिल हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन की ओर से दाखिल प्रार्थना-पत्र पर सीनियर सिविल जज ने वजुखाने की जगह को तत्काल सील करने का आदेश दिया है।
  • जेरेमी कोर्बिन
    केवल विरोध करना ही काफ़ी नहीं, हमें निर्माण भी करना होगा: कोर्बिन
    16 May 2022
    वैश्विक व्यवस्था संकट में नहीं है, जिसका कि कोई हल निकाला जा सकता है। दरअसल,यह सिस्टम ही संकट है और इसको दूर करना, उसको बदलना और उसे परिवर्तित करना होगा।
  • सोनाली कोल्हटकर
    जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं
    16 May 2022
    मौसम परिवर्तन एक जानलेवा ग़लत गणना का परिणाम है: वैश्विक कॉरपोरेट कंपनियों के मुनाफ़े के लिए ज़िन्दगियों को जोख़िम में डाला जा सकता है, यहां तक कि उन्हें गंवाया भी जा सकता है।
  • अजय सिंह
    मंगलेश को याद करते हुए
    16 May 2022
    मैं उसे किस रूप में याद करूं? ...मैं उसके उन इंसानी/वैचारिक पहलुओं के बारे में बात करना चाहूंगा, जो मुझे आज भी आकर्षित करते हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License