NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
अयोध्या विवाद: सांप्रदायिक या राजनीतिक नहीं संवैधानिक मुद्दे पर पुनर्विचार याचिका
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद इसके पक्ष और विपक्ष में बहस जारी है। मुस्लिमों में एक पक्ष जहां इस मुद्दे को यहीं ख़त्म करना चाहता है, वहीं दूसरा पक्ष इसे फिर चुनौती देना चाहता है। इस पक्ष का कहना है कि अयोध्या मुद्दे के साथ देश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों का प्रश्न जुड़ा हुआ है। जब सबरीमाला पर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार किया जा सकता है तो अयोध्या जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भी पुनर्विचार होना चाहिए।
असद रिज़वी
29 Nov 2019
ayodhya
फाइल फोटो

मुस्लिमों के एक बड़े पक्ष ने साफ़ किया है की बाबरी मस्जिद का मुद्दा उसके  संवैधानिक अधिकार से जुड़ा हुआ है। इसलिए संविधान के दायरे में रहते वह अपने अधिकार की लड़ाई को और आगे ले जायेगा। कई मुस्लिम बुद्धजीवियों द्वारा बाबरी मस्जिद के मुद्दे को अब ख़त्म कर देने की राय पर, पुनर्विचार याचिका दायर करने के पक्षकारों ने कहा है कि हम किसी सांप्रदायिक या राजनीतिक मुद्दे पर नहीं बल्कि एक संवैधानिक प्रश्न पर पुनः अदालत का दरवाज़े पर दस्तक दे रहे हैं।

इधर मीडिया में कुछ दिनों से इस बात पर चर्चा है कि अयोध्या विवाद की पुनर्विचार याचिका को लेकर मुस्लिम समुदाय में दो पक्ष हो गए हैं। मुस्लिम बुद्धिजीवियों का एक पत्र भी मीडिया में आया जिसमें उन्होंने अब विवाद पर विराम लगाने  की बात कही गई है। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने भी दोबारा अदालत जाने से इंकार कर दिया। लेकिन एक बड़े मुस्लिम समुदाय का आरोप है की हमारी आवाज़ को मीडिया में दिखाया ही नहीं गया। मीडिया ने ऐसी खबरें छपी या दिखाई गईं जिसमें मुस्लिम पक्ष की अस्वीकृति और असंतोष को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हुई हिन्दू-मुस्लिम पक्ष के नेताओ की मीटिंग में भी मुस्लिम समुदाय ने फ़ैसले पर अपना असंतोष व्यक्त किया था। हालांकि यह मीटिंग फैसले के बाद देश में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए थी लेकिन अपनी भाषणों में सौहार्द के साथ मुस्लिम नेताओ ने अपना दर्द भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के सामने रख दिया था।
 
मीटिंग में जमात-ए-इस्लामी का प्रतिनिधित्व करने गए इंजीनियर मोहम्मद सलीम के अनुसार उन्होंने और कई और मुस्लिम नेताओ ने वहाँ कहा कि वह आपसी सौहार्द के पक्षधर हैं लेकिन अदालत के फैसले ने उनको निराश किया हैं। इंजीनियर मोहम्मद सलीम कहते हैं कि अयोध्या मुद्दे के साथ देश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों का प्रश्न जुड़ा हुआ है। जब सबरीमाला पर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार किया जा सकता है तो अयोध्या जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भी पुनर्विचार होना चाहिए।

इस प्रश्न पर कि पुनर्विचार याचिका से सांप्रदायिक ताक़तों को बल मिलेगा उन्होंने कहा की यह मुद्दा संवैधानिक अधिकार की क़ानूनी लड़ाई का है जिसको दक्षिण पंथियों ने राजनितिक मुद्दा बना दिया है। इंजीनियर मोहम्मद सलीम के अनुसार  पुनर्विचार याचिका करने पर भी अब अयोध्या विवाद पर और राजनीति नहीं हो सकेगी। क्योंकि अदालत ने यह साफ़ कर दिया है कि मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर तोड़ कर नहीं किया गया था। इसके अलावा अदालत ने यह भी माना है कि 22 दिसंबर, 1949 की रात मस्जिद में मूर्तिया रखना और 6 दिसंबर1992 को मस्जिद तोड़ना दोनों ग़लत काम थे।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लखनऊ में 17 नवंबर, 2019 की मीटिंग से पहले 16-17 नवंबर, 2019 को दिल्ली में जमीयत उलेमा  ए हिन्द की मीटिंग हुई थी। जिसमें जमीयत उलेमा ए हिन्द ने वकीलों और देश भर में फैली अपनी इकाईयों के पदाधिकारियो से विचार करने के बाद पुनर्विचार याचिका करने का फैसला किया था।

जिसके बाद लखनऊ में 17 नवम्बर को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी साफ़ कर दिया कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पुनर्विचार याचिका के ज़रिये चुनौती दी जायेगी। बोर्ड ने लखनऊ के मुमताज़ कॉलेज में हुई मीटिंग के बाद यह भी साफ़ कर दिया कि कोर्ट द्वारा दी गई 5 एकड़ भूमि को स्वीकार नहीं किया जायेगा। कई मुद्दों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से मतभेद रखने वाले शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी उसके इस क़दम का स्वागत किया और अयोध्या विवाद पर पूरा समर्थन देने का वादा किया। हालांकि शिया वक़्फ़ बोर्ड शुरू से ही इस मामले में चुनौती देने के ख़िलाफ़ है।
 
उधर, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ़ बोर्ड जो अयोध्या विवाद में मुद्दई भी था उसने भी अपनी 26 नवम्बर, 2019 को लखनऊ में हुई मीटिंग में अयोध्या विवाद पुनर्विचार याचिका नहीं दाखिल करने का फैसला लिया। हालाँकि बोर्ड के एक सदस्य खान अब्दुल रज़्ज़ाक़ ने कहा कि वह  सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के फैसले से सहमत नहीं हैं।  

खान अब्दुल रज़्ज़ाक़ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में अनुच्छेद 142 उपयोग किया है, जो इस मुक़दमे में नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा की जब पुनर्विचार याचिका में जाने कि सहमति बन चुकी है तो मुसलमानों में आपसी दरार दिखाने के लिए फ़िल्मी दुनिया के लोगो को सामने लाया जा रहा है, जिन्होंने न कभी अल्पसंख्यक समुदाय के बीच रह कर काम किया है और नहीं कभी मुक़दमे में पार्टी रहे हैं।

इस मुद्दे पर अपनी प्रतिकिया देते हुए बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा की बाबरी मस्जिद का मुद्दा अल्पसंख्यक समाज संवैधानिक अधिकार से जुड़ा हुआ है। अयोध्या विवाद मुक़दमे से बतौर वकील जुड़े रहने वाले ज़फ़रयाब जिलानी कहते हैं कि अगर हम बाबरी मस्जिद के लिए पुनर्विचार याचिका नहीं करेंगे तो भविष्य में हमारी कोई इबादतगाह सुरक्षित नहीं रहेगी।

ज़फ़रयाब जिलानी कहते हैं कि 1986 से 2019 तक मुक़दमा उन्होंने लड़ा है और अब कलाकार और साहित्यकार कह रहे हैं कि हम अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग नहीं करें। जिनकी बाबरी मस्जिद बचाने में कोई भूमिका नहीं है। यह पूछे जाने पर कि मुस्लिम बुद्धजीवी मानते हैं कि इससे हिंदुत्व की राजनीति को बल मिलेगा और मुस्लिम समुदाय की स्थिति भारत में और ख़राब होगी, ज़फ़रयाब जिलानी ने उत्तर दिया कि अयोध्या सांप्रदायिक विषय नहीं है बल्कि एक संवैधानिक अधिकार की लड़ाई है जिसको क़ानून के दायरे में आगे ले जाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस पर और राजनीति नहीं हो सकेगी। क्योकि देश की अदालत ने बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अल्पसंख्यक पर लगाए सभी आरोपों को ग़लत माना है।

ज़फ़रयाब जिलानी के अनुसार सिर्फ मुस्लिम समाज ही नहीं सभी लोग विशेषकर क़ानून के जानकर जैसे जस्टिस ए के गांगुली, जस्टिस मार्कंडेय काटजू और फैज़ान मुस्तफा ने भी अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को त्रुटिपूर्ण बताया है। ऐसे में दोबारा अदालत नहीं जाना  बहुसंख्यवाद के आगे समर्पण करने जैसा होगा।

उधर शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा की पुनर्विचार याचिका करने का अर्थ धार्मिक कट्टरता या सांप्रदायिकता बिलकुल नहीं है बल्कि संवैधानिक अधिकार का सही समय पर सही प्रयोग है। मौलाना यासूब अब्बास ने कहा की जो पुनर्विचार याचिका का विरोध कर रहे हैं वह स्वयं भी फैसले को त्रुटिपूर्ण बताया मानते हैं। फ़िल्म लेखक अंजुम राजबली, पत्रकार जावेद आनंद के बयान पर उन्होंने कहा की अयोध्या मसले में जाने से कोई हिन्दू -मुस्लिम विवाद नहीं होगा और यह मुद्दा मस्जिद की एक ज़मीन के साथ विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में रहने वाले 15 -16 करोड़ अल्पसंख्यक मुसलमानो के अधिकार का भी है।
 
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि अगर हम पुनर्विचार याचिका नहीं करेंगे तो यह कैसे मालूम होगा कि सुप्रीम कोर्ट के 9 नवम्बर, 2019 फैसले में क्या त्रुटि रह गई है। बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य क़ासिम रसूल इलियास कहते हैं कि 6 दिसंबर की घटना को ग़लत मान के भी हमको हमारी ही ज़मीन से बेदखल कर दिया गया है। उन्होंने कहा केवल 5 एकड ज़मीन कहीं पर देने से इंसाफ़ नहीं होता है। क़ासिम रसूल इलियास का कहना है अब इस मुद्दे को ताक़तवर के मुक़ाबले कमज़ोर के अधिकार की लड़ाई की तरह देखना चाहिए।
 
उधर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड  के पुनर्विचार याचिका दायर न करने के फ़ैसले को भी संदेह की नज़र से देखा जा रहा है। अयोध्या आंदोलन से सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक पर नज़र रखने वाले पत्रकार हुसैन अफसर कहते हैं कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा की बोर्ड के अध्यक्ष ज़ुफ़र फ़ारूक़ी बोर्ड की मीटिंग से पहले ही कह रहे थे कि पुनर्विचार याचिका नहीं की जायेगी। अब यह मालूम करना चाहिए कि उन्होंने ऐसा किसी डर में किया है या किसी लोभ में आकर पीछे हट गए। हुसैन अफसर ने प्रश्न किया है कि जो लोग पुनर्विचार याचिका का विरोध कर रहे हैं, क्या  किसी ने उनको इस बात का विश्वास दिलाया है,कि अयोध्या में जो 22 दिसंबर, 1949 की रात और 6 दिसंब, 1992 के दिन में हुआ वह भविष्य में कभी-कहीं भी दोबारा नहीं होगा?

Ayodhya Dispute
Ayodhya Case
Review petition
Communalism
Constitution of India
Supreme Court
Muslims
All India Muslim Personal Law Board
Sunni Waqf Board

Related Stories

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License