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राजनीति
BHU : बनारस का शिवकुमार अब नहीं लौट पाएगा, लंका पुलिस ने कबूला कि वह तलाब में डूबकर मर गया
आरोप है कि उनके बेटे की मौत तालाब में डूबने से नहीं, बल्कि थाने में बेरहमी से की गई मारपीट और शोषण से हुई थी। हत्या के बाद लंका थाना पुलिस शव ठिकाने लगा दिया। कहानी गढ़ दी कि वह थाने से भाग गया और तालाब में डूबकर आत्महत्या कर ली।
विजय विनीत
22 Apr 2022
Shiv Kumar Trivedi
शिव कुमार त्रिवेदी

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विज्ञान संकाय का स्टूडेंट शिव कुमार त्रिवेदी अब नहीं लौटेगा। वह 13-14 फरवरी 2020 की रात लंका थाने से लापता हो गया था। दो साल बाद लंका थाना पुलिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कबूला है कि तालाब में डूबने की वजह से उसकी मौत हो गई है। दावा  यह भी है जिस रोज शिव को थाने में लाया गया था वह उसी रात लापता हो गया था और तीन दिन बाद रामनगर के एक तालाब के पास उसकी लाश लावारिश हालत में मिली थी। पुलिस ने आनन-फानन में शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया था।  

बीएचयू का स्टूडेंट शिव कुमार त्रिवेदी बीएस-सी द्वितीय वर्ष में पढ़ता था। 13-14 फरवरी 2020 की रात वह बीएचयू कैंपस में बैठा था। एमएस-सी के स्टूडेंट प्रदीप सिंह ने उसे नशेड़ी समझा और लंका थाना पुलिस को सूचना दी। उसी रात पुलिस मौके पर पहुंची और उसे उठाकर थाने ले गई। उसके बाद से शिव का कहीं अता-पता नहीं चला। उसके पिता प्रदीप त्रिवेदी मध्य प्रदेश पन्ना जिले से अपने बेटे की खोज-खबर लेने बनारस पहुंचे। काफी ढूंढने के बाद शिव के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली। शिव के पिता प्रदीप प्रॉक्टर ऑफिस से लेकर लंका थाने तक दौड़ लगाते रहे, लेकिन पुलिस कोई भी जानकारी देने में टालमटोल करती रही। मामले की रिपोर्ट भी लंका थाना पुलिस ने तब दर्ज की जब स्टूडेंट्स ने आंदोलन शुरू किया। एसएसपी के निर्देश पर घटना की रिपोर्ट दर्ज की जा सकी। बेटे के लापता होने के गम में प्रदीप त्रिवेदी ने अखबारों में इश्तेहार छपवाया और बस-रेलवे अड्डों पर बेटे के लापता होने की सूचनाएं चस्पा कराईं। लगातार दो साल तक जद्दोजहद के बाद पुलिस ने अब जाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया है कि बीएचयू के स्टूडेंट शिव कुमार त्रिवेदी मौत हो चुकी है।

शिव के लापता होने का पोस्टर

उत्तर प्रदेश की सीबीसीआईडी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि शिव की मौत तालाब में डूबने की वजह से हुई थी। पुलिस अफसर सुनीता सिंह के नेतृत्व में एक जांच टीम ने इस प्रकरण की जांच की तो पता चला कि की एक युवक का शव रामनगर रामनगर स्थित एक तालाब से बरामद हुआ था। बरामद शव की डीएनए जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ की वह शिव ही था जो लंका थाने से लापता हुआ था। पिता प्रदीप त्रिवेदी का आरोप है कि उनके बेटे की मौत तालाब में डूबने से नहीं, बल्कि थाने में बेरहमी से की गई मारपीट और शोषण से हुई थी। हत्या के बाद लंका थाना पुलिस शव ठिकाने लगा दिया। कहानी गढ़ दी कि वह थाने से भाग गया और तालाब में डूबकर आत्महत्या कर ली।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्टूडेंट शिव कुमार त्रिवेदी  का मुकदमा लड़ने वाले अधिवक्ता सौरभ तिवारी पुलिसिया कहानी पर सवाल उठाते हैं। वह कहते हैं, " शिव अगर डूबना या फिर मरना ही था तो वह गंगा पार कर रामनगर तालाब तक क्यों गया? पुलिस बताती है कि जिस वक्त शिव को थाने लाया गया उस वक्त थाने का सीसीटीवी कैमरा काम नहीं कर रहा था, जबकि आरटीआई से मांगी गई सूचना इस बात को तस्दीक करती है कि 13-14 फरवरी 2020 की रात लंका थाने के कैमरे क्रियाशील थे। सभी कैमरे अच्छी तरह से काम कर रहे थे। " 

क्या हुआ था दो साल पहले?

" न्यूजक्लिक " ने इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए कवर किया था। बाद में कई विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स ने सड़क पर उतरकर लंका थाना पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। फिर सोशल मीडिया ने लापता बीएचयू के स्टूडेंट के मामले राष्ट्रीय मामला बना दिया था। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के रहने वाले प्रदीप त्रिवेदी का बेटा शिव कुमार त्रिवेदी बीएचयू में बीएससी  (मैथ्स) का प्रतिभाशाली स्टूडेंट था। पिता प्रदीप बताते हैं, " मेरे बेटे से 12 फरवरी, 2020 को आखिरी बातचीत हुई थी। इसके बाद बेटे का फोन नहीं उठा। हम 14 फरवरी तक बेटे से बातचीत करने की कोशिश करते रहे। बाद में हमने मकान मालिक को फोन किया तो पता चला कि वह दो दिन से लापता है और उसका कमरा खुला हुआ है। आनन-फानन में मैं 16 फरवरी 2020 को बनारस पहुंचा। लंका थाना पुलिस से रिपोर्ट दर्ज करने का निवेदन किया, लेकिन वहां बहानेबाजी करके भगा दिया गया। शिव के लापता होने की खबर बीएचयू कैंपस में आग की तरह फैल गई और आंदोलन शुरू हो गया। इस बीच हमने बीएचयू के प्रॉक्टर से बातचीत की। ऑफिस का पत्र लेकर जब लंका थाने गए तब मेरे बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की जा सकी। "

कहानी में कब आया नया मोड़?

बीएचयू के ही एमएससी के स्टूडेंट अर्जुन सिंह ने पुलिस को फोन कर शिव को नशेड़ी समझकर उठवाया था उसे पता चला कि वह नशेड़ी नहीं, बल्कि उसका जूनियर साथी शिव था। उसने शिव के पिता से संपर्क किया। प्रदीप त्रिवेदी को 19 फरवरी को एक फोन आया कि यह फोन था बीएचयू के ही स्टूडेंट अर्जुन का। प्रदीप त्रिवेदी ने बताया था, " अर्जुन सिंह ने 19 फरवरी को फोन किया और बताया कि आपके बेटे को तो पुलिस लंका थाने ले गई थी। यह भी कहा कि उन्होंने खुद डायल 112 पर फोन करके पीआरबी बुलाई थी। इसके बाद मैंने अर्जुन से सारी जानकारी ली। और दोबारा लंका थाने गया। वहां कहा गया कि चेतगंज थाने जाओ। चेतगंज से मुझे सीर गेट पुलिस चौकी भेज दिया और फिर सीर गेट पुलिस चौकी पर कहा कि कंट्रोल रूम जाओ। जब कंट्रोल रूम से भी कुछ पता नहीं चल सका, तो मैं सारी जानकारी लेकर एसएसपी प्रभाकर चौधरी के पास गया। उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और 112 नंबर के ड्राइवर को बुलाया। पूछताछ करने पर ड्राइवर ने ही बताया कि शिव कुमार को 13 फरवरी की रात साढ़े आठ बजे लंका पुलिस चौकी में छोड़ा गया था। "

" न्यूजक्लिक " से बातचीत में अर्जुन सिंह कहते हैं, " 12 फरवरी को शिव की रात बीएचयू के एम्फिथियेटर ग्राउंड के पास हमने उसे देखा था। वह नाले में पैर डाले बैठा हुआ था। वह उसके पास गए और  बात करने की कोशिश की, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। लगातार प्रयास के बाद वह स्टूडेंट सार्थक जवाब नहीं दे सका। तब हमने पुलिस को सूचितत करने का निर्णय लिया। मैंने डायल 112 पर कॉल किया तो दस मिनट के अंदर ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और उसे अपने साथ ले गई। 19 फरवरी को मैंने फेसबुक पर उस लड़के की तस्वीर देखी। तब पता चला कि वह कैंपस से लापता हो गया है।”

क्या बीमार था शिव?

बीएचयू के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 22 फरवरी, 2020 को एक ट्वीट किया गया था। ट्वीट के मुताबिक शिव 12 फरवरी 2020 से अपने छित्तूपुर स्थित कमरे से लापता है। कृपया कोई भी सूचना मिलने पर पुलिस अथवा विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचित करें। ट्वीट में यह भी कहा गया था कि लापता स्टूडेंट के परिजनों के अनुसार, उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। इस बाबत शिव के पिता का कहना था कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि उनका बेटा मानसिक रूप से बीमार है।

पिता शिव कुमार त्रिवेदी कहते हैं, " 22 फरवरी, 2020 को एसएसपी के कहने के बाद जब वह लंका थाने पर गए, तो यहां के तत्कालीन इंचार्ज भरत भूषण तिवारी मिले। उन्होंने बताया था कि लड़का रातभर थाने में था और जब उसे सुबह निकाला गया, तो उसने कपड़े में पेशाब कर दिया था। वह कुछ बोलता नहीं था, तो उसको छोड़ दिया था। "

त्रिवेदी यह भी कहते हैं, "मेरे लड़के ने 12वीं में रहते हुए आईआईटी की परीक्षा पास कर ली थी। वह बीएचयू में पढ़ता था। अगर वह मानसिक रूप से ठीक नहीं होता, तो क्या वह बीएचयू में पढ़ता?”

हाईकोर्ट में चल रहा मामला?

लापता स्टूडेंट के पिता के लगातार प्रयास के बाद लापता मामले ने तूल पकड़ा। फिर बीएचयू के स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई। मामले में बीएचयू के ही पूर्व स्टूडेंट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील, सौरभ तिवारी ने जनहित याचिका के रूप में हाईकोर्ट से इस पर सुनवाई का अनुरोध किया। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए 25 अगस्त, 2020 को सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने इस मामले पर सितंबर 2020 में सुनवाई के दौरान कहा था कि लड़के को ढूंढ कर लाइए अथवा सीबीआई की जांच के लिए तैयार रहिए।

21 अप्रैल, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा कि 15 फरवरी, 2020 को यानी जिस दिन पुलिस शिव को ले जाती है, उसके दो दिन बाद, बनारस के रामनगर में स्थित जमुना तालाब में एक शव मिला था। कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट एफीडेविट के साथ दाखिल करने का आदेश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी।

फिलहाल बीएचयू के लापता स्टूडेंट के मामले ने पुलिस की भूमिका पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हुए हैं। अधिवक्ता सौरभ तिवारी दावा करते हैं, " स्टूडेंट शिव ने सुसाइड नहीं किया था। पुलिस ने उसके मौत की झूठी कहानी गढ़ी है। आरोपों से बचने और अपना दामन बचाने में वह खुद ही फंसती जा रही है। हाईकोर्ट में सीबीसीआईडी जांच रिपोर्ट से यह साबित हो रहा है कि लंका थाना पुलिस की  भूमिका संदिग्ध है। हमें कोर्ट पर भरोसा है। हम आरोपियों को कतई नहीं छोड़ेंगे। अदालत में केस जीतेंगे और दोषियों को सींखचों तक पहुंचाकर ही दम लेंगे। "

पुलिस का पक्ष

विवेचना अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि छात्र मानसिक रूप से बीमार था। उसका इलाज चल रहा था। उसे लंका थाने लाया गया था लेकिन वह उसी रात में निकल गया था। तीसरे दिन एक तालाब के पास लावारिस हाल में उसकी लाश मिली थी जिसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। फोटो के आधार पर पिता ने पहचाना और डीएनए टेस्ट कराया गया।

पता चला कि वह शव बीएचयू के लापता छात्र का था। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने विवेचना अधिकारी को डीएनए रिपोर्ट हलफनामे के साथ दाखिल करने का निर्देश दिया है और याची को भी सरकारी हलफनामे का जवाब दाखिल करने का समय दिया है। याचिका की सुनवाई जुलाई 22 में होगी।

इस मामले में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर पुलिस प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है, "बीएचयू के छात्र शिव त्रिवेदी के परिवार की दर्दनाक आपबीती सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा। पन्ना, मध्यप्रदेश से बीएचयू पढ़ने आए इस मेधावी छात्र के परिवार को दो साल बाद पता चला कि शिव की मृत्यु हो गई। इस पूरी घटना में पुलिस प्रशासन की लापरवाही व असंवेदनशीलता साफ झलकती है और उच्चस्तरीय जांच से ही सही जानकारी व न्याय सुनिश्चित हो पाएगा।  शिव त्रिवेदी के परिवार को न्याय जरूर मिलना चाहिए।" हालांकि राज्य सरकार की तरफ  से अपर शासकीय अधिवक्ता मोहम्मद मुर्तजा ने बताया कि पुलिस अभिरक्षा में मौत के आरोपों को बे बुनियाद बताया है।

बीएचयू के इतिहास विभाग में शोध करने वाले विकास आनंद कहते हैं, " दुनिया के शीर्ष विश्वविदयालयों में शामिल यहां स्टूडेंट को पुलिस उठाकर ले जाती है और तीन दिन बाद उसकी लाश मिलती। यह कैसा मजाक और जंगलराज है। करीब बीस देशों के स्टूडेंट्स बीएचयू में पढ़ते हैं। इस घटना के बाद से विश्वविद्यालय में स्टूडेंट की सुरक्षा और इसके वैश्विक साख पर बट्टा लगा है। लिहाजा स्टूडेंट को न्याय मिलने तक हम इस मामले को उठाते रहेंगे। "

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