NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
ऑस्ट्रेलिया की चीनी मिल को उत्तर प्रदेश का बताकर चुनावी लहर बना रही भाजपा
भाजपा उत्तर प्रदेश ने 12 अगस्त को एक ट्वीट किया। भाजपा इस एक ट्वीट से दो निशाने साधने की सोच रही थी। भाजपा सोच रही थी कि विपक्ष की छवि भी खराब हो जाएगी और गन्ना किसानों का समर्थन भी हासिल कर लेगी। लेकिन मामला उल्टा पड़ने वाला है।
राज कुमार
13 Aug 2021
ऑस्ट्रेलिया की चीनी मिल को उत्तर प्रदेश का बताकर चुनावी लहर बना रही भाजपा

किसान आंदोलन ने भाजपा के होश उड़ा रखे हैं। किसान अपनी मांगों को लेकर ना सिर्फ डटे हुए हैं बल्कि सरकारों का लगातार पर्दाफाश कर रहे हैं। भाजपा और योगी आदित्यनाथ के डर का एक कारण उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी हैं। भाजपा और योगी सरकार किसान आंदोलन से इतना डरी हुई है कि अजीबो-गरीब हरकतें कर रही है। कभी गन्ना किसानों को लुभाने के लिए रिकॉर्ड भुगतान की बात करती है, कभी उत्तर प्रदेश में फसल की रिकॉर्ड खरीद की बात करती है, तो कभी बिना सिर-पैर के ट्वीट और कार्टून जारी करती है। भाजपा उत्तर प्रदेश ने इसी के चलते 12 अगस्त को एक ट्वीट किया। भाजपा इस एक ट्वीट से दो निशाने साधने की सोच रही थी। भाजपा सोच रही थी कि विपक्ष की छवि भी खराब हो जाएगी और गन्ना किसानों का समर्थन भी हासिल कर लेगी। लेकिन मामला उल्टा पड़ने वाला है।

क्या है मामला?

12 अगस्त को बीजेपी उत्तर प्रदेश के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक पोस्टर ट्वीट किया गया। साथ में लिखा कि “भाजपा सरकार ने सुधारी चीनी मिलों की दयनीय स्थिति।” ट्वीट किये गए पोस्टर में एक तरफ तीन खंडहरनुमा औद्योगिक इमारतों के फोटो लगाकर तस्वीरों के ऊपर लिखा गया सपा, बसपा और कांग्रेस सरकार और नीचे लिखा चीनी मिलों की स्थिति दयनीय। इमारतों को प्राचीन और प्रभावहीन दिखाने के लिए ग्रे कलर से एडिट कर दिया गया। पोस्टर के दूसरे हिस्से में तीन चीनी मिलों की चमकदार रंगीन तस्वीरें लगाई गई। तस्वीरों के ऊपर लिखा भाजपा सरकार और नीचे लिखा कि चीनी मिलों का विस्तार, आधुनिकीकरण और पुनर्स्थापन किया गया। इस लिंक पर क्लिक करेक आप ट्वीट देख सकते हैं। पोस्टर नीचे दिया गया है।

अब सवाल ये उठता है कि क्या ये तीनों खंडहरनुमा इमारत वास्तव में गैर भाजपा राज की उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें हैं? और चमकदार तस्वीरों में दिख रही चीनी मिलें क्या सचमुच उत्तर प्रदेश की हैं और भाजपा कार्यकाल की हैं? आइये, जांच करते है। जांच को सुगम बनाने के लिए पहले हम खंडहरनुमा तीनों तस्वीरों की एक-एक करके जांच करेंगे उसके बाद एक-एक करके चमकदार चीनी मिलों की तस्वीर की जांच करेंगे।

खंडहरनुमा इमारतों की तस्वीरों की सच्चाई

फोटो-1

जिस फोटो को उत्तर प्रदेश का बताकार साझा किया गया है वो उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि बिहार की है। बिहार के मढ़ौरा की बंद पड़ी एक पुरानी चीनी मिल को गैर भाजपा राज की उत्तर प्रदेश की चीनी मिल बताकर साझा किया गया है। मढ़ौरा की इस चीनी मिल का निर्माण 1904 में किया गया था और 1998 में ये बंद हो गई थी। ज्यादा जानकारी के लिये बिहार हेडलाइन की ये ख़बर देखें। बिहार पत्रिका, लाइव हिंदुस्तान और दैनिक जागरण की ये ख़बर देखें।

फोटो-2

दूसरी तस्वीर के बारे में जब खोजबीन की गई तो वो तस्वीर भी बिहार, रोहतास डालमिया नगर की मिली। अपना रोहतास नाम के फेसबुक अकाउंट पर डालमिया नगर की बंद पड़ी फैक्ट्रियों की तस्वीरों में ये तस्वीर भी शामिल है। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इस तस्वीर का काफी इस्तेमाल हुआ था और मांग उठी थी कि बंद पड़ी फैक्ट्रियों को पुनर्स्थापित किया जाए। टेलीग्राफ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस तस्वीर का इस्तेमाल बिहार के संदर्भ में किया है। लिंक एक, लिंक दो भी देखें। गौरतलब है कि रोहतास एक पुराना औद्योगिक केंद्र रहा है और वहां पर पुरानी बंद पड़ी अनेकों फैक्ट्रियों के खंडहर आज भी मौजूद है।

फोटो-3

तीसरी फोटो का साइज़ बहुत छोटा होने और रंग संपादित होने के कारण खोज नहीं पाए।

आइये, अब चीनी मिल की उन तस्वीरों की पड़ताल करते हैं जिनके बारे में दावा किया जा रहा है कि ये भाजपा कार्यकाल में बनी हैं, आधुनिकीकरण किया गया है या पुनर्स्थापित की गई हैं।

चमकदार चीनी मिल की तस्वीरों की सच्चाई

फोटो-1

इस तस्वीर के बारे में जब खोजबीन की गई तो नागपुर से लेकर पाकिस्तान तक की ख़बरों के साथ ये तस्वीर मिली। तस्वीर कहां की है ये ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया। लेकिन अमर उजाला में ये तस्वीर 2 जनवरी 2014 को छप चुकी है। यानी तस्वीर वर्ष 2014 से पहले की है। मतलब स्पष्ट है कि इस तस्वीर का योगी सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार वर्ष 2017 में बनी थी। यानी ये तस्वीर भाजपा कार्यकाल से पहले की है।

फोटो- 2

जिस दूसरी फोटो को भाजपा शासनकाल की बताकर साझा किया जा रहा है वो उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया के एक कस्बे होम हिल में स्थित इंकरमैन चीनी मिल की है। इस तस्वीर को फोटोग्राफर एमोस टी ने अक्टूबर 2006 में क्लिक किया था। ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

तस्वीर को जूम करके आप इंकरमैन शुगर मिल लिखा भी पढ़ सकते हैं।

फोटो-3

तीसरी तस्वीर उत्तर प्रदेश के रमाला चीनी मिल की है। इस लिंक पर क्लिक करके आप तस्वीर देख सकते हैं। इमारत पर लगे बैनर में रमाला भी लिखा हुआ है और एक अन्य बैनर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और अन्य भाजपा नेताओं की तस्वीरें भी हैं।

निष्कर्ष

भाजपा उत्तर प्रदेश ने अपने ट्वीट में 6 फोटो इस्तेमाल किये हैं। जिसमें से मात्र एक फोटो उत्तर प्रदेश का है। भाजपा ने बिहार से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक की तस्वीरों का इस्तेमाल किया है। इसलिये ये ट्वीट और बीजेपी का दावा भ्रामक और फ़र्ज़ी है। क्योंकि आधे से ज्यादा तस्वीरें उत्तर प्रदेश की नहीं है। इस ट्वीट के जरिये भाजपा उत्तर प्रदेश विपक्ष की छवि खराब करने और अपनी लहर बनाने की कोशिश कर रही है और इतनी मेहनत से तैयार और जारी किए गए ट्वीट को ‘ग़लती से मिस्टेक’ हो गई भी नहीं कहा जा सकता।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। वे सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

UttarPradesh
UP Sugar Mills
Sugar mills
Australia Sugar Mills
UP ELections 2022
Yogi Adityanath
Election Campaign
BJP

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • अनिंदा डे
    मैक्रों की जीत ‘जोशीली’ नहीं रही, क्योंकि धुर-दक्षिणपंथियों ने की थी मज़बूत मोर्चाबंदी
    28 Apr 2022
    मरीन ले पेन को 2017 के चुनावों में मिले मतों में तीन मिलियन मत और जुड़ गए हैं, जो  दर्शाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद धुर-दक्षिणपंथी फिर से सत्ता के कितने क़रीब आ गए थे।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे
    28 Apr 2022
    महामारी के भयंकर प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर 100 दिन की 'कोविड ड्यूटी' पूरा करने वाले कर्मचारियों को 'पक्की नौकरी' की बात कही थी। आज के प्रदर्शन में मौजूद सभी कर्मचारियों…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज 3 हज़ार से भी ज्यादा नए मामले सामने आए 
    28 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,303 नए मामले सामने आए हैं | देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 16 हज़ार 980 हो गयी है।
  • aaj hi baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    न्यायिक हस्तक्षेप से रुड़की में धर्म संसद रद्द और जिग्नेश मेवानी पर केस दर केस
    28 Apr 2022
    न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र के पक्ष में जरूरी हस्तक्षेप करे तो लोकतंत्र पर मंडराते गंभीर खतरों से देश और उसके संविधान को बचाना कठिन नही है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित धर्म-संसदो के…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान
    28 Apr 2022
    आजकल भारत की राजनीति में तीन ही विषय महत्वपूर्ण हैं, या कहें कि महत्वपूर्ण बना दिए गए हैं- जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र। रात-दिन इन्हीं की चर्चा है, प्राइम टाइम बहस है। इन तीनों पर ही मुकुल सरल ने…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License