NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
उत्पीड़न
समाज
भारत
राजनीति
लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन
छात्रों ने मांग की है कि प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन पर लिखी गई एफ़आईआर को रद्द किया जाये और आरोपी छात्र संगठन एबीवीपी पर क़ानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये।
असद रिज़वी
18 May 2022
Aisa
प्रदर्शन करते हुए छात्र

लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में दलित प्रोफ़ेसर पर हुए हमले के ख़िलाफ़ छात्र संगठनों और अध्यापकों का एक वर्ग लामबंद हो रहा है। इन छात्रों का आरोप हैं कि ज़िला और विवि प्रशासन दिनों दक्षिणपंथी छात्र संगठन के विरुद्ध करवाई करने से बच रहे हैं।

प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन पर हुए कथित हमले के आठ दिन बाद भी आरोपी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर कोई क़ानूनी या अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई है। इस से नाराज़ विभिन छात्र संगठनों ने मंगलवार को पुलिस-प्रशासन के दबाव के बावजूद, विवि के गेट नंबर 2 पर विरोध प्रदर्शन किया।

हालाँकि यह प्रदर्शन विवि के मुख्य द्वार पर होना था। लेकिन प्रशासन ने छात्रों पर दबाव बनाकर उनका स्थान-परिवर्तन करवा दिया। छात्रों ने माँग की कि प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन पर लिखी गई एफ़आईआर को रद्द किया जाये और आरोपी छात्र संगठन एबीवीपी पर क़ानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये।

प्रो. रविकांत पर हुए हमले के खिलाफ एकत्र हुए छात्र संगठनों और नागरिक समाज ने कहा कि विवि परिसर में एबीवीपी द्वारा की गई हिंसा, अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र पर हमला है।

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के प्रदेश अध्यक्ष आयुष श्रीवास्तव ने 10 मई को विवि के प्रो. रविकांत चंदन पर, एबीवीपी द्वारा किये गये कथित हमले को दुर्भागपूर्ण बताया। उन्होंने कहा रविकांत चंदन एक अध्यापक के साथ मुखर सामाजिक चिंतक व विचारक भी हैं। जो बहुजन समाज से आते हैं। 

आइसा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रो. रविकांत चंदन को विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर संघ से संबद्ध संगठन एबीवीपी द्वारा हमले का शिकार बनाया गया। हमले के दौरान "देश के गद्दारों को गोली मारो सा… को" जैसे आप्पतिजनक नारे भी लगे। 

अध्यक्ष आयुष ने सवाल की विवि परिसर में जो कुछ हुआ उसकेवीडियो भी मौजूद हैं।लेकिन विवि के उप-कुलपति का इस घटना को लेकर निंदा का एक बयान तक नहीं आया है।

इसे भी पढ़ें: लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

रिटायर्ड प्रोफ़ेसर रमेश दीक्षित ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि प्रो. रविकांत चंदन पर हुई एफआईआर तुरंत वापस ली जानी चाहिए और हमला करने वाला लोगों पर जब तक सख्त कार्रवाई नहीं होती हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि एक अध्यापक केवल वेतन लेने के लिए विश्वविद्यालय नहीं आता है। वह छात्रों और समाज को विचार देता है। उन्होंने कहा कि प्रो. रविकांत चंदन ने निजी पोर्टल पर बहस के दौरान जो कुछ कहा वह  “सीता रमैया की किताब ‘फेदर्स एंड स्टोन्स” के हवाले से था। प्रो. रमेश दीक्षित ने प्रश्न किया कि, अगर वह ग़लत है तो इस पुस्तक पर अभी तक प्रतिबंध क्यूँ नहीं लगा है?

आइसा के राज्य उपाध्यक्ष निखिल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, " विश्वविद्यालयों में एबीवीपी द्वारा हो रहे लगातार हमलों का जवाब छात्र एकताबद्ध होकर लोकतांत्रिक ढंग से दे रहे हैं। निखिल ने आरोप लगाया कि प्रो. रविकांत चंदन पर हुआ हमला विवि प्रशासन में बैठे हुए लोगों की संघी मानसिकता को दर्शाता है। विवि प्रशासन पुलिस का सहयोग होने के बाबजूद इस तरह के गतिविधि को रोक नहीं पा रहा है।”

एनएसयूआई के लखनऊ विश्वविद्यालय के सयोंजक विशाल ने कहा, "एबीवीपी हिंसा कर के विवि माहौल खराब कर रही है। संघी विचारधारा के छात्रों ने, न सिर्फ़ एक दलित प्रोफेसर के सम्मान को बल्कि, विवि की गरिमा को भी तार-तार किया है। 

विशाल ने आरोप लगाया कि धमकी भरे नारों के साथ प्रो. रविकांत चंदन को मारने की धमकी दी गयी। जो एक उदाहरण है कि आरएसएस और उससे जुड़ा छात्र संगठन एबीवीपी देश में कैसी संस्कृति को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा यह दक्षिणपंथी संगठन, अभिव्यक्ति की आज़ादी व नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलकर देश में नफरत का माहौल कायम करना चाहता है।

प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए स्टूडेंट फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (SFI) के ज़िला सयुंक्त सचिव अभिषेक कुमार ने बताया की  प्रो. रविकांत चंदन की तरह बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में 15 मई की शाम को उनके ऊपर भी एबीवीपी के छात्रों द्वारा हमला किया गया। इस हमले में उनका हाथ भी टूट गया है। उन्होंने ने कहा संघ कि नफ़रत वाली सोच के ख़िलाफ़ लड़ाई को सभी छात्रों को एकजुट होकर लड़ना होगा।

अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन के शुभम ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि “प्रो. रविकांत चंदन पर हुए हमले जैसी घटनाएं वर्तमान में आम होती जा रही है” “इस नाज़ुक समय में आंबेडकरवादी और वामपंथी ताकतों को एक साथ मिलकर बड़ा जनसंघर्ष शुरू करने की जरूरत है।"

एनएसयूआई के प्रिंस प्रकाश ने कहा विवि में एबीवीपी लगातार अराजकता का महौल बनाने की कोशिश कर रही है। जैसा दिल्ली यूनिवर्सिटी, जमिया यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी आदि में उसने किया है। अब प्रोफेसर भी विवि परिसर में सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अफ़सोस की बात है कि 100 साल पुराने लखनऊ विवि में आज एक प्रोफ़ेसर को धमकियाँ मिल रही हैं और आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

प्रिंस प्रकाश ने आरोप लगाया कि पुलिस के  सामने विवि में प्रो. रविकांत चंदन को धमकियाँ दी गईं। उन्होंने सवाल किया कि विवि में धारा 144 लागू होने के बाद भी एबीवीपी के छात्रों के साथ बाहरी तत्व विवि परिसर कैसे दाखिल हुए? उनके लिए विवि का गेट कैसे खुले, इसकी जवाबदेही कौन तय करेगा? 

उन्होंने यह मुद्दा भी उठाया कि प्रॉक्टर और वीसी हिंसा के दोषियों पर कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे? प्रिंस प्रकाश ने कहा कि प्रदेश के अनेक जिलों से छात्र-छात्राएं विवि आते हैं। लेकिन जब यहां एक प्रोफ़ेसर सुरक्षित नही हैं, तो अन्य जगहों से आये छात्र, क्या अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगे? 

प्रदर्शन करने आए छात्र संगठनों ने कहा कि एबीवीपी के इस आक्रामक प्रदर्शन को वह, असहिष्णुता, बहुसंख्यक सांप्रदायिकता और हिंसा के एक उदाहरण के रूप में देखते हैं। ऐसी हिंसा पूरे देश में, खासकर भाजपा शासित राज्यों में आदर्श बनती जा रही है। 

समाजवादी छात्र सभा की राष्ट्रीय सचिव काँची सिंह यादव ने भी छात्रों को सम्बोधित किया और कहा कि प्रो. रविकांत के ख़िलाफ़ लिखी गई एफ़आईआर को तुरंत रद्द किया जाये और उनपर हमला करने वालों को वीडियो से पहचान कर जेल भेजा जाये। 

उन्होंने कहा कि यदि हम भारतवासी सभ्य राष्ट्रों के समूह में गिना जाना चाहते हैं, तो ज़रूरत है कि आज साथ खड़े होकर इस असहिष्णुता और बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता की राजनीति का मजबूती से विरोध किया जाए। इसके समाज के लोकतांत्रिक अधिकारों व अभिव्यक्ति की आज़ादी की सुरक्षा की जाए।

इस प्रदर्शन में छात्र संगठन आइसा, AISF, AUDSU, NSUI, छात्र सभा, बामसेफ और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा, आदि लोग शामिल रहे।

प्रदर्शन में विवि का कोई अध्यापक शामिल नहीं  हुआ। लेकिन लखनऊ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (लूटा) ने प्रो. रविकांत चंदन का समर्थन किया है।

लूटा के अध्यक्ष डॉ. विनीत कुमार वर्मा ने कहा है कि विवि प्रशासन द्वारा प्रो. रविकांत को भेजे गये “स्पष्टीकरण नोटिस” को, टीचर्स एसोसिएशन, एक पक्षीय कार्यवाही व अनुचित करवाई मानती है। उन्होंने कहा कि लूटा मांग करती है कि डॉ. रविकांत के पत्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द से जल्द आवश्यक कार्यवाही करे।

डॉ. विनीत कुमार वर्मा ने कहा है कि पुलिस प्रशासन द्वारा प्रो. रविकांत के पत्र पर आठ दिन बाद भी कार्रवाई न करना खेद का विषय है। यह एकपक्षीय कार्रवाई न्यायसंगत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि प्रो. रविकांत चंदन  के विरुद्ध घटना के दिन ही एबीवीपी की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज हो गई थी। जब कि अभी तक प्रो. रविकांत चंदन की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

ये भी पढ़ें: लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

Ravikant Chandan
Dalit atrocities
Dalit Professor
Caste Atrocities
Hindu extremists
AISA
Lucknow University

Related Stories

न्याय के लिए दलित महिलाओं ने खटखटाया राजधानी का दरवाज़ा

उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप

डीयू : दलित शिक्षक का आरोप विभागाध्यक्ष ने मारा थप्पड़, विभागाध्यक्ष का आरोप से इनकार

बिहार: मुखिया के सामने कुर्सी पर बैठने की सज़ा, पूरे दलित परिवार पर हमला

यूपी: बेहतर कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर उठते सवाल!, दलित-नाबालिग बहनों का शव तालाब में मिला

सिर्फ बलरामपुर ही नहीं, हाथरस के बाद कई और दुष्कर्म, NHRC ने योगी सरकार को भेजा नोटिस

हाथरस की दलित बेटी को क्या न्याय मिल सकेगा?

हाथरस की ‘निर्भया’ के इंसाफ़ के लिए जगह-जगह प्रदर्शन, फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा मुकदमा


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License