NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
बीएचयू: सोते हुए छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई, थाना घेराव के बाद गिरफ़्तार छात्र हुए रिहा
बीएचयू के छात्र जहां विश्वविद्यालय को पूर्ण रूप से खोलने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं तो वहीं प्रशासन छात्रों की समस्याएं सुनने के बजाय पुलिसिया कार्रवाई से उन्हें डराने का रास्ता अपना रहा है।
सोनिया यादव
26 Feb 2021
Image Courtesy:  Social Media

“चुनाव रैलियों के लिए कोरोना का डर नहीं है लेकिन विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए कोरोना का बहाना ज़रूर है!”

ये सवाल है देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के छात्रों का। छात्र यहां बीते पांच दिन से विश्वविद्यालय को पूर्ण रूप से खोलने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, भूख हड़ताल पर बैठे हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की समस्याएं सुनने के बजाय पुलिसिया कार्रवाई से छात्रों को डराने का रास्ता अपना रहा है।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आरोप है कि विवि प्रशासन के कहने पर पुलिस आज यानी 26 फरवरी को सुबह-सुबह क़रीब 6.30 बजे कुछ छात्रों को बलपूर्वक घसीटते हुए लंका थाने ले गई। इस दौरान कई छात्रों के चोटिल होने की भी ख़बर है। बावजूद इसके विवि प्रशासन ने न तो छात्रों से बात की, न ही उनकी कोई सुध ली।

शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को पुलिस घसीटते हुए बलपूर्वक थाने ले गई!

बीएचयू की छात्रा आकांक्षा आज़ाद ने न्यूज़क्लिक को बताया कि धरनास्थल पर छात्र जब सुबह सो रहे थे तभी पुलिस उन्हें घसीटते हुए बलपूर्वक थाने ले गई, जिसमें कई छात्रों को चोटें भी आई हैं। जब विश्वविद्यालय प्रशासन से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया। जिसके बाद भारी संख्या में छात्रों ने खुद ही लंका थाने का घेराव किया, करीब एक घंटे तक प्रदर्शन किया तब जाकर पुलिस ने गिरफ्तार किए गए सभी छात्रों को छोड़ा। इस दौरान क़रीब चार घंटे छात्र पुलिस की हिरासत में रहे।

“पुलिस की कार्रवाई से नहीं डरने वाले, न ही अपनी मांगों से पीछे हटने वाले हैं”

पुलिस थाने से रिहा हुए छात्र आशुतोष कहते हैं कि हम पुलिस की इस कार्रवाई से डरने वाले नहीं हैं, न ही अपनी मांगों से पीछे हटने वाले हैं। हम विश्वविद्यालय प्रशासन को अगले सात दिन का अल्टीमेटम देते हैं। अगर प्रशासन यूनिवर्सिटी को सुचारू रूप से नहीं खोलता तो इससे बड़ा आंदोलन होगा।

आशुतोष ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार आंदोलन को खत्म करने के लिए अलग-अलग पैंतरा अपना रहा है। पहले भी कई बार प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हमले किए गए, उन्हें परेशान किया गया लेकिन जब छात्र अपनी मांगों से नहीं हटे तो झूठ बोला गया कि जिला प्रशासन विश्वविद्यालय को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है जबकि सच्चाई ये है कि जिला प्रशासन को खुद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने कब्जे में लेने के लिए आग्रह किया है।

पर्चे के माध्यम से हजारों छात्र-छात्राओं को आंदोलन से जोड़ेंगे

भगत सिंह छात्र मोर्चा से जुड़े अनुपम कुमार, जो खुद थाने से रिहा होकर आए हैं, बताते हैं कि अब हम लोग पर्चे के माध्यम से हजारों छात्र-छात्राओं को आंदोलन से जोड़ेंगे और फिर से विश्वविद्यालय के गेट को बंद करेंगे।

अनुपम ने न्यूज़क्लिक से कहा, “ सुबह क़रीब 6.30 बजे धरनास्थल से 5 छात्रों को घसीट कर गिरफ़्तार कर लिया गया। सभी छात्रों को बर्बर तरीके से मारा गया है, जिसके कारण उनकों चोटें भी आई हैं। इस बारे में जब बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया।”

प्रशासन बच्चों के हितों को सर्वोपरि बताते हुए उसी से खिलवाड़ कर रहा है!

वहीं एक अन्य छात्र अविनाश बताते हैं कि कुलपति का आदेश था कि 22 फरवरी से तीसरे साल की सभी कक्षाएं ऑफलाइन चलेंगी लेकिन अभी किसी कक्षा का कोई ठिकाना नहीं है। प्रशासन बच्चों के हितों और सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए उसी से खिलवाड़ कर रहा है।

गौरतलब है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर छात्रों के हित एवं सुरक्षा को सर्वोपरि बताया था। इस प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि भारत सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए बीएचयू  को चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है। भविष्य में भी स्थिति में सुधार के साथ साथ सरकार के दिशानिर्देशों के आलोक में छात्र हित में समुचित निर्णय लिये जाएंगे।

पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति के लिए सिर्फ़ ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं!

प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि कोरोना काल के बाद अब वाराणसी समेत देश के अधिकांश स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों को दोबारा खोल दिया गया लेकिन बीएचयू को अब भी बन्द रखा गया है। पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति के लिए सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं। जिसका कोई मतलब नहीं है। छात्रों का कहना है कि कक्षाएं शुरू नहीं होने से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है और वे बेहद तनाव में हैं। छात्रों की मांग है कि कैंपस में ऑफलाइन क्लासेस चलाई जाए।

क्या कहना है बीएचयू प्रशासन का?

न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में  बीएचयू के जनसम्पर्क अधिकारी डॉक्टर राजेश सिंह से प्रशासन का पक्ष जानने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने जिला प्रशासन की कार्रवाई पर कुछ भी कहने से इंकार करते हुए कहा कि, इस बारे में जिला प्रशासन ही बता सकता है।

डॉक्टर राजेश ने छात्रों के हितों के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए जानकारी दी कि विवि प्रशासन ने विश्वविद्यालय के सभी संकायों में प्रोफेसरों की उपस्थिति अनिवार्य की है। चरणबद्ध तरीके से छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए कैंपस को खोला जा रहा है। अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए सोमवार से ऑफलाइन ओर ऑनलाइन दोनों क्लासेस शुरू हो गई हैं।

हालांकि यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है कि पिछले लगभग एक साल से विश्वविद्यालय बंद है, इस दौरान छात्रों को क्या परेशानियां हुईं, उन्हें अपनी शिक्षा के लिए किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा। प्रशासन ने कभी इस बारे में कोई चिंता नहीं की। ऑनलाइन क्लासेस का क्या हाल है बीएचयू प्रशासन को इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता, प्रशासन बस छात्र हितों के नाम पर अपने हितों को साधने में लगा है।

Banaras Hindu University
students'Protest
police arrested protesting students
#UnlockBHU
MHRD
COVID-19
Central Universities

Related Stories

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

बीएचयू : सेंट्रल हिंदू स्कूल के दाख़िले में लॉटरी सिस्टम के ख़िलाफ़ छात्र, बड़े आंदोलन की दी चेतावनी

दिल्ली: कोविड वॉरियर्स कर्मचारियों को लेडी हार्डिंग अस्पताल ने निकाला, विरोध किया तो पुलिस ने किया गिरफ़्तार

बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा

नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग की मांग को लेकर रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को देश भर से मिल रहा समर्थन

यूपी: शाहजहांपुर में प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पीटा, यूनियन ने दी टीकाकरण अभियान के बहिष्कार की धमकी

दिल्ली: महंगाई के ख़िलाफ़ मज़दूरों, महिलाओं, छात्र-नौजवानों व कलाकारों ने एक साथ खोला मोर्चा


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License