NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या सिर्फ़ विपक्षियों के लिए हैं कोरोना गाइडलाइन? बीजेपी के जुलूस चुनाव आयोग की नज़रो से दूर क्यों?
कोरोना गाइडलाइंस की परवाह न करते हुए हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी तरह से प्रचार में जुटा है, ऐसे में विपक्षी पार्टियों पर कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं लेकिन बीजेपी के चुनावी जुलूसों पर अब भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।
रवि शंकर दुबे
18 Jan 2022
election rally

साल 2014 के बाद से चुनावी प्रक्रिया पर राजनीतिक पार्टियां किस तरह से हावी हुई हैं, ये किसी से छुपा नहीं हैं, हिंदुस्तान की जनता जिस निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर विश्वास कर राजनीतिक पार्टियों को वोट किया करती थी, अब उसी निर्वाचन आयोग के चारों ओर आरोपों का एक घेरा सा तैयार होने लगा है, कभी मतदान में हेरफेर का आरोप, कभी एकतरफा कैंपेनिंग के लिए परमिशन देने का आरोप, तो कभी पार्टियों में भेदभाव करने का आरोप।

स्वतंत्र संस्थाओं पर हावी बीजेपी

निर्वाचन आयोग पर इन आरोपों की लकीर खींचने वालों में भारतीय जनता पार्टी ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। केंद्र में होने के कारण इस संगठन ने सभी स्वतंत्र कंपनियों (फिर चाहे वो ईडी हो, सीबीआई हो, या फिर निर्वाचन आयोग) पर संविधान के विपरीत जाकर जिस तरह से दबाव बनाने की कोशिश की है वो किसी से छुपा नहीं है। साथ ही मतदाताओं के मत का घोर अपमान भी है, और अब भारतीय जनता पार्टी का यही रूप एक बार फिर पांचों चुनावी राज्यों में देखने को मिल रहा है।

भूपेश बघेल के ख़िलाफ़ मामला दर्ज

चुनावी तारीखों की घोषणा के साथ निर्वाचन आयोग ने कोरोना की गाइड लाइन भी जारी की थी, लेकिन अब इसे भी दो अलग आंखों से देखे जाने का आरोप लग रहा है। नोएडा से कांग्रेस प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक के लिए यूपी प्रभारी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डोर-टू-डोर प्रचार के लिए पहुंचे थे, जिनके खिलाफ आदर्श आचार संहिता और कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। इसके अलावा पांच अन्य लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया गया है।

हालांकि मामला दर्ज होने के बाद भूपेश बघेल ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए और बोले कि इन्हें सिर्फ कांग्रेस की कैंपेनिंग नज़र आती है जबकि पंखुड़ी पाठक का कहना है कि बीजेपी, कांग्रेस के बढ़ते जनाधार से डरने लगी है।

सपा के 2500 कार्यकर्ताओं पर मामला

वहीं इससे पहले लखनऊ में समाजवादी पार्टी के 2500 अज्ञात कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था जब वो स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने के कार्यक्रम में पहुंचे थे।

कोरोना गाइडलाइन के नियमों का उल्लंघन करने पर मामला दर्ज करना जायज है, लेकिन सवाल है कि विपक्षियों पर ही क्यों?

चुनाव आयोग की नज़रों से दूर क्यों बीजेपी का जुलूस

हालही में अमरोहा के हसनपुर से बीजेपी के लिए प्रत्याशी बनाए गए महेंद्र सिंह खड़गवंशी ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जुलूस निकाला था, जिसमें लोग बगैर मास्क लगाए दिखाई दिए, यहां तक खुद प्रत्याशी महेंद्र सिंह खड़गवंशी भी कोरोना नियमों का उल्लंघन करते नज़र आए, इसके बावजूद अभी तक उन पर या बीजेपी कार्यकर्ताओं पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि चुनाव आयोग की तरफ से 22 जनवरी तक पार्टियों के जुलूस या फिर रैलियों को सिर्फ वर्चुअली आयोजित किए जाने की परमिशन है।

इस घटना के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कार्रवाई की मांग भी की थी। 'सपा के कार्यक्रम-कार्यालय पर पूरी पाबंदी और गाड़ियों के चालान भी लेकिन कुछ दिनों के बाकी बचे मुख्यमंत्री और अमरोहा के बीजेपी प्रत्याशी आचार संहिता और कोरोना गाइडलाइन्स का मजाक उड़ा रहे हैं. निर्वाचन-न्याय को सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का परम धर्म है...कोई है?'

सपा के कार्यक्रम-कार्यालय पर पूरी पाबंदी और गाड़ियों के चालान भी लेकिन ‘कुछ दिनों के बाकी बचे मुख्यमंत्री’ व अमरोहा के भाजपा प्रत्याशी आचार संहिता और कोरोना गाइडलाइन्स का सरेआम मज़ाक़ उड़ा रहे हैं।

‘निर्वाचन-न्याय’ को सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का परम-धर्म है!

कोई है ????????? https://t.co/kSGWek6pGa

— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 17, 2022

स्वतंत्र देव सिंह का डोर-टू-डोर कैंपेन

वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी का डोर-टू-डोर कैंपेन भी लंबे वक्त से जारी है, जिसमें खुद उत्तर प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह शामिल हो रहे हैं, वह हर घर जाकर लोगों के बेहद करीब जाकर उनको तिलक लगा रहे हैं। इस दौरान उनके साथ काफी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता भी शामिल रहते हैं, इसके बावजूद चुनाव आयोग की तरफ से इसकी अनदेखी की जा रही है।

 मुज़फ़्फ़रनगर में बीजेपी विधायक पर मुकदमा

मुज़फ़्फ़रनगर की पुरकाजी विधानसभा सीट पर भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर कोरोना गाइडलाइन का मखौल उड़ाया, यहां सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया गया जिसमें विधायक प्रमोद उतवल अपने समर्थकों के साथ खिचड़ी बांटते नजर आए, इस दौरान खिचड़ी खाने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा थे, हालांकि वीडियो के आधार पर विधायक प्रमोद और उनके 27 समर्थकों पर चुनाव आचार संहिता और कोविड संबंधित नियमों के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया।

चुनावी कैंपेन के लिए चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन

* राजनीतिक दल अधिकतम 300 लोगों के साथ इनडोर मीटिंग कर सकते हैं या हाल की 50 प्रतिशत कैपिसिटी के हिसाब से मीटिंग की जा सकती है।

* 22 जनवरी तक राजीनितक दलों की फिजिकल रैली, रोड शो, पदयात्रा, साइकिल और बाइक रैली पूरी तरह से बैन

इन चुनावी नियमों का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई के नियम भी बनाए हैं, लेकिन वो नियम फिलहाल अमरोहा में निकाले जा रहे जुलूस या फिर कार्यकर्ताओं की भीड़ के साथ डोर-टू-डोर कैंपेन पर लागू नहीं हो पा रहे हैं जबकि विपक्षियों की एक-एक हरकत पर पैनी नज़र रखी जा रही है।

चुनाव आयोग और पीएमओ की बैठक

ये कहना तो गलत नहीं होगा कि चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी हर संभव कोशिश कर रही है, फिर चाहे वो संवैधानिक हो या नहीं। इसी कड़ी में चुनावी तारीखों से पहले पीएमओ ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्तों- राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे के साथ अनौपचारिक बैठक की थी। जिसको लेकर भी काफी विवाद हुआ था।

बीजेपी से कांग्रेस के सवाल

पीएमओ के साथ चुनाव आयोग की अनौपचारिक बैठक पर कांग्रेस ने कहा कि- स्वतंत्र भारत में कभी नहीं सुना गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त को तलब किया गया हो। निर्वाचन आयोग के साथ अपने मातहत के तौर पर व्यवहार करने से साफ है कि मोदी सरकार हर संस्था को नष्ट करने के मामले में काफी नीचे गिर चुकी है।

चुनावी तारीखों की घोषणा से पहले भी हमने देखा कि नेताओं की रैलियों में किस कदर लोगों का हुजूम इकट्ठा किया जा रहा था, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर की बात किसी के चेहरे पर मास्क तक नहीं दिखाई दे रहा था। उस दौरान प्रधानमंत्री रोज़ अपने बयानों में तो कह रहे थे कि करोना गया नहीं है, सतर्कता बरतें, मास्क लगाएं, दो गज़ की दूरी रखें, लेकिन खुद उनकी रैलियों में इसका पालन  होता नहीं दिखा। यहां तक कि वह खुद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक मास्क लगाए नहीं दिखाई दिए

Coronavirus
COVID-19
Corona guidelines
Election rally
BJP
opposition parties

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License