NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बीपीसीएल ने कर्मचारियों से कहा- निजी प्रबंधन के तहत नहीं करना काम तो ले लो वीआरएस
निजीकरण से पहले बीपीसीएल ने अपने कर्मचारियों को वीआरएस देने की पेशकश की है। लेकिन सवाल यही है कि सरकार लाभ में और सुचारु रूप से चलने वाली कंपनी को निजी हाथों में क्यों सौंपना चाहती है?
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Jul 2020
 बीपीसीएल
फोटो साभार : The Indian Express

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपारेशन लि. (बीपीसीएल) को निजी हाथो में बेचने को तैयार है। जबकि इसके कर्मचारी इसका लगातर विरोध कर रहे है। इस विरोध को देखते हुए बीपीसीएल अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) लेकर आई है। यानी जिस कर्मचारी को निजीकरण गलत लगता है,वो काम छोड़कर जा सकता हैं।लेकिन सवाल यही है कि सरकार लाभ में और सुचारु रूप से चलने वाली कंपनी को निजी हाथों में क्यों सौंपना चाहती है?

सरकार देश की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी और दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनी का निजीकरण करने जा रही है। निजीकरण से पहले कंपनी ने अपने कर्मचारियों को वीआरएस देने की पेशकश की है।

बीपीसीएल ने अपने कर्मचारियों को भेजे आंतरिक नोटिस में कहा, ‘‘कंपनी ने वीआरएस की पेशकश करने का फैसला किया है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए है जो विभिन्न व्यक्तिगत कारणों से कंपनी में सेवाएं जारी रखने की स्थिति में नहीं हैं। वे कर्मचारी वीआरएस के लिए आवेदन कर सकते हैं।’’

‘भारत पेट्रोलियम वीआरएस योजना-2020 (बीपीवीआरएस-2020) 23 जुलाई से खुली है और13 अगस्त को बंद होगी।

कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वीआरएस उन कर्मचारियों को बाहर निकलने का विकल्प देने लिए लाया गया है, जो निजी प्रबंधन के तहत काम नहीं करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ कर्मचारियों को लगता है कि बीपीसीएल के निजीकरण के बाद उनकी भूमिका, स्थिति या स्थान में बदलाव हो सकता है। यह योजना उन्हें बाहर निकलने का विकल्प देती है।’’

सवाल है कि सरकार क्यों चाहती है निजीकरण?

कोरोना माहमारी और लॉकडाउन के दौरान बीपीसीएल ने लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) और भारत के अन्य ईंधन उत्पादों की महत्वपूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फिर भी सरकार इसे बेचना चाहती है ,जानकारों का कहना है कि सरकार को संकट में BPCL की भूमिका को अपनी आंखे खोलकर देखना चाहिए और सार्वजनिक क्षेत्र के भीतर लाभ कमाने वाली तेल मार्केटिंग कंपनी को बनाए रखना चाहिए।

बीपीसीएल अधिकारियों ने ही अपने बयानों में माना है कि देश भर में तालाबंदी के दौरान प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी सिलिंडर की मुफ्त आपूर्ति सहित ईंधन की चुनौतियों से निपटने में यह इकाई सबसे आगे रही है।

अप्रैल में अपने बयान में बीपीसील ने कहा था कि रसोई गैस की मांग में उछाल देखा गया है, फिर भी हमने रसोई गैस को लोगो के घरो तक पहुँचाया है। यह हमरे लिए गर्व की बात है कि हम विषम परिस्थतियों में अपने उपभोक्ताओं तक सेवा प्रदान कर रहे रहे है।'

बीपीसीएल में सरकार अपनी समूची 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 20,000 है। अधिकारी ने बताया कि पांच से 10 प्रतिशत कर्मचारी वीआरएस का विकल्प चुन सकते हैं।

इसको लेकर ही कर्मचारी लगातार सवाल कर रहे हैं कि जब कंपनी मुनाफे में है और अपना काम बेहतरी से कर रही है ,ये बात सरकार भी मानती है फिर भी सरकार इसे बेचने पर क्यों तुली हुई है ?

बीपीसीएल के अधिग्रहण के लिए रुचि पत्र (ईओआई) 31 जुलाई तक दिया जा सकता है। पीटीआई के पास मौजूद वीआरएस नोटिस के अनुसार 45 साल की उम्र पूरा कर चुके कर्मचारी इस योजना के पात्र हैं।

हालांकि, सक्रिय खिलाड़ी यानी किसी खेल की वजह से कंपनी में नियुक्त हुए खिलाड़ियों तथा बोर्ड स्तर के कार्यकारी इस योजना का विकल्प नहीं चुन सकते।

योजना का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों को प्रत्येक पूरे हुए सेवा वर्ष के लिए दो माह का वेतन या वीआरएस के समय तक का मासिक वेतन मिलेगा। सेवाकाल के शेष बचे महीनों को इसमें गुणा किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाला कंपनी छोड़ने का खर्च भी मिलेगा। वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति बाद चिकित्सा लाभ योजना के तहत चिकित्सा लाभ मिलेगा। इसके अलावा कर्मचारी अपने बचे अवकाश मसलन आकस्मिक, अर्जित, विशेषाधिकार (सीएल, ईएल और पीएल) के बदले नकदी में भुगतान भी ले सकेंगे।

नोटिस में कहा गया है कि जिस कर्मचारी के खिलाफ किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है, वह इस योजना का लाभ नहीं ले सकेगा।

आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर महीने में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीपीसीएल सहित शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया , पावर जनरेटर इंडिया और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्प में सरकार की हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दी थी। सरकार ने इसे रणनीतिक विनिवेश कहा था और बताया कि इससे जो राशि प्राप्त होगी, उसका उपयोग सामाजिक योजनाओं के वित्त पोषण में किया जाएगा जिससे लोगों को लाभ होगा।

बीपीसीएल का तेल सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में 24% बाजार हिस्सा है और 2018-19 में 3.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार पर 7,132 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया हैं।

हालांकि बीपीसीएल के कर्मचारी सरकार के इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे थे और उन्होंने सरकार से सवाल किया था कि वो लाखों करोड़ों की बहुमूल्य कंपनी को कौड़ियों के दाम पर क्यों बेच रही है और कंपनी का निजीकरण करना देश के लिए आत्मघाती साबित होगा।

बीपीसीएल मुंबई (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), बीना (मध्य प्रदेश), और नुमालीगढ़ (असम) में प्रतिवर्ष 38.3 मिलियन टन की संयुक्त क्षमता के साथ चार रिफाइनरियों का संचालन करती है, जो भारत की 249.8 मिलियन टन की कुल शोधन क्षमता का 15.3 प्रतिशत है.

विशेषज्ञों ने बीपीसीएल के निजीकरण के साथ कर राजस्व में हो रहे नुकसान को लेकर भी सरकार को आगाह किया हैं। बीपीसीएल ने 2011 से सरकार को लगभग 25,000 करोड़ रुपये के करों का भुगतान किया है। आईआईएम बैंगलोर के एक प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री के अनुसार,“बीपीसीएल के लिए कर लाभ पर प्रभावी कर की दर लगभग 34% है, जबकि निजी क्षेत्र के लिए 25% से 28% के बीच है। इसलिए, किसी भी निजीकरण के बाद सरकार के लिए कर राजस्व में नुकसान होगा।”

BPCL के कर्मचारी सहित विपक्षी दल कांग्रेस, CPI (M) और अन्य क्षेत्रीय दलों सहित कई विपक्षी दलों ने बीपीसीएल की बिक्री का विरोध किया हैं। 

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

BPCL
BPCL Employees
BPCL privatisation
VRS
LPG
Coronavirus
Lockdown
BJP
CPI-M
Congress

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • women in politics
    तृप्ता नारंग
    पंजाब की सियासत में महिलाएं आहिस्ता-आहिस्ता अपनी जगह बना रही हैं 
    31 Jan 2022
    जानकारों का मानना है कि अगर राजनीतिक दल महिला उम्मीदवारों को टिकट भी देते हैं, तो वे अपने परिवारों और समुदायों के समर्थन की कमी के कारण पीछे हट जाती हैं।
  • Indian Economy
    प्रभात पटनायक
    बजट की पूर्व-संध्या पर अर्थव्यवस्था की हालत
    31 Jan 2022
    इस समय ज़रूरत है, सरकार के ख़र्चे में बढ़ोतरी की। यह बढ़ोतरी मेहनतकश जनता के हाथों में सरकार की ओर से हस्तांतरण के रूप में होनी चाहिए और सार्वजनिक शिक्षा व सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हस्तांतरणों से…
  • Collective Security
    जॉन पी. रुएहल
    यह वक्त रूसी सैन्य गठबंधन को गंभीरता से लेने का क्यों है?
    31 Jan 2022
    कज़ाकिस्तान में सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) का हस्तक्षेप क्षेत्रीय और दुनिया भर में बहुराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बदलाव का प्रतीक है।
  • strike
    रौनक छाबड़ा
    समझिए: क्या है नई श्रम संहिता, जिसे लाने का विचार कर रही है सरकार, क्यों हो रहा है विरोध
    31 Jan 2022
    श्रम संहिताओं पर हालिया विमर्श यह साफ़ करता है कि केंद्र सरकार अपनी मूल स्थिति से पलायन कर चुकी है। लेकिन इस पलायन का मज़दूर संघों के लिए क्या मतलब है, आइए जानने की कोशिश करते हैं। हालांकि उन्होंने…
  • mexico
    तान्या वाधवा
    पत्रकारों की हो रही हत्याओंं को लेकर मेक्सिको में आक्रोश
    31 Jan 2022
    तीन पत्रकारों की हत्या के बाद भड़की हिंसा और अपराधियों को सज़ा देने की मांग करते हुए मेक्सिको के 65 शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये हैं। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License