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भारत
राजनीति
असम: आख़िरकार डेढ़ साल जेल में रहने के बाद रिहा हुए अखिल गोगोई
रिहा होने के बाद राइजोर दल के प्रमुख ने कहा,‘‘ आखिरकार सत्य की जीत हुई, हालांकि मुझे सलाखों के पीछे रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।’’ उन्होंने कहा कि घर में सामान रखने के बाद वह ‘‘सीएए के पहले शहीद’’ सैम स्टैफोर्ड के गुवाहाटी के हाथीगांव स्थित घर जाएंगे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Jul 2021
असम:आख़िरकार डेढ़ साल जेल में रहने के बाद रिहा हुए अखिल गोगोई

असम में दिसंबर 2019 में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में विधायक अखिल गोगोई की कथित संलिप्तता के मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा उन्हें सभी आरोपों से बरी किए जाने के बाद गोगाई बृहस्पतिवार को रिहा हो गए। विधायक इस मामले में डेढ़ वर्ष से ज्यादा समय से कैद में थे।

गोगोई शिवसागर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं और एनआईए द्वारा उनकी रिहाई के आदेश गुवाहाटी केन्द्रीय कारागार भेजे जाने के उपरांत उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से रिहा कर दिया गया। गोगोई का अनेक बीमारियों का यहां उपचार चल रहा था।

रिहा होने के बाद राइजोर दल के प्रमुख ने कहा,‘‘ आखिरकार सत्य की जीत हुई, हालांकि मुझे सलाखों के पीछे रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।’’ उन्होंने कहा कि घर में सामान रखने के बाद वह ‘‘सीएए के पहले शहीद’’ सैम स्टैफोर्ड के गुवाहाटी के हाथीगांव स्थित घर जाएंगे।

गोगोई ने कहा,‘‘ वहां से मैं कृषक मुक्ति संग्राम समिति और रायजोर दल के कार्यालय जाऊंगा। कल सुबह मैं अपने विधानसभा क्षेत्र शिवसागर के लिए निकलूंगा और मुझे चुनने के लिए लोगों का आभार व्यक्त करूंगा।’’

गौरतलब है कि गोगोई और उनके सहयोगियों पर दिसंबर 2019 में राज्य में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में उनकी कथित भूमिका को लेकर गैर कानूनी गतिविधि रोकधाम कानून के तहत दो मामले दर्ज दिए गए थे।

एनआईए ने सभी को दोनों मामलों में बरी कर दिया है।

कौन है अखिल गोगोई

अखिल गोगोई असम में जेल से विधानसभा का चुनाव जीतने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं। उन्होंने सिबसागर सीट से भाजपा की अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुरभि राजकोनवारी को 11,875 मतों से शिकस्त दिया था। गोगोई की यह  जीत ऐतिहासिक थी , क्योंकि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के बाद एक मात्र राजनीतिक कैदी हैं जिन्होंने ऐसा कर के दिखाया है। फर्नांडिस ने 1977 का लोकसभा चुनाव बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से लड़ा था और तीन लाख से अधिक वोटों से जीते थे।

गोगोई एक धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील जन नेता हैं उन्होने असम में कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) – नामक एक किसान संगठन की स्थापना की हैं। केएमएसएस भूमिहीन किसानों, ग्रामीण और शहरी गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला अग्रिम संगठन है। इसने भूमि और वन अधिकारों को हासिल कर  वन गांवों से बाढ़ पीड़ितों और आदिवासी लोगों के पुनर्वास की मांग के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए हैं। गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से स्नातक करने वाले 46 वर्षीय अखिल गोगोई के लिए चुनावी राजनीति नई नहीं है। वह 1995-96 में कॉटन कॉलेज छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं।

यह पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम करता है जिसमें पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ लड़ाई शामिल है जो हजारों लोगों के जीवन को खतरे में डालते हैं और वनस्पतियों और जीवों का विनाश करते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अथक सेनानी के रूप में, गोगोई ने मंत्रियों से जुड़े कई बड़े घोटाले उजागर किए हैं। 2013 में, गोगोई ने खुदरा में एफडीआई के विकल्प के तौर पर किसान सहकारी और खुदरा दुकानों की स्थापना की, जो किसान को सीधे तौर पर शहरी बाजारों से जोड़ते हैं।

जनता के बीच गोगोई की लोकप्रियता राज्य द्वारा किए जा रहे अन्याय का विरोध करने और लोगों को जुटाने की उनकी क्षमता में परिलक्षित होती है; जो शांतिपूर्ण और निडरता का सबब है। लेखक के अनुसार, अखिल गोगोई की राज्य में अवैध हिरासत 2017 में एनएसए के तहत शुरू हुई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने अवैध ठहराया था। उन्होंने सीएए-विरोधी आंदोलन का भी नेतृत्व किया क्योंकि उनका मानना है कि यह संविधान का उल्लंघन है और इसलिए भी क्योंकि इससे असम के छोटे देशज समुदायों की पहचान को खतरा पैदा हो जाएगा। सीएए के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन के बाद, राज्य ने विरोधियों के खिलाफ एफआईआर की झड़ी लगा दी और इस प्रक्रिया के माध्यम से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निरंतर और अवैध हिरासत में ले लिया है। लेखक अन्याय के खिलाफ और कार्यकर्ताओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का तर्क पेश करती है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

Anti-CAA Protests
Citizenship Amendment Act
Akhil gogoi
Free Akhil Gogoi
National Investigating Agency
Assam
UAPA

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