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लेबनान में सरकार विरोधी प्रदर्शन फिर से शुरू
विरोध प्रदर्शनों में दो प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक समूहों के बीच टकराव हुआ साथ ही साथ सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच भी टकराव की घटना सामने आई। इस घटना में 48 प्रदर्शनकारी घायल हो गए वहीं गंभीर रूप से घायल ग्यारह लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पीपल्स डिस्पैच
08 Jun 2020
लेबनान

रविवार 7 जून को राजधानी बेरूत में सरकार विरोधी उग्र प्रदर्शन हुआ। लेबनान में मार्च के मध्य में कोरोनावायरस को लेकर प्रतिबंधों में ढील देने के बाद से यह सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। इसे रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने बर्बर्तापूर्ण कार्रवाई जिससे बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी घायल हो गए।

कुछ प्रदर्शनकारियों ने सशस्त्र शिया राजनीतिक गुट हिजबुल्लाह के ख़िलाफ़ नारेबाजी करने के बाद संप्रदायवादी तनाव को जन्म दिया। लेबनानी सेना ने इस स्थिति को रोकने के लिए दोनों विरोधी पक्षों के बीच मोरचाबंदी की।

लेबनान रेड क्रॉस ने बताया कि रविवार के हुए विरोध प्रदर्शनों में 48 प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं, जिनमें से 11 को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे। इसकी प्रतिक्रिया में प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को ब्लॉक करते हुए इलाक़े में कचरे के डिब्बे को भी आग लगा दी।

बेरूत के कुछ हिस्सों में दो विरोधी राजनीतिक गुटों के बीच टकराव हुई। इसमें एक ईसाई-शिया पड़ोस में एक टिंडरबॉक्स जैसा क्षेत्र शामिल है जो 1975-1990 के लेबनानी गृह युद्ध की शुरुआत से जुड़ा हुआ है। इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती हुई जिसमें दो विरोधी समूहों को अलग करने के लिए सेना द्वारा मानव श्रृंखला बनाई गई।

हिजबुल्लाह के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि इस समूह को निःशस्त्र कर दिया जाए और इसका असैनिकीकरण कर दिया जाए। हिजबुल्लाह एकमात्र राजनीतिक गुट है जिसे गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद उसे हथियार रखने की अनुमति दी गई है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार हथियार केवल लेबनानी सेना के हाथों में होने चाहिए। हिज़्बुल्लाह समर्थकों ने जवाब में "शिया, शिया" का नारा लगाया, साथ ही दोनों तरफ से एक दूसरे को नीचा दिखाने वाले नारे लगाए गए।

लेबनान गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से लेबनान अब तक के सबसे ख़राब आर्थिक संकट में फंस गया है। देश में बेरोज़गारी और ग़रीबी चरम पर है और वर्तमान में बेरोज़गारी दर 35% है और ग़रीबी का आंकड़ा 45% है। लेबनान बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ऋण से भी परेशान है। इसका सार्वजनिक ऋण वर्तमान में इसके सकल घरेलू उत्पाद का 170 प्रतिशत के क़रीब है।

देश की मुद्रा लेबनानी पाउंड ने भी अपने मूल्य का एक बड़ा प्रतिशत खो दिया है, आधिकारिक सरकारी दर फिलहाल 1 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1507 पाउंड है, जबकि काले बाज़ार में 4000 पाउंड के क़रीब है। लेबनानी सरकार अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कई बिलियन डॉलर सहायता पैकेज की पूरी कोशिश कर रही है। हालांकि ये भारी बजट कटौती जैसे कठोर उपायों की शर्तों पर है।

Lebanon
Lebanon Protest
Anti-government protesters
Coronavirus

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