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विधानसभा चुनाव
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राजनीति
लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में औंधे मुंह गिरी भाजपा
देश में एक लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के नतीजे नए संकेत दे रहे हैं। चार अलग-अलग राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई है।
रवि शंकर दुबे
16 Apr 2022
लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में औंधे मुंह गिरी भाजपा

इन दिनों देश में फैली अराजकता, सांप्रदायिक हिंसा और नफरत के बीच जनता ने बता दिया है कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब वो इन हथकंडों और जुमलों से निकलने लगी है। जिसका नज़राना एक लोकसभा और चार विधानसभा उपचुनावों के नतीजों में देखने को मिला, जहां भाजपा चारों खाने चित नज़र आई।

बिहार में जेडीयू के साथ सत्ता में होने के बावजूद जनता ने बीजेपी को नकार दिया, तो महाराष्ट्र में भी आज़ान को हनुमान चालीसा के खिलाफ करने का दांव पूरी तरह से फेल हो गया, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अपना वर्चस्व कायम रखा है जबकि पं बंगाल में ममता बनर्जी के आगे तो पूरी भाजपा फिर नतमस्तक नज़र आई।

पश्चिम बंगाल— शत्रुघ्न के आगे ख़ामोश हुआ विपक्ष

पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में टीएमसी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर ली है। सिने स्टार और पूर्व भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने टीएमसी के टिकट पर भाजपा की अग्निमित्रा पाउल को हरा दिया है। आपको बता दें कि आसनसोल लोकसभा की ये सीट बाबुल सुप्रियो के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी, दरअसल उस वक्त बाबुल बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। जिसे शत्रुघ्न सिन्हा ने 3 लाख 03 हज़ार 209 वोटों के विशाल अंतर से जीत लिया है।

BENGAL LOKSABHA BY ELECTION

आसनसोल लोकसभा उपचुनाव भाजपा और टीएमसी के लिए नाक की लड़ाई बना हुआ था क्योंकि यहां से 2019  में भाजपा की तरफ से बाबुल सुप्रियो ने चुनाव जीता था, लेकिन बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद बाबुल सुप्रियो ने आसनसोल लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उस समय बाबुल सुप्रियो ने कहा था कि वह राजनीति में वापसी नहीं करेंगे। लेकिन बाद में टीएमसी के टिकट पर बाबुल सुप्रियो ने बालीगंज से विधानसभा उपचुनाव लड़ने का फैसला किया, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की है। इस चुनाव में बाबुल सुप्रियो ने माकपा की शायरा शाह हलीम को 20,228 वोटों के अंतर से मात दी।

BENGAL VIDHANSABHA BY ELECTION

बता दें कि बालीगंज विधानसभा सीट टीएमसी सरकार में मंत्री रहे सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद खाली हुई थी। जीत के बाद जहां बाबुल सुप्रियो ने ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया और कहा कि ये मां, माटी मानुष की जीत है। सुप्रियो ने कहा कि आसनसोल की ये जीत भाजपा के मुंह पर तमाचा है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि बाबुल सुप्रियो को ममता के मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जीत के बाद ममता बनर्जी ने ट्वीट कर शुभकानाएं दी।

 

I sincerely thank the electors of the Asansol Parliamentary Constituency and the Ballygunge Assembly Constituency for giving decisive mandate to AITC party candidates. (1/2)

— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) April 16, 2022

 

ये कहना ग़लत नहीं होगा कि पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे भाजपा का कद घट रहा है, वैसे-वैसे देश में ममता बनर्जी का कद बढ़ रहा है, यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल की राह आसान नहीं होने वाली है।

महाराष्ट्र— नहीं चला “लाउडस्पीकर बनाम हनुमान चालीसा’’ दांव

कोल्हापुर उत्तर विधानसभा उपचुनावों में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी ने पटखनी देते हुए भारतीय जनता पार्टी को हरा दिया है। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की संयुक्त उम्मीदवार और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली जयश्री जाधव ने बीजेपी के सत्यजीत कदम को 19307 वोटों से करारी शिकस्त दी है। जयश्री को जहां 97  हजार 332 वोट मिले हैं, वहीं बीजेपी के सत्यजीत कदम को 78 हजार 25 मतों से संतोष करना पड़ा है।

MAHARASHTRA VIDHANSABHA RESULT

कोल्हापुर सीट को जीतने के लिए दोनों पक्षों ने जिस तरह से चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंकी थी,  उसे देख यह कहना गलत नहीं होगा कि यह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का लिटमस टेस्ट है। करीब 1 लाख 75 हज़ार मतदाताओं वाले कोल्हापुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में 61.19 प्रतिशत वोटिंग हुई।

इस सीट पर कांग्रेस की जीत के बाद ऐसा पहली बार है कि क्षेत्र को महिला विधायक मिली हो। कांग्रेस प्रत्याशी जयश्री जाधव दिवंगत विधायक चंद्रकांत जाधव की पत्नी हैं। इसलिए उन्हें सहानुभूति वोट तो मिले ही साथ महिलाओं ने भी खूब जमकर वोट किया।

आपको बता दें कि कोल्हापुर उत्तर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार सत्यजीत कदम 2014 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे, हालांकि उन्हें शिवसेना के राजेश क्षीरसागर ने हरा दिया था और वो दूसरे नंबर पर रहे थे। लेकिन इस बार उपचुनावों में शिवसेना ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा जिससे भाजपा को लगा कि शिवसेना के हिंदुत्ववादी वोट उसे ही मिलेंगे। हालांकि कांग्रेस को महाविकास अघाड़ी के साथ होने का फायदा मिला और उसका वोट नहीं बंटे।

इस उपचुनाव में भाजपा की ये हार उसके लिए थोड़ी ज्यादा चुभनशील है, क्योंकि जिस तरह से लाउडस्पीकर और मस्जिदों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है ऐसे में भाजपा को हार की उम्मीद नहीं होगी। दूसरी ओर संजय राउत ने भी कहा कि हनुमान चालीसा की राजनीति चाहे कोई कितनी भी करे लेकिन राम का धनुष भी हमारे साथ है और हनुमान का गदा भी हमारे साथ है। कोल्हापुर में जनता ने उनके लाउडस्पीकर विवाद को ठेंगा दिखा दिया।

बिहार— भाजपा-जेडीयू से भूमिहारों का मोह भंग!

बिहार की बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों से लगता है कि कमल पर रखा तीर फिलहाल खिसकने लगा है, क्योंकि 17 सालों बाद यहां फिर से लालटेन जल उठा है। बोंचहा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आरजेडी के अमर पासवान ने भाजपा की बेबी कुमारी को बड़े अंतर से मात देते हुए लंबा सूखा खत्म कर दिया। अमर पासवान ने यहां 36 हज़ार 653 मतों से जीत दर्ज कर ली।

BIHAR VIDHANSABHA RESULT

आपको बता दें कि बोचहां से विधायक चुने गए मुसाफिर पासवान के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी। मुसाफिर पासवान ने मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी के टिकट पर चुनाव जीता था। हाल ही में अपना मंत्री पद गंवाने वाले सहनी पहले दिवंगत विधायक के बेटे अमर को इस सीट से प्रत्याशी बनाना चाहते थे, लेकिन अमर ने पाला बदल लिया और आरजेडी के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे थे। वीआईपी ने इस उपचुनाव में गीता देवी को मौका दिया था, जिनके पिता रमई राम साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार थे।

वहीं, भाजपा ने सहनी की पूर्व करीबी बेबी कुमारी को टिकट दिया था, बेबी कुमारी साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय मैदान में उतरी थीं और विभिन्न पार्टियों के टिकट पर कई बार बोचहां का प्रतिनिधित्व करने वाले रमई राम को हराने में सफल हुई थीं।

बोचहां विधानसभा सीट पर भाजपा की हार के बाद नए समीकरण के संकेत दिए जा रहे हैं। कहा जा है कि इस चुनाव में भाजपा का परंपरागत वोटबैंक हिल गया है, क्योंकि आरजेडी ने भूमिहार समाज में सेंधमारी कर बड़ी सफलता हासिल की है। वहीं चुनाव का रिजल्ट बताता है कि भूमाय समीकरण यानी भूमिहार, मुस्लिम और यादव का नारा सोशल मीडिया के साथ-साथ वोटिंग बूथ पर भी दिखा है।

छत्तीसगढ़--- कांग्रेस का ‘’ज़िला निर्माण’’ दांव हिट

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ही सरकार है, ऐसे में खैरागढ़ का विधानसभा उपचुनाव जीतना लगभग तय माना जा रहा था। यहां कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने भाजपा की कोमल जंघेल को 20 हजार 176 वोटों से हरा दिया। कांग्रेस की ओर दावा किया जा रहा है कि जिस वादे की बिनाह पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है उसपर काम शुरू कर दिया गया है।

CHATTISGARH VIDHANSABHA RESULT

बता दें कि खैरागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस ने घोषणापत्र जारी कर खैरागढ़ को नया ज़िला बनाने का वादा किया था। इस ज़िले का नाम ‘’खैरागढ़-छुईखदान-गंडई’’ होने वाला है। जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी चुनावी सभाओं में बार-बार दोहराते रहे हैं। उन्होंने अपनी सभा में कई बार कहा कि 16 अप्रैल को कांग्रेस का विधायक बनेगा और 17 अप्रैल को नया ज़िला। यानी सीएम बघेल ने नतीजों के 24 घंटे के अंदर अपना वादा पूरा करने की घोषणा की थी।

नया ज़िला बनते ही तीन हिस्सों में बंट जाएगा राजनंदागांव

'खैरागढ़-छुईखदान-गंडई' के नया जिला बनते ही राजनंदागांव तीन हिस्सों में बंट जाएगा। जानकारी के अनुसार, एक मोहला-मानपुर-चौकी, दूसरा खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और तीसरा जो मूल राजनांदगांव है। ऐसे में अब ये देखना है कि जो नोटिफिकेशन जारी होता है, उसमें कौन सा तहसील किस जिले में जाती है।

आपको बता साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के देवव्रत सिंह इस सीट से जीतकर विधायक बने थे, लेकिन उनके निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी और यहां उपचुनाव कराए गए थे, जिसे कांग्रेस ने जीत लिया है।

एक लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों में भाजपा का हाथ पूरी तरह खाली रह गया, जिससे एक बात तो साफ है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरणों में बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है। पिछले 7 सालों से जनता लगातार महंगाई, बेरोज़गारी और देश में फैले उन्माद का बोझ उठाए हुए है, लेकिन अब मामला असहनीय हो चुका है, जिसका जवाब फिलहाल केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी को इन चुनावों में मिल गया है।

 

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